प्रदूषण

झारसुगुड़ा में नियमों को ताक पर बेचा जा रहा एल्युमीनियम कचरा, एनजीटी ने आरोपों की जांच के दिए निर्देश

आरोप है कि कंपनी ने कथित तौर पर एल्यूमीनियम कचरे से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया के तीसरे चरण का पालन नहीं किया, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने झारसुगुड़ा में नियमों को ताक पर रख अवैध रूप से बेचे जा रहा एल्यूमीनियम के कचरे की जांच के निर्देश दिए हैं। आरोप है कि ओडिशा के झारसुगुड़ा में रुनाया रिफाइनिंग एलएलपी अवैध रूप से एल्यूमीनियम का कचरा बेच रही है। यह भी आरोप है कि कंपनी ने कथित तौर पर एल्यूमीनियम कचरे से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया के तीसरे चरण का पालन नहीं किया है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।

ऐसे में 17 मई 2024 को एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव को उन दावों की जांच करने को कहा है।

अदालत ने सीपीसीबी को यह जांचने को कहा है कि क्या यह शिकायत सही है और क्या यह इकाई पर्यावरणीय क्षति का कारण बन रही है। अगर ऐसा है तो ट्रिब्यूनल ने सीपीसीबी से उचित कानूनी कार्रवाई करने को भी कहा है।

एल्युमीनियम अपशिष्ट पुनर्चक्रण, एल्युमीनियम कचरे के पुन: उपयोग की एक प्रक्रिया है। एल्युमीनियम मैल, एल्युमीनियम के पिघलने का एक उपोत्पाद, इसमें एल्युमीनियम, इसके ऑक्साइड, मिश्रधातु तत्व ऑक्साइड और कभी-कभी हैलोजेनाइड्स, कार्बाइड और नाइट्राइड होते हैं।

पुणे में व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा ग्रीन बेल्ट का उपयोग, एनजीटी ने आरोपों की जांच के दिए आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने संयुक्त समिति से उन आरोपों की जांच का आदेश दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि कोंढवा में एक ग्रीन बेल्ट का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। 17 मई 2024 को दिया यह आदेश महाराष्ट्र में पुणे के कोंढवा में स्थित एक ग्रीन बेल्ट के व्यावसायिक उद्देश्य से जुड़ा है।

आरोपों की जांच के लिए जो संयुक्त समिति बनाई गई है उसमें पुणे के जिला मजिस्ट्रेट और डिप्टी कलेक्टर शामिल होंगें। कोर्ट ने समिति से इस मामले में जांच के बाद एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है। कोर्ट के निर्देशानुसार यह समिति इस साइट का दौरा कर जानकारी एकत्र करेगी। यदि उन्हें ग्रीन बेल्ट में किसी तरह के बदलाव या क्षति के संकेत मिलते हैं तो वो उस विषय में दो महीनों के भीतर अपनी विस्तृत रिपोर्ट पश्चिमी बेंच के सामने प्रस्तुत करेगी।

गौरतलब है कि यह मामला कोणार्क पूरम सहकारी हाउसिंग सोसायटी के निवासियों के द्वारा भेजी पत्र याचिका के आधार पर पंजीकृत किया गया था। इसमें उन्होंने शिकायत की थी कि पुणे में करिया बिल्डर ने 800 फ्लैट और रो हाउस के साथ एक आवासीय परियोजना विकसित की है।

रिकॉर्ड के अनुसार, कोणार्क पूरम के पीछे के पूर्वी हिस्से को ग्रीन बेल्ट के रूप में दिखाया गया है और एक नाला उद्यान के लिए अलग रखा गया है। हालांकि, निवासियों ने देखा कि इस हरित पट्टी का उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा है, जिसमें कई पेड़-पौधे जेसीबी जैसी भारी मशीनों द्वारा उखाड़ दिए गए हैं। स्थानीय निवासियों और अन्य लोगों द्वारा इस मामले में कई बार शिकायत करने के बावजूद, अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।