उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन महीने के अंदर नगला कोल्हू, मथुरा में जैव अपशिष्ट का निस्तारण शुरू नहीं किया गया तो 5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष निरीक्षण समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है। इसे 29 जुलाई, 2020 को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। रिपोर्ट नगर निगम के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 के अनुसार, यमुना के किनारे पर ठोस कचरे के अनियंत्रित डंपिंग और वृंदावन में पुराने स्थल की वैज्ञानिक सफाई के खिलाफ कार्रवाई पर है। यहां उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के अधिकारियों द्वारा 9 और 10 जुलाई को विस्तृत निरीक्षण किया गया था।
समिति ने कहा कि माट रोड स्थल पर पुराने कचरे का निस्तारण पूरा हो गया है। अब वहां कोई कचरा मौजूद नहीं है। हालांकि, समिति नगला कोल्हू में नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू) उपचार सुविधा से असंतुष्ट थी, लैंडफिल में अपशिष्ट को जमा करने के लिए उसकी जगह का सही से उपयोग नहीं किया जा रहा था। अपशिष्ट जल संग्रह और गैस संग्रह की उचित व्यवस्था नहीं की गई थी। इसके अलावा, निरीक्षण के दौरान पाया गया कि अपशिष्ट जल की नाली बंद है और संग्रह टैंक से लेकर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तक कोई स्थायी पाइप लाइन मौजूद नहीं थी।
निरीक्षण में, यह पाया गया कि एमएसडब्ल्यू प्लांट का अधिकांश क्षेत्र पुराने कचरे से ढका था जिसे जल्द से जल्द हटाने की जरूरत है।
रिपोर्ट के अनुसार, नगला कोल्हू प्रसंस्करण संयंत्र की वर्तमान क्षमता 180 टीपीडी है, जो मथुरा में ठोस अपशिष्ट के प्रसंस्करण को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। नगला कोल्हू में पहले से ही 1.80 लाख टन पुराना अपशिष्ट अनुपचारित है।
समिति ने कहा कि वृंदावन के ठोस अपशिष्ट को माट रोड से नगला कोल्हू अपशिष्ट स्थल में स्थानांतरित करना तभी सार्थक होगा जब पुराने स्थल के जैव अपशिष्ट का निस्तारण किया जा रहा हो। अन्यथा यह सिर्फ ठोस कचरे को जमा करने का एक अभ्यास ही होगा।
रोहतांग पास में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का हुआ सफल परीक्षण
रोहतांग क्षेत्र में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के सफल परीक्षण के बाद हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एचआरटीसी) ने 25 इलेक्ट्रिक बसें खरीदी हैं। इलेक्ट्रिक बसों के सुचारू संचालन के लिए मनाली में सात, कुल्लू में चार और मंडी में चार चार्जिंग प्वाइंट लगाए गए हैं। वर्ष 2019-2020 के दौरान शिमला में और इसके आसपास प्रदूषण को कम करने और हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण के अनुकूल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए 50 और इलेक्ट्रिक बसें खरीदी गईं। 2020-2021 में एचआरटीसी का 100 और इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का इरादा है।
ये मनाली और रोहतांग पास के क्षेत्र में पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, हिमाचल प्रदेश के सचिव की रिपोर्ट में उल्लिखित कुछ उपाय थे, जिन्हें लागू किया गया है।
वन संरक्षक, कुल्लू ने कहा कि वन मंजूरी के पहले चरण में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा मनाली रोपवे प्राइवेट लिमिटेड को 8.98 हेक्टेयर वन भूमि पलचान-रोहतांग रोपवे परियोजना निर्माण के लिए दी है।
परियोजना के लिए प्रस्तावित वर्तमान मूल्य (एनपीवी) के आधार पर अनुपूरक वनीकरण (कम्पेन्सेटरी एफोरेस्टशन) राशि 1,13,36,324 रुपए और साथ ही पेड़ों की लागत और वन विभाग का विभागीय शुल्क 1,16,35,274 रुपए जमा किया गया। द्वितीय चरण की अनुमति के लिए आवेदन हिमाचल प्रदेश के नोडल ऑफिसर द्वारा (फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के तहत) 18 जनवरी, 2020 को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजा गया था। मरही में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण और मनाली में एसटीपी के अपग्रेडेशन पर काम शुरू कर दिया है।
एनजीटी ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाया प्रतिबंध
एनजीटी ने 28 जुलाई को प्लास्टिक की बोतलों और बहुस्तरीय प्लास्टिक पैकेजों के उपयोग को 10 सितंबर तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।
यह आदेश 14 फरवरी को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के जवाब में था। इसमें कहा गया था कि कैबिनेट सचिवालय में शीर्ष स्तर पर सचिवों की समिति (सीओएस) की बैठक में एकल उपयोग (सिंगल यूज) प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर चर्चा की गई थी। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों द्वारा किए गए उपायों के बारे में भी बात की गई।
कूड़ा डालने से खोह नदी में हो रहे प्रदूषण पर एनजीटी ने किया आगाह
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और एनजीटी के सोनम फेंटसो वांग्दी की दो सदस्यीय पीठ ने 28 जुलाई को ग्राम रतनपुर, काशीरामपुर, गाडीघाट में खोह नदी के पास और स्पोर्ट्स स्टेडियम, कोटद्वार, उत्तराखंड के पास, कूड़ा निपटान डंप यार्ड पर किए गए कार्य पर नाराजगी व्यक्त की।
डंप यार्ड अवैध रूप से स्थापित किए गए थे और वहां कचरा जलाया जा रहा था जो नदी के पानी को प्रदूषित कर रहा था।
नाराजगी का कारण उत्तराखंड राज्य की ओर से 21 मई को सौंपी गई रिपोर्ट थी, जिसमें कहा गया था कि कुछ अंतरिम उपायों को अपनाया गया है और आगे की कार्रवाई की जा रही है। एनजीटी ने प्रगति को अपर्याप्त पाया और आगाह किया कि इससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, जो एक दंडात्मक अपराध है।