आपदा

संसद में आज: सरकार ने माना, बाढ़ और चक्रवातों की संख्या में भारी वृद्धि

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में बताया कि वायु प्रदूषण के कारण मृत्यु / बीमारी का सीधा संबंध स्थापित करने के लिए कोई निर्णायक आंकड़े उपलब्ध नहीं है।

Madhumita Paul, Dayanidhi

विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि पिछले वर्षों के दौरान देश में चक्रवात और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि देखी गई है।

यह पाया गया है कि पिछले दो दशकों ( 2000-2018) के दौरान उत्तर हिंद महासागर (एनआईओ) में मानसून के बाद (अक्टूबर-दिसंबर) मौसम के बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान (वीएससीएस) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसी अवधि के दौरान, अरब सागर के ऊपर अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान (ईएससीएस) की आवृत्ति में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, हर रोज स्थानीय आधार पर भारी बारिश की आवृत्ति में वृद्धि हुई है, जिसने भारत में बाढ़ के खतरे को बढ़ा दिया है, जिससे शहरी इलाकों में बार-बार बाढ़ आने में वृद्धि हुई है।

किसानों द्वारा आत्महत्या

गृह मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) अपने प्रकाशन 'एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया' (एडीएसआई) शीर्षक में आत्महत्याओं पर जानकारी देती है। कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में बताया कि एनसीआरबी ने 2019 तक की रिपोर्ट प्रकाशित की है जो वेबसाइट पर उपलब्ध है।

तोमर द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2018 में आत्महत्या की दर 5763 बढ़कर 2019 में 5957 हो गई है।

जैव चिकित्सा अपशिष्ट

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2017 से 18, 2018 से 19 और 2019 से 20 के दौरान देश में उत्पन्न गैर-कोविड कचरा 531 टन / प्रति दिन (टीपीडी), 608 टीपीडी अनुमानित है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/प्रदूषण नियंत्रण समितियों (एसपीसीबी/पीसीसी) द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर क्रमश 615 टीपीडी है।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज लोकसभा में बताया कि कोविड-19 बीएमडब्लू ऐप के माध्यम से एकत्र जानकारी के अनुसार, जून 2020 से जून 2021 के बीच कुल 56,898.14 टन कोविड-19 संक्रमित कचरा उत्पन्न हुआ। 

कोविड-19 के सीरो सर्वे

कोरोना वायरस एंटीबॉडी के प्रसार को निर्धारित करने के लिए आईसीएमआर  द्वारा कोविड-19 राष्ट्रीय सीरो सर्वेक्षण के चार दौर आयोजित किए गए हैं। आईसीएमआर ने 14 जून, 2021 और 6 जुलाई, 2021 के बीच कोविड-19 राष्ट्रीय सीरो सर्वेक्षण के चौथे दौर का आयोजन किया, जिसमें 6 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों, वयस्कों और स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों में सीरो प्रसार का अनुमान लगाया गया था। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में बताया कि पिछले तीन सीरो सर्वेक्षणों के दौरान चुने गए 20 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 70 जिलों में सर्वेक्षण किया गया था।

कई राज्यों और शहरों ने सीरो सर्वे किया है। पवार ने कहा कि दिल्ली, मुंबई, पुणे, चेन्नई, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे महानगरों ने अलग-अलग समय बिंदुओं पर 17.6 फीसदी से 56 फीसदी के बीच सीरो प्रसार के बारे में जानकारी दी है।

कई राज्यों और शहरों ने सीरो सर्वे किया है। पवार ने कहा कि दिल्ली, मुंबई, पुणे, चेन्नई, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे महानगरों ने अलग-अलग समय बिंदुओं पर 17.6 फीसदी से 56 फीसदी के बीच सीरो प्रसार की सूचना दी है।

वायु प्रदूषण से होने वाली असामयिक मौतों की संख्या आंकड़े उपलब्ध नहीं

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में बताया कि वायु प्रदूषण के कारण मृत्यु / बीमारी का सीधा संबंध स्थापित करने के लिए कोई निर्णायक आंकड़े उपलब्ध नहीं है।

वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी बीमारियों और संबंधित बीमारियों को प्रभावित करने वाले कई कारकों में से एक है। चौबे ने कहा कि स्वास्थ्य कई कारकों से प्रभावित होता है जिसमें पर्यावरण के अलावा भोजन की आदतें, व्यावसायिक आदतें, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, चिकित्सा इतिहास, प्रतिरक्षा, आनुवंशिकता आदि शामिल हैं।

कृषि उपज की खरीद के लिए किसानों के बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण

ग्रामीण विकास और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने आज राज्यसभा में बताया कि केंद्र सरकार एमएसपी के तहत केंद्रीय पूल में गेहूं और चावल की खरीद के लिए किसानों के बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण की शुरुआत के लिए राज्यों को प्रोत्साहित कर रही है।

अधिकांश राज्य सरकारों ने पहले ही अपनी ऑनलाइन खरीद प्रणाली विकसित कर ली है जो किसानों को उचित पंजीकरण और वास्तविक खरीद की निगरानी के माध्यम से पारदर्शिता और सुविधा प्रदान करती है। इस ऑनलाइन खरीद प्रणाली के माध्यम से किसानों को भुगतान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया जाता है।