प्रतीकात्मक तस्वीर: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) 
प्रदूषण

कचरे की अवैध डंपिंग से परेशान नेत्रहीन बच्चे, अदालत ने एमसीडी को दिया 20 लाख के भुगतान का निर्देश

सड़क पर पसर कचरा और सीवेज के खुले गड्ढे पर्यावरण के साथ-साथ देख पाने से लाचार बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को एक महीने के भीतर अखिल भारतीय नेत्रहीन संघ स्कूल को 20 लाख रुपए का भुगतान करने को कहा है।

29 नवंबर, 2024 को दिए इस निर्देश के मुताबिक स्कूल प्रबंधन मुआवजे की इस राशि का उपयोग स्कूल में पर्यावरण से जुड़े खतरों के साथ-साथ प्रदूषण का शिकार हुए बच्चों के स्वास्थ्य और अन्य सुविधाओं को बेहतर बनाने पर करेगा।

अदालत कहना है कि, अखिल भारतीय नेत्रहीन संघ स्कूल के दृष्टिबाधित छात्र ढालो डी-5 में ठोस कचरे की अवैध डंपिंग के कारण वर्षों से परेशान हैं। इतना ही नहीं उन्हें अपने स्कूल के पास खुले कई सीवेज होल और गड्ढों से भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

अदालत का मानना ​​है कि "प्रदूषणकर्ता भुगतान सिद्धांत" और एनजीटी अधिनियम, 2010 की धारा 15 के आधार पर अखिल भारतीय नेत्रहीन संघ स्कूल और उसके छात्रों को मुआवजा देना उचित होगा।

इसके साथ ही अदालत ने एमसीडी को यह भी आदेश दिया है कि वो ढलाव डी-5 को तुरंत बंद करने के लिए कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि अखिल भारतीय नेत्रहीन संघ स्कूल के पास कोई भी खुला सीवेज नाला या गड्ढा न रहे।

अगर एमसीडी इस साइट पर ठोस अपशिष्ट और सीवेज का गलत तरीके से निपटान करना जारी रखती है, तो डीपीसीसी को कार्रवाई करनी चाहिए और तुरंत पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगानी चाहिए। अदालत ने दिल्ली नगर निगम और डीपीसीसी दोनों से तीन महीने के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

लाचार बच्चों के स्वास्थ्य, सुरक्षा से होता खिलवाड़

गौरतलब है कि 30 अप्रैल, 2024 को मिलेनियम पोस्ट में प्रकाशित एक खबर के आधार पर इस मामले को अदालत ने स्वतः संज्ञान में लिया है। इस खबर में पश्चिमी दिल्ली में कचरे के ढेर से देख सकने में लाचार बच्चों के स्वास्थ्य पर मंडराते खतरे को उजागर किया था।

इस खबर में कहा गया है कि 1971 से पश्चिमी दिल्ली के रघुबीर नगर में अखिल भारतीय नेत्रहीन संघ हर साल सौ से अधिक दृष्टिबाधित बच्चों को मुफ्त शिक्षा और आवास प्रदान कर रहा है।

खबर में बताया गया है कि स्कूल और वहां पढ़ने वाले बच्चों को एमसीडी के कचरे के ढेर और पास में कई खुले सीवेज गड्ढों के कारण बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सड़क पर फैला कचरा सीधे स्कूल के भोजन कक्ष को प्रभावित कर रहा है, जिसक वजह से पर्यवरण के साथ-साथ छात्रों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।

खबर के मुताबिक ये बच्चे, पहले ही देख पाने से लाचार हैं और दृष्टि संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, अब उन्हें कीड़ों और मच्छरों के झुंड से भी निपटना पड़ रहा है। इससे उनके रहने और खाने-पीने का क्षेत्र एक दुःस्वप्न में बदल गया है।

खबर में यह भी कहा गया है कि सड़क के किनारे फैला कचरा बच्चों को सुरक्षित रूप से टहलने या स्कूल परिसर से बाहर निकलने में बाधा पहुंचा रहा है। एक अभिभावक ने चिंता व्यक्त की है कि कई छोटे बच्चे पास सीवेज के खुले गड्ढों में गिर गए हैं, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आई हैं।