मौसमी एलर्जी वाले किसी भी व्यक्ति को पता है, हवा में मौजूद न दिखाई देने वाले कण वास्तव में किसी व्यक्ति का दिन खराब कर सकते हैं। पेड़ों के पराग की तरह जो इस वसंत में आपको परेशान कर सकते हैं, हवा में तत्वों की छोटी मात्रा मनुष्य के स्वास्थ्य पर बड़ा बुरा असर डाल सकती है।
हालांकि, पराग की गणना और अन्य एलर्जी पैदा करने वालों के विपरीत, जिन्हें सावधानीपूर्वक ट्रैक किया जाता है और व्यापक रूप से उपलब्ध हैं। विकासशील देशों के शहरी क्षेत्रों में सीसा और आर्सेनिक जैसे कैंसर पैदा करने वाले तत्वों की परिवेशी मात्रा के बारे में जानकारी सीमित है।
सेंट लुइस में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के मैककेल्वे स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में हाल ही में किए गए एक प्रयास में दुनिया भर में परिवेशीय कण पदार्थ (पीएम) का विश्लेषण किया गया। ताकि इसके दो प्रमुख घटकों, खनिज धूल और तत्वों के ऑक्साइड को समझा जा सके।
तत्वों - जैसे कि सीसा और आर्सेनिक का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जबकि धूल रेगिस्तान जैसे प्राकृतिक स्रोतों और निर्माण और कृषि जैसी मानवीय गतिविधियों दोनों से उत्पन्न होती है, तत्व मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के जलने और औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसी मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्सर्जित होते हैं।
एसीएस ईएस एंड टी एयर नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने भारी तत्वों वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक महत्वपूर्ण डेटासेट और कार्यप्रणाली तैयार की। निष्कर्षों ने बांग्लादेश, भारत और वियतनाम में चिंताजनक क्षेत्रों का भी पता लगाया, जो मानव गतिविधियों के कारण होने वाले तत्व उत्सर्जन को कम करने के लिए काम करने से लाभान्वित हो सकते हैं।
शोध के हवाले से शोधकर्ता ने कहा, यह कार्य दुनिया भर के शहरी क्षेत्रों में सूक्ष्म कणों की मौलिक संरचना की निरंतर उचित तरीके से निगरानी की आवश्यकता की ओर ध्यान आकर्षित करता है। इन तत्वों के उत्सर्जन वाले स्रोतों की पहचान करने से खतरों को कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए किए जा रहे हस्तक्षेपों की जानकारी मिलेगी।
हालांकि शोधकर्ताओं ने पिछले अध्ययनों में पाया है कि 1998 से 2019 के बीच सूक्ष्म कणों से होने वाले वैश्विक वायु प्रदूषण में कमी आई है और पारंपरिक ईंधन स्रोतों को ऊर्जा के स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से बदलने जैसी रणनीतियों से पीएम प्रदूषण पर और अधिक लगाम लग सकती है।
लेकिन उनके विश्लेषण में पीएम के सांस के माध्यम से तत्वों के संपर्क में आने के बारे में चल रही चिंताओं की ओर इशारा किया गया है। टीम ने अनौपचारिक लेड-एसिड बैटरी रीसाइक्लिंग, ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग और कोयले से चलने वाले ईंट भट्टों को विशेष रूप से ढाका, बांग्लादेश में तत्वों की भारी मात्रा के योगदानकर्ता के रूप में पहचाना।
शोध टीम ने पाया कि अनियमित शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण निम्न-आय और मध्यम-आय वाले देशों में तत्वों की मात्रा विशेष रूप से अधिक है। हालांकि, इन क्षेत्रों में पीएम निगरानी नेटवर्क सबसे खराब हैं, जिससे शोधकर्ताओं को धूल और तत्वों के स्तर और उनके उत्सर्जन स्रोतों को समझने में समस्या आती है। दुनिया भर में तुलना करने के लिए समान नमूनाकरण विधियों और विश्वसनीय विश्लेषणों की आवश्यकता है।
शोधकर्ता ने शोध में कहा, हमारे बढ़ते नमूना संग्रह से धूल और तत्वों की मात्रा का बेहतर अनुमान लगाया जा सकेगा, जिससे हम स्वास्थ्य को होने वाले खतरों का अधिक सटीक आकलन कर सकेंगे और उत्सर्जन स्रोतों की गहन जांच कर सकेंगे।
एयरोसोल के लिए मल्टी-एंगल इमेजर (एमएआईए) उपग्रह मिशन के हिस्से के रूप में कुछ साइटों का चयन या स्थापना की गई है, जो विभिन्न प्रकार के वायुजनित कणों के स्वास्थ्य प्रभावों का अध्ययन करने के लिए समर्पित हैं। यह सहयोग बढ़ती नमूना आवृत्ति के साथ एक बड़ा डेटासेट प्रदान करेगा, जिससे हमें भविष्य में प्रदूषण स्रोतों की अधिक प्रभावी ढंग से पहचान करने में मदद मिलेगी।