प्रदूषण

केवल फेफड़े के ही नहीं बल्कि अन्य तरह के कैंसर के लिए भी जिम्मेवार है वायु प्रदूषण: शोध

शोध में, विश्लेषण के निष्कर्षों से पता चला है कि क्रोनिक पीएम2.5 और एनओ2 के सम्पर्क में आने से कोलोरेक्टल और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ गया है

Dayanidhi

हार्वर्ड टी.एच. के चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, सूक्ष्म कण वायु प्रदूषकों (पीएम2.5) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) के लगातार संपर्क में रहने से लोगों में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

लाखों स्वास्थ्य सेवा ले रहे लाभार्थियों के एक समूह के अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि, लगातार 10 सालों तक पीम2.5 और एनओ2 के संपर्क में आने से कोलोरेक्टल और प्रोस्टेट कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है।

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि वायु प्रदूषण का कम स्तर भी लोगों में स्तन और एंडोमेट्रियल कैंसर के अलावा, अन्य तरह के कैंसर की बीमारी को बढ़ा सकता है।

शोधकर्ता के मुताबिक, शोध के निष्कर्ष  बताते हैं कि, विशेष तरह के कैंसर के विकास में वायु प्रदूषण बहुत बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। हर आबादी के लिए स्वच्छ हवा की समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, हमें वायु प्रदूषण के प्रभावों को पूरी तरह से परिभाषित करना चाहिए और फिर इसे कम करने की दिशा में काम करना चाहिए। यह अध्ययन एनवायर्नमेंटल एपिडेमियोलॉजी पत्रिका में ऑनलाइन प्रकाशित किया गया है

अध्ययन के मुताबिक, वायु प्रदूषण को फेफड़ों के कैंसर के लिए एक खतरे के रूप में देखा जाता है, अब स्तन कैंसर के खतरों का संबंध भी उभर कर सामने आया है, कुछ अध्ययनों ने प्रोस्टेट, कोलोरेक्टल और एंडोमेट्रियल कैंसर के खतरों पर इसके प्रभावों को देखा है।

शोधकर्ताओं ने 2000 से 2016 तक एकत्र किए गए 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा ले रहे लाभार्थियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। अध्ययन अवधि के कम से कम शुरुआती 10 वर्षों के दौरान सभी कैंसर मुक्त थे।

शोधकर्ताओं ने हर तरह के कैंसर - स्तन, कोलोरेक्टल, एंडोमेट्रियल और प्रोस्टेट के लिए अलग-अलग समूह बनाए, जिनमें प्रत्येक समूह में 22 से 65 लाख लोग शामिल थे। अलग-अलग विश्लेषणों में उम्र, लिंग (केवल कोलोरेक्टल कैंसर के लिए), नस्ल और जातीयता, औसत बीएमआई और सामाजिक आर्थिक स्थिति सहित सभी कारणों के आधार पर विभिन्न उपसमूहों के लिए वायु प्रदूषकों के प्रभाव के तहत कैंसर के खतरे को देखा गया।

वायु प्रदूषण के विभिन्न प्रकार के आंकड़ों के स्रोतों से, शोधकर्ताओं ने पूरे अमेरिका में पीम2.5 और एनओ2 की मात्रा का एक पूर्वानुमानित मानचित्र विकसित किया। इसके बाद इसे लाभार्थियों के आवासीय पिन कोड से जोड़ा गया, ताकि शोधकर्ता 10 साल की अवधि में व्यक्तिगत खतरे का अनुमान लगा सकें।

पूरे देश के विश्लेषण के निष्कर्षों से पता चला है कि क्रोनिक पीएम2.5 और एनओ2 के सम्पर्क में आने से कोलोरेक्टल और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ गया है, लेकिन यह एंडोमेट्रियल कैंसर के खतरे से नहीं जुड़ा है। स्तन कैंसर के लिए, एनओ2 का खतरा कम था, जबकि पीम 2.5 के से इसका संबंध साफ नहीं था। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि मिश्रित संबंध पीम 2.5 की रासायनिक संरचना में भिन्नता के कारण हो सकता है, जो ठोस और तरल कणों का एक जटिल मिश्रण है।

जब विश्लेषण उन क्षेत्रों तक सीमित था जहां वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानकों से काफी नीचे था और पीएम2.5 की संरचना काफी स्थिर थी, तो स्तन कैंसर के खतरे पर उनका प्रभाव अधिक स्पष्ट था। कम प्रदूषण स्तर पर दोनों प्रदूषकों के संपर्क और एंडोमेट्रियल कैंसर के खतरे के बीच मजबूत संबंध भी पाए गए।

उपसमूहों द्वारा खतरे के अपने विश्लेषण में, शोधकर्ताओं को ऐसे साक्ष्य मिले जो बताते हैं कि उच्च औसत बीएमआई वाले समुदायों को एनओ2 के संपर्क से सभी चार तरह के कैंसर के असमान रूप से अधिक खतरे का सामना करना पड़ सकता है। काले अमेरिकियों और मेडिकेड में नामांकित लोग कैंसर के जोखिम (प्रोस्टेट) के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं और स्तन कैंसर पीम2.5 के सम्पर्क में आने से हो सकता है।

शोधकर्ताओं को पता चला कि, यहां तक कि स्वच्छ हवा वाली आबादी भी कैंसर के खतरे से सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के नए दिशानिर्देशों के नीचे प्रदूषण स्तर पर भी दो प्रदूषकों के संपर्क और सभी चार कैंसर के खतरों के बीच पर्याप्त संबंध पाए।