भारत जैसे देश अपनी कृषि, निर्माण, ऊर्जा उत्पादन जैसी कई जरूरतों को पूरा करने के लिए भूजल पर निर्भर हैं; फोटो: आईस्टॉक 
प्रदूषण

सुकिंदा घाटी में क्रोमियम प्रदूषण : एनजीटी ने कहा सरकार मुहैया कराए स्वच्छ जल

एनजीटी की गठित संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सुकिंदा घाटी में 9 स्थानों पर लिए गए भू-जल नमूनों में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला क्रोमियम मिला है

Vivek Mishra

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह उन स्थानों पर स्वच्छ जल मुहैया कराए जहां पर भू-गर्भ जल के नमूनों में खतरनाक क्रोमियम प्रदूषण पाया गया है। 

एनजीटी के ईस्ट जोन स्थित कोलकाता पीठ ने 9 जुलाई को  केंद्रीय भूजल बोर्ड को आदेश दिया है कि वह जाजपुर जिले में सुकिंदा वैली में भूजल में संक्रमण की जांच करें और अगले चार हफ्तों में अपना हलफनामा दाखिल करे। 

जाजपुर सदर के स्थानीय निवासी मंतु दास की शिकायत पर एनजीटी ने इस मामले में एक जांच समितित गठित की थी। वहीं,  याचिकर्ता की तरफ से एडवोकेट शंकर प्रसाद पाणि पेश हो रहे हैं।

एनजीटी को कोलकाता स्थित पीठ में ज्यूडिशियल मेंबर बी अमित स्थालेकर और एक्सपर्ट मेंबर अरुण कुमार वर्मा इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं। 

सुकिंदा वैली क्षेत्र में भू-गर्भ में क्रोमियम की पुष्टि संयुक्त समिति की रिपोर्ट ने 4 जुलाई, 2024 की थी। इस समिति में उड़ीसा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मेंबर सेक्रेट्री, डॉ कैलासम मुर्गसन और अन्य शामिल थे।  

इस रिपोर्ट पर गौर करने के बाद पीठ ने कहा था कि यह स्पष्ट है कि 9 स्थानों पर जल नमूनों में क्रोमियम प्रदूषण पाया गया है। इसके अलावा रिपोर्ट ने यह भी सिफारिश की है कि सुकिंदा वैली और आस-पास क्षेत्र में आगे किसी सामर्थ्यवान एजेंसी के जरिए भी भूजल की जांच कराई जानी चाहिए ताकि इसके विस्तार का पता चल सके।  

पीठ ने इस पर गौर करने के बाद कहा " यह चौंकाने वाला है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड के सदस्य भी इस संयुक्त समिति में है और वह खुद को इस खोजबीन के लिए एक सामर्थ्यवान एजेंसी नहीं मानते हैं।"

पीठ ने कहा कि संयुक्त समिति की ओर से रिपोर्ट में जो विशिष्ट तथ्य रखे गए हैं उसे देखते हुए  हमारा यह मानना है कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह संबंधित इलाकों में पीने योग्य जल लोगों को मुहैया कराए। 

मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त, 2024 को होगी।