प्रदूषण

क्या पर्यावरण नियमों को ताक पर रख मथुरा में अवैध रूप से चल रहे हैं ईंट भट्टे, एनजीटी ने पूछा सवाल

ट्रिब्यूनल ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इस बात की जांच करने को कहा है कि क्या मथुरा में पर्यावरण नियमों को ताक पर रख ईंट भट्टे अवैध रूप से चल रहे हैं

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने छह मई, 2024 को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के अध्यक्ष को यह जांचने का निर्देश दिया है कि क्या श्रीचंद द्वारा मथुरा में अवैध ईंट भट्टों के बारे में की गई शिकायत सही है या नहीं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) इसकी जांच करेगा कि क्या ईंट भट्टे पर्यावरण नियमों को ताक पर रख अवैध रूप से चल रहे हैं। क्या इनके पास संचालन की अनुमति है और क्या यह बंद करने के आदेशों की अनदेखी कर अब भी अवैध रूप से चल रहे हैं।

कोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से यह भी पूछा है कि क्या इनके खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे में एनजीटी ने अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले तक इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 20 अगस्त, 2024 को होनी है।

गौरतलब है कि आवेदक ने मथुरा में अवैध रूप से चल रहे ईंट भट्टों को लेकर शिकायत की थी। आवेदक के वकील का कहना है कि मथुरा एनसीआर और ताज ट्रैपेजियम जोन (टीटीजेड) के बीच स्थित है, और ये ईंट भट्ठे घनी आबादी वाले इलाकों में चल रहे हैं। जो ईंधन के रूप में जैविक अपशिष्ट, सॉल्वैंट्स, तेल अवशेष, पेट कोक, प्लास्टिक रबर, चमड़ा और अन्य अपशिष्ट उत्पादों जैसे हानिकारक कचरे का उपयोग कर रहे हैं, जो क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है।

आवेदक के वकील ने उन ईंट भट्टों की सूची का भी उल्लेख किया है, जिन्हें बंद करने का आदेश दिया गया है। हालांकि इसके बावजूद, प्रतिवादी के ईंट भट्टे अभी भी चल रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि इन ईंट भट्टों के पास आवश्यक अनुमति नहीं है और वे आवश्यक नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।

जाने क्यों भरतपुर अवैध खनन मामले में एनजीटी ने की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सराहना

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैध खनन मामले में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की गई कार्रवाई की सराहना की है। गौरतलब है कि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अवैध खनन के मामले में जिम्मेवार लोगों पर पर्यावरणीय जुर्माना लगाया था। मामला राजस्थान में भरतपुर के गहनौली क्षेत्र का है।

ट्रिब्यूनल ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को इस मामले में कानूनी कार्रवाई जारी रखने और तीन महीने के भीतर ट्रिब्यूनल के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि यह मामला अमर उजाला में 27 फरवरी 2024 को छपी अवैध खनन की एक खबर के आधार पर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लिया था।

यह खबर भरतपुर जिले के गहनौली इलाके में कथित अवैध खनन को लेकर थी। इस खबर के मुताबिक, गहनौली पुलिस ने अवैध रूप से खनन किए गए पत्थरों से भरी छह ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त कीं थी। ये ट्रॉलियां चंदौली से आ रही थीं और पिछले कुछ समय से इलाके में अवैध खनन की शिकायतें मिल रही थीं। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का मालिक कौन है।

मध्यप्रदेश में एक साइट पर जमा है, 23,500 मीट्रिक टन सालों पुराना कचरा: रिपोर्ट

अचलपुर नगर परिषद की ओर से पेश वकील ने संयुक्त समिति की रिपोर्ट के खिलाफ आपत्तियां दर्ज करने और जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय मांगा है। उनका कहना है कि सरकारी अधिकारियों को चुनाव ड्यूटी सौंपी गई है, जिसकी वजह से हलफनामा दाखिल करने में देरी हो रही है।

अदालत ने नगर परिषद की इस अपील को स्वीकार कर लिया है और उन्हें दस्तावेज जमा करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साइट की वर्तमान स्थिति पर ताजा रिपोर्ट सबमिट की है। इस रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा समय में साइट पर 23,500 मीट्रिक टन वर्षों पुराना कचरा जमा है। उन्होंने मई 2024 तक 3,500 मीट्रिक टन कचरा हटाने का आश्वासन दिया है। वहीं बाकी के लिए निजी ठेकेदारों को काम पर रखने पर विचार किया जा रहा है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अचलपुर नगर परिषद ने ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए 9.16 हेक्टेयर की एक नई साइट का प्रस्ताव दिया है।