असम के तिनसुकिया जिला में बाघजन स्थित ऑयल इंडिया लिमिटेड के गैस के कुएं में भयंकर आग के चलते करीब 42 किलोमीटर दूर और डिब्रू-सैखोवा नेशनल पार्क से लगते इलाकों में दहशत पैदा कर दी है।
तिनसुकिया जिला में पर्यावरण क्षेत्र में काम कर रहे एनजीओ ‘ग्रीन विज़न फॉर नार्थ ईस्ट’ के बिरेन्द्र कुमार चुटिया ने ‘डाउन टू अर्थ’ को बताया कि इस दुर्घटना में 1900 से अधिक परिवारों ने अपनी आजीविका गवां दी हैं। साथ ही, डिब्रू-सैखोवा नेशनल पार्क और प्रसिद्ध प्रवासी पक्षी हैबिटैट मगुरी-मोटापुंग बील भी इसकी चपेट में आया है। पर्यावरणीय लिहाज से यह बहुत बड़ा नुकसान है। चूंकि यह एक पर्यटन स्थान भी है, जिसके कारण और अधिक लोगों की आजीविका प्रभावित होनी की संभावना है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां सब कुछ नष्ट हो चुका है। आग और तेल फैलने के कारण खेती की जमीन हमेशा के लिए खराब हो गई है। हम यहां अब कुछ भी उत्पादन नहीं कर सकते। इसीलिए राज्य सरकार और ऑयल इंडिया लिमिटेड से हमारी मांग है कि वे हमें अगली पीढ़ी तक के लिए मुआवजा देना चाहिए। हालांकि तेल कंपनी ने अपने घरों से विस्थापित प्रत्येक परिवार को 30,000 रुपये देने का फैसला किया है।
तिनसुकिया कॉलेज के रसायनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ. बिप्लब बनिक कहते हैं कि गैस रिसाव और भीषण आग के कारण विभिन्न प्रकार की गैसों की उत्सर्जन की सम्भावना हैं। मसलन, काला धुआं कार्बन मोनोऑक्साइड और डाइऑक्साइड के अलावा और कुछ नहीं है। जैसे-जैसे कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता बढ़ेगी, तापमान बढ़ेगा। जो स्थानीय लोगों और वन्यजीवों के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है और उनके फेफड़ों तक का नुकसान पहुंचा सकता है।
वहीं, तिनसुकिया जिले की लोपमुद्रा तमोली कहती हैं, बाघजन में तेल निकासी स्थल, जहां 14 दिन पहले एक विस्फोट हुआ था, अब भी आग लगी हुई है। 15-20 किलोमीटर दूर तिनसुकिया शहर के लोग भी अपने घरों से आग की लपटें और काला धुंआ देख सकते हैं। वे लोग दहशत में हैं।
वह बताती हैं कि जब स्थानीय लोगों ने आशंका जताई थी कि ओआईएल की वजह से यहां आग लग सकती है तो कंपनी के अधिकारियों ने इससे इंकार किया था, लेकिन अब आग लग चुकी है तो उन्होंने चुप्पी साध ली है।
27 मई को तेल के कुएं से गैस रिसाव के मामला सामने आने के बाद कम्पनी ने सिंगापूर से तीन विशेषज्ञों को बुलाया। वे सभी रिसाव बंद करने की कोशिश ही कर रहे थे 9 जून को विस्फोट हो गया। अब तक रिसाव बंद करने में सफलता न मिलने के कारण तीन अन्य विशेषज्ञों को अमेरिका और कनाडा से बुलाया गया है।
उधर, भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 11 जून को हाइड्रोकार्बन के महानिदेशक सीएल दास के अध्यक्षता में तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जाँच का आदेश दिया है। जिसमें ओएनजीसी के पूर्व अध्यक्ष बीसी दास और पूर्व निदेशक टीके सेनगुप्ता शामिल हैं।