General Elections 2019

देश की राजधानी से सटे शहरों में भी चुनाव के बहिष्कार की तैयारी

दूरदराज के गांव ही नहीं, बल्कि देश की राजधानी से सटे शहरों में भी जन प्रतिनिधियों के प्रति गुस्सा है, जिसका इजहार ये लोग चुनाव बहिष्कार या नोटा का बटन दबा कर करने की तैयारी में हैं।

Raju Sajwan

अब तक चुनावों के बहिष्कार की खबरें दूरदराज के गांवों से ही आती थीं, लेकिन इस बार देश की राजधानी से सटे शहरों में भी पढ़े लिखे लोग भी चुनाव के बहिष्कार की धमकी दे रहे हैं। इन लोगों की समस्याएं अलग-अलग हैं, लेकिन जन प्रतिनिधियों के झूठे वादों की वजह से गुस्सा एक जैसा है। कई लोग नोटा (नन ऑफ द अबव, उपरोक्त में से कोई नहीं) का बटन दबाने की धमकी दे रहे हैं तो कई लोगों का कहना है कि वे वोट मांगने वाले नेताओं से एफिडेविट (शपथ पत्र) लेंगे,  ताकि बाद में वादे याद दिलाए जा सकें और वादे पूरे न होने पर अदालत का दरवाजा खटखटाया जा सके।

दिल्ली से सटे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के शहरों की बड़ी समस्या यह है कि यहां बिल्डर्स ने अपार्टमेंट्स के नाम पर लोगों से पैसा तो ले लिया, लेकिन उन्हें घर बना कर नहीं दिए। ये घर खरीदार कई सालों से अपना घर पाने के लिए भटक रहे हैं। इनमें कई ऐसे भी हैं, जिन्हें पूरा पैसा जमा कराए पांच से आठ साल हो गए, लेकिन अब तक उन्हें घर नहीं मिला। ये लोग हर राजनीतिक दल और सरकार के पास अपना दुखड़ा रो चुके हैं। सत्ताधारी हों या विपक्षी, सभी नेता उन्हें आश्वासन तो देते हैं, लेकिन होता कुछ नहीं। इन लोगों ने इस बार चुनावों के बहिष्कार की घोषणा की है।

घर नहीं तो वोट नहीं

नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट ऑनर्स एंड मेंबर्स एसोसिएशन (नेफोमा) के अध्यक्ष अन्नू खान ने ‘डाउन टू अर्थ’ को बताया कि नोएडा के अलग-अलग इलाकों में लगभग एक लाख फ्लैट्स ऐसे हैं, जो अधूरे पड़े हैं या बनने शुरू ही नहीं हुए। इन फ्लैट्स के खरीदार सालों से भटक रहे हैं। राज्य व केंद्र की दोनों सरकारों के नेताओं ने आश्वासन दिया था कि उनको घर दिलाएं जाएंगे, लेकिन सत्ता में आने के बाद इस दिशा में कुछ ठोस नहीं किया। इसलिए इस बार नेफोमा ने ‘घर नहीं तो वोट नहीं’ अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान को घर खरीदारों का तो समर्थन मिल ही रहा है, बल्कि उन लोगों का भी समर्थन मिल रहा है, जो बिल्डर्स के बनाएं अपार्टमेंट्स में रहने को तो आ गए, लेकिन सुविधाएं न होने के कारण उनका रहना मुश्किल हो गया है। हालांकि वह अभी यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि लगभग कितने लोग वोट नहीं देंगे, लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि घर खरीदार इतना आजिज आ गए हैं कि वे या तो वोट नहीं देंगे या नोटा का बटन दबाकर राजनीतिक दलों को सबक सिखाने का मन बना रहे हैं।

गाजियाबाद में लगे बैनर 

उधर, गाजियाबाद के मोहन नगर इलाके की पाशर्वनाथ पैराडाइज सोसायटी ने अपनी कालोनी के गेट पर बाकायदा नोटा का बटन दबाने की धमकी भरा बैनर लगा दिया है। बैनर में लिखा है कि 1100 फ्लैटों वाली इस सोसायटी के लोग नोटा का बटन दबाएंगे। इन लोगों का कहना है कि उनकी सोसायटी में कई-कई दिन तक पीने का पानी आता। इतना ही नहीं, सोसायटी में सीवर के पानी की निकासी ही नहीं है। सीवर का पानी गलियों में बहता रहता है। इसलिए सोसायटी के लोग नोटा का बटन दबाएंगे।

उम्मीदवारों से मांगेंगे शपथ पत्र 

नेताओं के झूठे वादे से नाराज लोगों ने एक और नया रास्ता निकाल लिया है। बीते शनिवार को साहिबाबाद के ट्रांस हिंडन इलाके की हाईराइज सोसायटीज के संयुक्त संगठन एसोसिएशन ऑफ फेडरेशन ऑफ अपार्टमेंट ऑनर्स (फेड-एओए) की बैठक में निर्णय लिया गया कि जो भी नेता वोट मांगने आएगा, उनसे एफिडेविट लिया जाएगा, जिसमें उनसे कहा जाएगा कि एक तय सीमा के भीतर उनकी समस्याओं के समाधान का वादा करें।

इस फेडरेशन में इंदिरा पुरम, क्रॉसिंग रिपब्लिक, वैशाली, वसुंधरा, राज नगर एक्सटेंशन आदि के 112 हाईराइज सोसायटीज शामिल हैं। इन लोगों का कहना है कि उनके एरिया में सरकारी अस्पताल, सेंट्रल अस्पताल, वृद्ध आश्रम, लाइब्रेरी, अनाथालय आदि नहीं हैं। फेडरेशन का कहना है कि यदि उनके कोई नेता उनको शपथ पत्र नहीं देता है तो वे नोटा का बटन दबाएंगे। और यदि कोई उम्मीदवार शपथ पत्र देता है और तय समय में वादों को पूरा नहीं करता है तो वे शपथ पत्र के आधार पर अदालत में जन हित याचिका दायर की जा सके।

अभिभावक भी आगे आए 

प्राइवेट स्कूलों की फीस से परेशान अभिभावक भी जन प्रतिनिधियों पर दबाव बनाने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते। गाजियाबाद की ऑल स्कूल्स पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष शिवानी जैन का कहना है कि स्कूल संचालक अपनी मनमर्जी से फीस बढ़ा देते हैं, इसके अलावा असुरक्षित स्कूल ट्रांसपोर्ट, स्कूलों की असुरक्षित बिल्डिंगों जैसे मुद्दे हम पहले से उठाते रहे हैं, लेकिन स्कूल संचालक हमारी बात सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए हमने फैसला लिया है कि अब जो भी उम्मीदवार हमसे वोट मांगने आएगा, उन्हें हमारी मांगों को पूरा करने का लिखित शपथ पत्र देना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम या तो वोट नहीं करेंगे या नोटा का बटन दबाएंगे।