यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया द्वारा किये गए इस शोध से पता चला है कि वायु प्रदूषण का स्तर दिमाग के शुरुआती विकास पर असर डाल सकता है। इसके साथ ही अध्ययन में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि किस तरह एक व्यस्त रोड के करीब रहना दिमाग को प्रभावित कर सकता है| यह अध्ययन अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर के ट्रांसलेशनल साइकियाट्री में प्रकाशित हुआ है। इस शोध में ट्रैफिक से होने वाले वायु प्रदूषण और दिमाग के विकास और उसमें आने वाले विकारों के सम्बन्ध की कड़ी को दिखाया गया है, जिसमें माना गया है कि वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के साथ दिमागी विकारों का जोखिम भी बढ़ता जाता है। यह अध्ययन चूहे पर किए शोध और मॉडल पर आधारित है|
इस शोध से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया में टॉक्सिकोलॉजिस्ट पॉमेला लीन ने बताया कि लम्बे समय से वायु प्रदूषण को ह्रदय और फेफड़ों से जुड़ी समस्या के रूप में ही देखा जाता था। पर पिछले एक दशक से वैज्ञानिक इसके दिमाग पर पड़ने वाले प्रभावों का भी अध्ययन कर रहे हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार इससे पहले भी बिजी रोड से हो रहे प्रदूषण और दिमागी विकास पर उसके पड़ने वाले असर को साबित किया है| जिससे ऑटिज्म जैसे विकारों की सम्भावना बढ़ जाती है| पर इस अध्ययन में वायु प्रदूषण के दिमाग पर पड़ने वाले असर और जोखिम को रियल टाइम में समझने का प्रयास किया गया है, और ऐसे शोध न के बराबर हैं|
वैज्ञानिकों के अनुसार रियल टाइम में किये शोध की मदद से दिमाग पर पड़ने वाले वायु प्रदूषण के असर को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है| क्योंकि उस समय दिमाग पर पड़ने वाले अन्य सामाजिक कारकों के असर को अलग रखा जा सकता है| उनके अनुसार इस समझना जरुरी है क्योंकि इन रास्तों के करीब रहने वाले लोगों के दिमागी विकास पर इसका गहरा असर पड़ता है| लीन के अनुसार ऐसे में गर्भवती महिलाओं और अन्य लोगों जिन पर जोखिम की सम्भावना अधिक है उन्हें पहले से ही इस बारे में सचेत किया जा सकता है| जिससे वो इससे बचने के लिए जरुरी कदम उठा सकें|
वायु प्रदूषण के जोखिम को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने चूहे पर टैस्ट किये हैं| जिनमें उन्होंने चूहे के बच्चों के दो वर्ग बनाये एक को प्रदूषित हवा के संपर्क में और दूसरे को साफ हवा के संपर्क में रखा| जिनके दिमागों का रियल टाइम में अध्ययन किया गया| जिसमें उन्होंने देखा की जो चूहे प्रदूषित हवा के संपर्क में थे, उनके दिमाग में असामान्य वृद्धि देखी गई| साथ ही उनके न्यूरोइंफ्लेमेशन में भी वृद्धि देखी गई| जिससे पता चलता है कि दिमागी विकास के दौरान यदि वो वायु प्रदूषण के संपर्क में आता है तो उससे दिमागी विकार के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है|
वायु प्रदूषण का खतरा कितना बड़ा है इस बात का अंदाजा आप इसी तथ्य से लगा सकते हैं कि दुनिया भर में हर साल तकरीबन 90 लाख लोग वायु प्रदूषण के चलते असमय मारे जाते हैं| जबकि जो बचे हैं उनके जीवन के भी यह औसतन प्रति व्यक्ति तीन साल छीन रहा है। शोध के अनुसार वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा बच्चों और बुजुर्ग व्यक्तियों पर असर डाल रहा है। स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव में इसके सबसे ज्यादा शिकार गरीब देशों के लोग बन रहे हैं। साक्ष्य मौजूद हैं वायु प्रदूषण न केवल दुनिया भर में होने वाली अनेकों मौतों के लिए जिम्मेदार है बल्कि इसके चलते लोगों के स्वास्थ्य का स्तर भी लगातार गिरता जा रहा है। आज इसके कारण दुनिया भर में कैंसर, अस्थमा जैसी बीमारियां बढ़ती ही जा रही हैं। इसके चलते शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी गिरता जा रहा है, परिणामस्वरूप हिंसा, अवसाद और आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। दुनिया भर में वायु प्रदूषण एक ऐसा खतरा है जिससे कोई नहीं बच सकता और न ही कोई इससे भाग सकता है। ऐसे में इससे बचने का सिर्फ एक तरीका है, जितना हो सके इसे कम किया जाए।