दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की आहट पर बचाव उपायों के लिए प्रयास तेज हो गए हैं। हाल ही में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने की पुष्टि के बाद दिल्ली में हवा का मिजाज बिगड़ना शुरू हो गया था। वहीं दिल्ली में आठ अक्तूबर, 2020 के बाद से लगातार दूसरे दिन वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में पाई गई। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट गठित पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने दिल्ली के अलावा हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को तत्काल कदम उठाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
ईपीसीए ने यह दिशा-निर्देश ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत दिए हैं। जीआरएपी दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए एक चरणबद्ध योजना है। यह 15 अक्तूबर से दिल्ली-एनसीआर में प्रभावी होगी।
ईपीसीए ने दिल्ली और इससे लगे हुए शहरों जैसे गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद में बुनियादी और आपात सेवाओं को छोड़कर डीजल जनरेटरों पर पाबंदी लगाने का निर्देश दिया है। साथ ही ईपीसीए की ओर से औद्योगिक व निर्माण गतिविधि संबंधी बड़ी परियोजनाओं को धूल प्रबंधन के लिए तय नियमों और मानकों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है।
ईपसीए ने कहा है कि दिल्ली मेट्रो, हाईवे और निर्माण परियोजनाओं से जुड़ी संस्थाएं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या समितियों को शपथपत्र देकर आश्वस्त करें कि उनकी परियोजनाओं से वायु प्रदूषण नहीं होगा, साथ ही प्रदूषित धूल कणों की रोकथाम के लिए सभी दिशा-निर्देशों और नियमों का पालन किया जाएगा।
ईपसीए ने उद्योगों को कहा है कि वे भी पीसीबी को शपथपत्र देकर यह आश्वासन दें कि वे सिर्फ आधिकारिक ईंधन का इस्तेमाल करेंगे और बिना प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन किए अपनी ईकाइयों का संचालन नहीं करेंगे।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक 8 अक्तूबर को 24 घंटे के औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में दिल्ली और आस-पास शहरों की वायु गुणवत्ता में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और 10 की अधिकता मानकों से ज्यादा पाई गई। दिल्ली का एक्यूआई 208 दर्ज किया गया। 201-300 एक्यूआई खराब श्रेणी में गिना जाता है। वहीं एनसीआर शहरों में गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, नोएडा और फरीदाबाद का एक्यूआई भी खराब श्रेणी में ही है। जबकि गुरुग्राम का एक्यूआई मॉडरेट स्थिति में दर्ज किया गया है।
ईपीसीए ने ठंडक के सीजन में खराब होने वाली वायु गुणवत्ता के मद्देनजर बचाव के यह दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ऐसा गौर किया गया है कि ठंड के दिनों में धूल कणों का बिखराव नहीं होता है और तापमान में गिरावट के चलते प्रदूषक तत्व सतह के बहुत करीब ही फंसे होते हैं। ऐसे में हवा की गुणवत्ता और न खराब हो इसलिए अन्य कारकों पर रोक जरूरी है। ईपीसीए ने कहा है कि यदि वायु गुणवत्ता और अधिक खराब होती है तो अन्य बचाव के कदम भी उठाए जाएंगे।
वायु गुणवत्ता के गंभीर स्थिति में पहुंचने पर एनसीआर में उन पावर प्लांट पर पाबंदी लगाई जाएगी जो 2017 के तहत उत्सर्जन मानकों पर फिट नहीं हैं। वहीं, निजी वाहनों के आवगामन को भी ग्रैप में तय नियमों के तहत रोका जाएगा। इसके अलावा पार्किंग फीस में बढ़ोत्तरी भी की जा सकती है।