आपदा

बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर सकती है यह प्रणाली

शोधकर्ताओं ने कहा कि मौसम विज्ञान और हाइड्रोलॉजी के सही तरीके से अवलोकन, तकनीक, माप और मॉडलिंग के आंकड़े साझा किए जाए, तो बाढ़ से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

Dayanidhi

दुनिया भर में बाढ़ से हर साल करोड़ों के जान-माल का नुकसान होता है, बाढ़ को पूरी तरह से रोका तो नहीं जा सकता, मगर इससे निपटने की तैयारी की जा सकती है, ताकि नुकसान से बचा जा सके। इसी को लेकर अब एक अंतरराष्ट्रीय शोध टीम ने बताया है कि दुनिया भर में जमीनी आधार पर पूर्वानुमान लगा कर बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने के लिए एक प्रणाली की जरूरत है।

शोधकर्ता प्रोफेसर हुआन वू ने कहा कि दुनिया भर में बाढ़ से निपटने के लिए स्थानीय हाइड्रो-माटेरोलॉजिकल समाधान (ग्लोकल-ग्लोबल टू लोकल-हाइड्रोमेटेरोलॉजिकल सॉल्यूशन) की बेहतर तैयारियों को और विभिन्न प्रकार की वर्षा से आने वाली बाढ़ के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। बाढ़ हर साल बड़े पैमाने पर चीन, भारत और अमेरिका जैसे कई देशों में आती है। प्रोफेसर वू, सन यात-सेन विश्वविद्यालय के जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदा अध्ययन और वायुमंडलीय विज्ञान के प्रोफेसर हैं।

हाइड्रोमेटोरोलॉजी: मौसम विज्ञान और जल विज्ञान की एक शाखा है जिसमें भूमि की सतह और निचले वातावरण के बीच पानी और ऊर्जा के हस्तांतरण का अध्ययन किया जाता है।

वू के अनुसार इस तरह के समाधान, शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए वैश्विक बाढ़ के लिए स्थानीय-हाइड्रोमाटेरोलॉजिकल समाधान (जीएचएस-एफ) हैं,  ये प्रणाली वैज्ञानिक अनुसंधान और बाढ़ से निपटने के लिए आवश्यक है। एक जीएचएस-एफ व्यापक रूप से मौसम के पूर्वानुमानों को इस समझ के साथ जोड़ सकता है कि कैसे बारिश के बढ़ने से नदी के तटों में इसका पानी फैल सकता है और साथ ही लगातार बारिश और बाढ़ की सही जानकारी दी जा सकती है। 

वू ने बारिश और बाढ़ के बीच के जटिल संबंधों की ओर इशारा करते हुए यह तर्क दिया कि यदि मौसम विज्ञान और हाइड्रोलॉजिकल वर्ग ने इसका सही तरीके से अवलोकन, तकनीक, माप और मॉडलिंग के आंकड़े साझा किए, तो बाढ़ से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से मध्य-पूर्वी और दक्षिणी चीन में 2020 में 20 मई से 18 जुलाई तक बाढ़ की घटनाओं के बारे में पता लगाया। इन महीनों में, यांग्त्ज़ी नदी में बाढ़ आ गई थी इस इलाके में पिछले 60 वर्षों में औसत मात्रा की तुलना में 49 फीसदी अधिक बारिश हुई थी। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस अवधि की सात प्रमुख बारिश की घटनाओं ने 27 प्रांतों में लगभग 4 करोड़ लोगों को प्रभावित किया, 141 लोगों की मौत या लापता होने के बारे में पता चला। यह शोध एडवांसेज इन एटमोस्फियरिक साइंसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

वू ने कहा बाढ़ की घटनाओं, विकास, सीमा में बदलाव और स्थानीय विस्तार के साथ वैश्विक या राष्ट्रीय पैमाने पर बाढ़ से अधिक खतरे वाले क्षेत्रों  का पता लगाया जाना चाहिए। हमें चाहिए कि बाढ़ प्रबंधन और इससे निपटने के लिए राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां एक दूसरे के साथ तालमेल करें।

वू ने कहा एक जीएचएस-एफ का पहली बार लगभग 10 साल पहले सुझाव दिया गया था, लेकिन बेजोड़ कंप्यूटिंग क्षमता और समय पर आंकड़ों  की उपलब्धता, साथ ही वर्तमान युग के मॉडल और आंकड़ों का अंतर इस तरह के समाधान की आवश्यकता को बढ़ा देता है।

शोधकर्ताओं ने सूचना और खतरों के आकलन के लिए इस उपकरण का उपयोग करने के बारे में सुझाव दिया है। इससे आपातकालीन समय में प्रबंधन और अन्य निर्णय लेने वालों के विश्वास को बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। वास्तविक समय में जमीन और रिमोट-सेंसिंग साधनों से जल स्तर का आकलन करके जीएचएस-एफ में जमीनी तौर पर कार्य करने की योजना बनाई गई है।