ओडिशा राज्य सरकार ने राज्य के सभी तटीय जिलों को आसन्न चक्रवात “सीतरंग”(संभातित नाम) के लिए सतर्क कर दिया है। इसके आगामी 23 या 24 अक्टूबर को ओडिशा तट पर आने की आशंका जताई गई है। राज्य के तापमान में भारी गिरावट देखी जा रही है। हालांकि बारिश की संभावना से इनकार किया गया है। बताया जा रहा है कि बंगाल की खाड़ी में बन रहे निम्न दबाव का 20 अक्टूबर तक सक्रिय होने के आसार नजर आ रहे हैं।
साथ ही इसके डिप्रेशन में बदलने की भी संभावना व्यक्त की गई है। यदि चक्रवाती सिस्टम डिप्रेशन में बदलता है तो इसका असर सीधा उड़ीसा के तटवतर्ती इलाकों पर देखने को मिलेगा। साथ ही इसके और इलाकों में भी बढ़ने की संभावना भी जताई गई है।
राज्य सरकार ने ओडिशा आपदा त्वरित कार्रवाई बल (ओडीआरएएफ) और दमकल कर्मियों को तैयार रहने के अलावा अपने कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं और राज्य के सात तटीय जिलों में चेतावनी जारी कर दी है। ओडिशा राज्य आपदा न्यूनीकरण प्राधिकरण (ओएसडीएमए) के कार्यकारी निदेशक ज्ञान दास ने कहा कि केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, पुरी, बालासोर, भद्रक, खोदरा और गंजम जिलों को चक्रवात के लिए अलर्ट कर दिया गया है।
आईएमडी के अनुसार पश्चिम-उत्तर की ओर बढ़ने और 22 अक्टूबर की सुबह तक मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक डिप्रेशन के केंद्रित होने की संभावना है और इसके आगामी 23 या 24 अक्टूबर के आसपास चक्रवात का रूप लेने की संभावना है।
मिली जानकारी के अनुसार तटीय जिलों के समुद्र तटीय ग्रामीणों को आने वाले चक्रवात की आशंका सता रही है। यही नहीं जिला प्रशासन ने इस आसन्न चक्रवात से निपटने के लिए समुद्र तटीय ग्रामीणों और समुद्री मछुआरों को भी सतर्क कर दिया है। दास ने कहा कि हमने इन सभी जिलों के कलेक्टरों को 22 अक्टूबर से पहले समुद्र किनारे के ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं।
राज्य के अधिकारियों ने चेतावनी दी गई है लेकिन अधिकारियों ने कहा है कि तटीय गांवों के निवासी इससे घबराएं नहीं, राज्य सरकार उनकी सुरक्षा का पूरा इंतजाम कर रह है और पूरी मुस्तैदी से इसके लिए कमर कस ली है। लेकिन अधिकारियों के इस आश्वासन के बावजूद बड़ी संख्या में भयभीत ग्रामीण चक्रवात की आशंका के बाद सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए अपने को तैयार कर रहे हैं। सरकार ने किसी भी खतरनाक स्थिति से बचने के लिए लोगों को समुद्र के किनारे न जाने की चेतावनी भी जारी कर दी है। दास ने कहा कि राज्य के तटीय जिलों में पदस्थ अधिकारी किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहें और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारी मशीनरी बल की तैनाती की गई है।
तटीय गांवों में चक्रवात से बचने लिए आश्रय स्थलों को तैयार किया जा रहा है। अधिकारियों ने मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए समुद्र में न जाने की चेतावनी जारी कर दी है क्योंकि चक्रवात के समुद्र तटीय क्षेत्रों में पहुंचने की संभावना अधिक है। पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम के जरिए लोगों को अलर्ट कर दिया गया है। ओडिशा ट्रेडिशनल फिश वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नारायण हलदर ने भी सभी मछुआरों से समुद्र की ओर नहीं जाने का आग्रह किया।
जगतसिंहपुर जिले के संधाकुड़ा, नोलियाशी, गोडा, जपा, दहीबार, अंबिकी और अन्य गांवों से बड़ी संख्या में समुद्र तटीय ग्रामीण सुरक्षित स्थानों के लिए रवाना हो गए हैं। ध्यान रहे कि इन गांवों ने 29 अक्टूबर, 1999 को आए भयंकर सुपर साइक्लोन का सबसे अधिक प्रकोप झेला था।
