प्रदूषण

जानलेवा वायु प्रदूषण: यूरोप में सालाना 2.53 लाख मौतों की वजह बना पीएम 2.5

Lalit Maurya

भारत ही नहीं बढ़ते वायु प्रदूषण से यूरोप भी त्रस्त है, जो हर साल वहां लाखों जिंदगियों को लील रहा है। यूरोपियन एनवायरनमेंट एजेंसी (ईईए) ने 24 नवंबर 2023 को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि यूरोप में 2021 के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानकों से कहीं ज्यादा दर्ज किया गया।

आंकड़ों के अनुसार इस दौरान प्रदूषण के महीन कणों (पीएम2.5) के संपर्क में आने से यूरोप में 253,000 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) ने भी 52,000 जिंदगियों को लील लिया था। यदि 2020 से तुलना करें तो इस आंकड़े में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जहां नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) के लिए 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के स्तर को सुरक्षित माना है।

ऐसे में रिपोर्ट के मुताबिक यदि डब्ल्यूएचओ द्वारा तय मानकों का पालन किया जाता तो यूरोप में इन जिंदगियों को बचाया जा सकता था। इतना ही नहीं मानकों का पालन  करने से ओजोन (ओ3) के संपर्क में आने से होने वाली 22,000 मौतों को भी टाला जा सकता था। रिपोर्ट के अनुसार यूरोप में ओजोन प्रदूषण के लिए परिवहन और औद्योगिक गतिविधियां जैसे कारक जिम्मेवार थे।

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पीएम 2.5 के लिए पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का मानक तय किया है। डब्लूएचओ के अनुसार इससे ज्यादा दूषित हवा में सांस लेने से बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि इस लिहाज से देखें तो दुनिया के केवल 0.18 फीसदी हिस्से में वायु गुणवत्ता का स्तर इससे बेहतर है।

बता दें कि प्रदूषण के बेहद महीन कणों को पीएम2.5 कहा जाता है, जिनका व्यास आम तौर पर 2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटा होता है। यह कण कार या थर्मल पावर प्लांट से उत्सर्जित होने वाले महीन कण होती है। अपने बेहद छोटे आकार की वजह से यह कण सांसों और फेफड़ों में बेहद गहराई तक पहुंच सकते हैं, जिसकी वजह से ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में पीएम 2.5 की वजह से यूरोप में 238,000 लोगों को असमय मृत्यु हो गई थी। वहीं 2021 में यह आंकड़ा 6.3 फीसदी की  वृद्धि के साथ बढ़कर 2.53 लाख पर पहुंच गया था। हालांकि इसके विपरीत यदि 2005 से 2021 के आंकड़ों की तुलना करें तो यूरोप में पीएम 2.5 से होने वाली मौतों में 41 फीसदी की गिरावट आई है।

वायु प्रदूषण को देखें तो वो यूरोप में स्वास्थ्य के लिए सबसे प्रमुख पर्यावरणीय जोखिमों में से एक है। जो सांस और ह्रदय सम्बन्धी रोगों के साथ-साथ लोगों की जीवन गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रहा है।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कुछ प्रदूषकों के कारण होने वाली विशिष्ट बीमारियां स्वास्थ्य के लिए कहीं ज्यादा घातक हो सकती हैं। उदाहरण के लिए पीएम2.5 की वजह से हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। इसी तरह नाइट्रोजन डाइऑक्साइड मधुमेह से जुड़ा है।

वायु प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य पर किस हद तक असर डालेगा यह उससे जुड़ी बीमारी पर भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए हृदय संबंधी समस्याएं और फेफड़ों के कैंसर जैसी कुछ बीमारियों के चलते लोगों की मृत्यु होने का जोखिम अधिक होती है। वहीं अस्थमा जैसी बीमारियां लोगों को लम्बे समय के लिए बीमार बना सकती हैं। ऐसे में वायु प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य को कितना नुकसान पहुंचा सकता है, यह समझने के लिए दोनों पर गौर करना जरूरी है।