प्रदूषण

गोवा के घरों में पेयजल में मिले 26 तरह के सूक्ष्म प्लास्टिक कण, प्रदूषित पानी पीेने को लोग मजबूर : टॉक्सिक लिंक

नमूनों में सबसे ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक का स्तर गोवा के मापुसा में पाया गया, इसके बाद मार्सेल, फिर ओपा और मार्गो व पणजी, ओसोनोरा, कोनकोना और फिर सलाउलिम में मिला है।

Vivek Mishra

गोवा के लोग शायद पानी के साथ प्लास्टिक का भी सेवन कर रहे हैं। यह चौंकाने वाला है लेकिन यह एक हकीकत है। दिल्ली स्थित गैर सरकारी संस्था टॉक्सिक लिंक ने अपने ताजा अध्ययन में इसकी पुष्टि की है। अध्ययन में गोवा के रिहायशी इलाकों से लिए गए कुल 288 टैप वाटर के नमूनों में 26 तरीके के सूक्ष्म और खतरनाक प्लास्टिक कणों की मौजूदगी मिली है। 

आपूर्ति वाले पेयजल में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी यह दर्शा रहा है कि पानी के स्रोतों तक प्रदूषण जारी है और प्रदूषण की रोकथाम करने वाली एजेंसियां इसे रोकने में विफल हैं।   

टॉक्सिक लिंक की ताजा रिपोर्ट क्लीन ड्रिंकिंग वाटर : ए पाइप ड्रीम में बताया गया है कि गोवा के पाइप वाले नलों (टैप वाटर) से पानी में सूक्ष्म प्लास्टिक (माइक्रोप्लास्टिक) के कण भी मौजूद हैं। यह अध्ययन मार्गो, पणजी, मापुसा, मार्सेल और कैनकोना के साथ गोवा के वाट ट्रीटमेंट प्लांट के नमूनों पर आधारित है। इन सभी जगहों के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक मिला है। 

माइक्रोप्लास्टिक ऐसे प्लास्टिक कण हैं जो 5 मिलीमीटर से भी कम आकार के होते हैं। इन्हें नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता। दुनियाभर में समुद्रों के पारिस्थितिकी के लिए इसे एक बड़ा प्रदूषक और खतरा माना जा रहा है। पीओपी और अन्य हाइड्रोफोबिक प्रदूषक, भारी धातु और रोगाणु जीवों के साथ यह भी एक बड़ा खतरा है। 

नमूनों में सबसे ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक का स्तर गोवा के मापुसा में पाया गया, इसके बाद मार्सेल, फिर ओपा और मार्गो व पणजी, ओसोनोरा, कोनकोना और फिर सलाउलिम में मिला है।  

टॉक्सिल लिंक की रिसर्चर प्रीती महेश कहती हैं कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है। इन सूक्ष्म प्लास्टिक कणों का मानवों की सेहत पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। टैप वाटर में आने वाले माइक्रोप्लास्टिक को मानव की इंद्रिया नहीं जान सकती हैं। और संभव है कि वह इसे पी लेती हों। 

पानी के नमूनों की जांच गोवा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसिनोग्राफी (एनआईओ) ने किया है। 

इस अध्ययन के मुख्य शोधार्थी डॉ महुआ साहा (एनआईओ) ने कहा कि गोवा में पानी का मुख्य स्रोत नदियां हैं। वहीं शोधन से पहले ही कुछ नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी मिली है जो यह दर्शाता है कि नदियों में ही माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है। इससे यह भी अंदाजा मिलता है कि प्लास्टिक प्रदूषण जारी है और वह सीधा नदियों और पानी के मुख्य स्रोतों में पहुंच रहा है। नमूनों में जो माइक्रोप्लास्टिक मिले हैं उनका आकार < 20 μm से 1000 μm तक पाया गया। हालांकि 100 μm से छोटे माइक्रोप्लास्टिक सर्वाधिक हैं। पानी नमूनों में सबसे ज्यादा प्लास्टिक फाइबर के कण पाए गए।

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के मुकाबले टैप वाटर के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक के कण अधिक मिले हैं, जिसका कारण यह हो सकता है कि शोधित जल पीवीसी पाइपों के जरिए आपूर्ति किया गया हो।