पारादीप के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट कान्हू चरण धीर ने कहा कि समुद्र किनारे के ग्रामीणों के लिए सीतांग जानलेवा हो सकता है, जिसके लिए हमने उनसे सुरक्षित स्थानों पर जाने का आग्रह किया है। वर्तमान में चक्रवात के 23 या 24 अक्टूबर को राज्य में आने की उम्मीद है, जबकि यह भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी कि चक्रवात का क्या प्रभाव होगा। ऐसी आशंका है कि इससे तटीय ओडिशा में हजारों लोगों को खतरा हो सकता है। मत्स्य पालन (तटीय) विभाग के संयुक्त निदेशक पबित्रा बेहरा ने कहा कि हमने समुद्री मछुआरों को सलाह दी कि वे चक्रवात सितरंग के संभावित आने की आशंका के बीच मछली पकड़ने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले अपने-अपने जहाजों को बंदरगाहों और घाटों में बांध दें।
राज्य सरकार द्वारा चक्रवात की चेतावनी के बाद यह देखने में आ रहा है कि तटीय जिलों के लोगों ने घबरा कर कई स्थानों पर आवश्यक वस्तुओं जैसे चावल, चपटा चावल, सूखा भोजन, सब्जियां और मिट्टी का तेल अधिक मात्रा में खरीद कर एकत्रित करना शुरू कर दिया है।
मुख्य सचिव एससी महापात्र ने राज्य स्तरीय चक्रवात तैयारियों की बैठक में संबंधित अधिकारियों को सभी एहतियाती कदम उठाने का निर्देश जारी कर दिया है। ओडिशा को अक्टूबर और नवंबर में और कभी-कभी 15 दिसंबर तक भी गंभीर चक्रवाती तूफान का सामना करना पड़ता है। राज्य में इस ढाई महीने को ‘‘चक्रवात का मौसम’’ माना जाता है। मुख्य सचिव ने कहा कि ओडिशा में आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर में मानसून की वापसी के दौरान चक्रवातों के प्रकोप का गवाह बनता है।
ओडिशा की भौगोलिक स्थिति और जलवायु परिवर्तन भी 2019 के बाद से गर्मियों के दौरान चक्रवात का कारण बना है। मुख्य सचिव ने सभी विभागों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने और मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार सभी व्यवस्था करने को कहा है। उपकरण तैयार रखने के अलावा अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के सभी नलकूप चालू हालत में रहें।
उन्होंने अधिकारियों से गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों की एक सूची तैयार करने को भी कहा ताकि आपात स्थिति में उनकी आसानी से पहचान की जा सके और उन्हें बचाया जा सके। उन्होंने तटीय जिलों में रहने वाले लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने और चक्रवात संभावित क्षेत्रों में समुद्र के तटबंधों की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपायों पर भी जोर दिया। साथ ही अधिकारियों को दवाओं के भंडारण और एम्बुलेंस तथा डॉक्टरों को पूरी तैयारी में रहने का भी निर्देश दिया।
ध्यान रहे कि ओडिशा ने 1999 के बाद से दस प्रमुख चक्रवातों का सामना किया है। 29 अक्टूबर 1999 को ओडिशा सुपर साइक्लोन से जगतसिंहपुर और केंद्रपाड़ा के तटीय जिलों के लगभग दस हजार लोग मारे गए थे। इसके अलावा 11 अक्टूबर 2013 को ओडिशा तट को फेलिन चक्रवात का भी सामना करना पड़ा था।
चक्रवात हुदहुद 12 अक्टूबर 2014 को ओडिशा के दक्षिणी तट से टकराया था। तितली चक्रवात 11 अक्टूबर, 2018 को, चक्रवाती तूफान तितली ने आंध्र प्रदेश में पलासा के पास गोपालपुर के दक्षिण पश्चिमी तट पर दस्तक दी थी। अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान फानी 3 मई, 2019 को लगभग 175 किमी प्रति घंटे की रफ्तार की हवा के साथ पुरी में ओडिशा तट से टकराया था।
चक्रवात बुलबुल ने 10 नवंबर 2019 को पश्चिम बंगाल और पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे ओडिशा के कुछ हिस्सों को प्रभावित किया। चक्रवात अम्फान ने 21 मई 2020 को पश्चिम बंगाल में सुंदरबन के पास लैंडफॉल होने से पहले ओडिशा तट के साथ को भी नुकसान पहुंचाया था। चक्रवात यास ने 26 मई, 2021 को ओडिशा में धामरा में लैंडफॉल किया। 26 सितंबर 2021 को चक्रवात गुलाब ने ओडिशा के दक्षिणी हिस्सों में दस्तक दी। यह कलिंगपट्टनम और गोपालपुर के तटों को पार कर गया था। 4 दिसंबर 2021 को ओडिशा के तटीय जिलों में भारी वर्षा हुई क्योंकि चक्रवात जवाद के अवशेष उत्तर पूर्व दिशा में एक बार पुन: सक्रीय होने और जगतसिंहपुर जिले के बंदरगाह शहर पारादीप तक पहुंचने से पहले पुरी तट पर पहुंच गया था।