आपदा

भारत का 34 प्रतिशत समुद्र तट और पश्चिम बंगाल में 60 प्रतिशत से ज्यादा समुद्र तट कटाव से प्रभावित

देश के पूर्वी और पश्चिमी तट का 2,318 किलोमीटर क्षेत्र कटाव से प्रभावित है

Bhagirath

वैश्विक तापमान के कारण दुनियाभर में समुद्र का स्तर बढ़ने से तटीय क्षेत्रों में कटाव बढ़ रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। देश के पूर्वी और पश्चिमी तट का 2,318 किलोमीटर क्षेत्र कटाव से प्रभावित है।

लोकसभा में अपराजिता सारंगी द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने बताया कि पूर्वी और पश्चिमी तट के कुल 6,907 किलोमीटर क्षेत्र का 33.6 प्रतिशत हिस्सा समुद्र के कटाव से प्रभावित है।

देश के पश्चिमी तट में गुजरात, दमन व दीव, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल तथा पूर्वी तट में तमिलनाडु, पुद्दुचेरी, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिमी बंगाल का तटीय क्षेत्र शामिल है। जितेंद्र सिंह ने अपने उत्तर में बताया है कि सर्वाधिक 60.5 प्रतिशत कटाव पश्चिम बंगाल में हो रहा है। यहां कुल 534.34 किमीमीटर के तटीय क्षेत्र में से 323.07 किलोमीटर का क्षेत्र कटाव से प्रभावित है।

दूसरे स्थान पर पुद्दुचेरी है जहां 56.2 प्रतिशत तटीय क्षेत्र इस स्थिति में है। केरल और तमिलनाडु में क्रमश: 46.4 (275.33 किलोमीटर) और 42.7 प्रतिशत (422.94 किलोमीटर) क्षेत्र कटावग्रस्त है। आंकड़ों के अनुसार, सबसे बेहतर स्थित गोवा की है जहां 19.2 प्रतिशत (26.82 किलोमीटर) क्षेत्र कटाव से प्रभावित है।  

जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छही आकलन रिपोर्ट (एआर6) के अनुसार, अगर ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बहुत कम होता है तो 1995-2010 की तुलना में 2100 तक समुद्र का औसत स्तर 0.28-0.55 मीटर बढ़ने का अनुमान है। मध्यम उत्सर्जन की स्थिति में समुद्र के स्तर में 0.44-0.76 मीटर और अत्यधिक उत्सर्जन की स्थिति में समुद्र के स्तर में 0.98-1.88 मीटर तक वृद्धि संभावित है।  

तटीय क्षेत्रों में कटाव की वजह से देश और दुनिया का बड़ा हिस्सा समुद्र में समा रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर विस्थापन हो रहा है। मंत्री ने अपने जवाब में बताया है कि 34 प्रतिशत समुद्र तट पर कटाव का अलग-अलग स्तर है। 26 प्रतिशत पर यह बढ़ती प्रवृत्ति का है और बाकी 40 प्रतिशत पर कटाव की स्थिति स्थिर है। मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि वर्तमान में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) शमन उपायों के लिए उपयुक्त मापदंड तैयार करने और लोगों के व्यापक विस्थापन से निपटने के लिए एक नीति तैयार कर रहा है।