प्रदूषण

संसद में आज: 130 शहरों की हवा सुधारने के लिए 17,600 करोड़ जारी किए गए

कुनो नेशनल पार्क में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए आठ चीतों की मौत हो गई है

Madhumita Paul, Dayanidhi

देश के भूजल में फ्लोराइड

आज संसद में उठाए गए एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए, जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने राज्यसभा में कहा कि जल जीवन मिशन (जेजेएम) के शुभारंभ के बाद से, मिशन के तहत किए गए प्रयासों के कारण, फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों की संख्या अगस्त, 2019 में 7,996 से घटकर छह दिसंबर, 2024 तक 255 हो गई है। इसके अलावा शेष सभी 255 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में, सामुदायिक जल शोधन संयंत्रों (सीडब्ल्यूपीपी) व आईएचपी के माध्यम से खाना पकाने और पीने की आवश्यकताओं के लिए सुरक्षित पेयजल का प्रावधान किया गया है।

मंत्री ने कहा, तदनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए, राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, 30 सितंबर, 2024 तक, कार्यक्रम के तहत फ्लोरोसिस स्थानीय जिलों में समुदाय में लगभग 3.89 लाख व्यक्तियों की जांच की गई है, जिनमें से लगभग 8.4 फीसदी लोगों में दंत फ्लोरोसिस का संदेह है।

उत्तर प्रदेश में मध्याह्न भोजन योजना का ऑडिट

संसद में उठाए गए एक सवाल के जवाब में शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने लोकसभा में उत्तर प्रदेश सरकार से प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण) योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी 75 जिलों में साल 2022-23 के लिए 1500 स्कूलों में और वर्ष 2023-24 के लिए 1575 स्कूलों में सामाजिक ऑडिट किया गया और यह प्रक्रिया चालू वर्ष 2024-25 में भी जारी है।

उन्होंने बताया कि सामाजिक ऑडिट के प्रमुख निष्कर्ष सीतापुर, लखीमपुर खीरी, मऊ, गोंडा और बलरामपुर जिलों में पर्याप्त रिकॉर्ड नहीं मिला। वहीं, लखीमपुर और हरदोई जिलों में दस्ताने और एप्रन की अनुपलब्धता पाई गई। राज्य सरकार ने बताया है कि सामाजिक ऑडिट के दौरान पाई गई कमियों को दूर करने के लिए कार्रवाई की गई है।

देश में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए धनराशि

देश में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए धनराशि को लेकर पूछे गए एक प्रश्न की उत्तर में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोकसभा में बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) मंत्रालय द्वारा जनवरी 2019 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य 24 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के महानगरीय शहरों सहित 130 शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार करना था।

130 शहरों के लिए 19,611 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसमें वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए 15वें वित्त मिलियन प्लस सिटी चैलेंज फंड (एमपीसीसीएफ) शहरों को 16,539 करोड़ रुपये का आवंटन और वित्त वर्ष 2019-20 से 2025-26 की अवधि के लिए एमओईएफसीसी की प्रदूषण नियंत्रण योजना के माध्यम से शेष 82 शहरों को 3072 करोड़ रुपये का आवंटन शामिल है। संबंधित शहरों में वायु प्रदूषण में कमी के लक्ष्यों को हासिल करने के आधार पर 11,211.13 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

कार्यक्रम के तहत किए गए प्रयासों के कारण, 130 शहरों में से 97 शहरों ने वित्त वर्ष 2017-18 के स्तर के संबंध में वित्त वर्ष 2023-24 में वार्षिक पीएम10 की मात्रा के संदर्भ में वायु गुणवत्ता में सुधार दिखा है। 55 शहरों ने 2017-18 के स्तर के संबंध में 2023-24 में पीएम10 के स्तर में 20 फीसदी और उससे अधिक की कमी हासिल की है। यादव ने कहा कि 18 शहरों ने वित्त वर्ष 2023-24 में पीएम10 के लिए राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएकएस) को पूरा किया है।

भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन

आज सदन में उठाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत में कुल 4136188.83 टन कचरा उत्पन्न हुआ

सिंह ने कहा, जैसा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एसबीएम (जी) की एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) पर बताया है, वर्तमान में 978 प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयां (पीडब्लूएमयू) चालू हैं।

कुनो नेशनल पार्क में स्थानांतरित चीतों की निगरानी

चीतों को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा कि नामीबिया से आठ चीते और दक्षिण अफ्रीका से बारह चीते कुनो में स्थानांतरित किए गए हैं। इन कुल बीस चीतों में से, नामीबिया के चार और दक्षिण अफ्रीका के चार चीते मर गए हैं।

चीतों की मौत विभिन्न प्राकृतिक कारणों जैसे कि टिक के घावों से उत्पन्न सेप्टीसीमिया, गुर्दे की कमी, अंतर-विशिष्ट आक्रामकता और डूबने से हुई है।

देश में आर्सेनिक उन्मूलन

सदन में पूछे गए एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने राज्यसभा में कहा कि जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत, अंतरिम उपाय के रूप में, राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष रूप से आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में सामुदायिक जल शोधन संयंत्र (सीडब्ल्यूपीपी) स्थापित करने की सलाह दी गई है, ताकि हर घर को उनकी पीने और खाना पकाने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जा सके।

जेजेएम के शुभारंभ के बाद से, राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा रिपोर्ट की गई, पिछले कुछ वर्षों में आर्सेनिक प्रभावित बस्तियों की संख्या अगस्त, 2019 में 14,020 से घटकर 04/12/2024 तक 314 हो गई है। इसके अलावा, सभी शेष 314 आर्सेनिक प्रभावित बस्तियों में खाना पकाने और पीने की आवश्यकताओं के लिए सुरक्षित पेयजल का प्रावधान उपलब्ध कराया गया है।