आपदा

भयंकर चक्रवाती तूफान 'मोका' ने हिलाया पश्चिमी म्यांमार

Dayanidhi

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, अत्यधिक प्रचंड चक्रवाती तूफान "मोका" उत्तरी म्यांमार-दक्षिणपूर्व बांग्लादेश के तटों को, म्यांमार के क्यौकप्यू और बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के बीच म्यांमार के सित्तवे के उत्तर को पार कर गया है।

यह भयंकर चक्रवाती तूफान के रूप में 14 मई को भारतीय समयानुसार 12:30 बजे से 14: 30 बजे के दौरान 180 से 190 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़कर 210 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा था।

यह 14 मई को भारतीय समयानुसार 17:30 बजे म्यांमार के ऊपर एक बहुत ही गंभीर चक्रवाती तूफान में कमजोर पड़ा, उसके बाद म्यांमार के ऊपर भारतीय समय के मुताबिक यह 20 30 बजे एक गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल गया।

यह आज, 15 मई को भारतीय समयानुसार 02:30 बजे म्यांमार के ऊपर एक चक्रवाती तूफान में और कमजोर पड़ गया है। आज भारतीय समय के मुताबिक 05:30 बजे यह म्यांमार के ऊपर एक अवसाद या डिप्रेशन में बदलकर पूर्वोत्तर म्यांमार के ऊपर अच्छी तरह से कम दबाव क्षेत्र में बदल गया।

मौसम विभाग ने कहा है कि अगले कुछ घंटों में इसके कमजोर होकर कम दबाव के क्षेत्र में बदलने के आसार हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस खतरनाक तूफान से म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों के लिए दक्षिण पूर्व बांग्लादेश में बने शरणार्थी शिविर बच गए हैं, हालांकि बांस की कई झोपड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं।

यह म्यांमार का संघर्ष-ग्रस्त रखाइन राज्य था जिसने तूफान का खामियाजा भुगता, जहां 210 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं, जिससे घरों की छतें उड़ गई और तूफान ने रविवार को सितवे की प्रांतीय राजधानी को जलमग्न कर दिया।

रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार में 850 से अधिक घर, 64 स्कूल, 14 स्वास्थ्य सुविधाएं और सात संचार टावर तूफान से नष्ट या क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

संयुक्त राष्ट्र मानवीय कार्यालय (ओसीएचए) ने कहा कि इस क्षेत्र में लगभग 60 लाख लोगों को तूफान से पहले ही मानवीय सहायता की आवश्यकता थी, उनमें से 12 लाख लोग आंतरिक रूप से जातीय संघर्ष से विस्थापित हुए थे।

संयुक्त राष्ट्र मानवीय कार्यालय (ओसीएचए) के अनुसार, अधिकारी विस्थापित लोगों के लिए शिविरों को हुए नुकसान का आकलन कर रहे हैं, जो तट के पास हैं और ज्यादातर बांस से बने हैं।

2008 में, चक्रवात नरगिस दक्षिणी म्यांमार के कुछ हिस्सों में आया था, जिसमें लगभग 140,000 लोग मारे गए थे।

ओसीएचए के मुताबिक चक्रवात मोका के रविवार दोपहर में दस्तक देने से पहले म्यांमार और बांग्लादेश में लगभग चार लाख लोगों को निकाला गया था, क्योंकि अधिकारियों और सहायता एजेंसियों इनको बचाने की भरपूर कोशिश की।

वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवाती तूफानों के अधिक शक्तिशाली होकर बार-बार आने के आसार हैं। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि चक्रवात ‘मोका’ म्यांमार के लिए रिकॉर्ड पर सबसे भयंकर चक्रवातों में से एक था।