भारत में 2021 के दौरान आई बाढ़ और तूफान जैसी आपदाओं के चलते 49,02,506 लोग बेघर हो गए थे और जिन्हें अपने ही देश में शरणार्थी बनना पड़ा था। यह जानकारी हाल ही में जिनेवा स्थित आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (आईडीएमसी) द्वारा साझा किए आंकड़ों में सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से करीब 25 लाख लोग इस दौरान आए तूफान जबकि 24 लाख लोगों को बाढ़ के चलते विस्थापित हुए थे।
देखा जाए तो भारत के उन गिने चुने देशों में है जहां प्राकृतिक आपदाओं के चलते सबसे ज्यादा लोग विस्थापित होते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह देश में साल दर साल आपदाओं की बढ़ती संख्या और कहीं ज्यादा विनाशकारी होना है।
इतना ही नहीं देश में बड़ी आबादी सामाजिक आर्थिक रूप से कमजोर है, जिनपर आपदाओं का असर सबसे ज्यादा होता है। वहीं राजनैतिक और अन्य प्रकार के संघर्ष को देखें तो उसके चलते देश में करीब 13,000 लोगों को वर्ष 2021 में अपना आशियाना छोड़ना पड़ा था।
यदि 2021 के दौरान देश में विस्थापन की मुख्य वजह को देखें तो इसके लिए कहीं हद तक बाढ़ और तूफान जैसी घटनाएं जिम्मेवार थी। यह घटनाएं मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी मानसून से सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं।
गौरतलब है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान मई से अक्टूबर 2021 के बीच करीब 19 लाख लोग विस्थापित हुए थे , जबकि उत्तर-पूर्वी मानसून, जो अक्टूबर से दिसंबर तक चलता है, उसकी वजह से मूल रूप से दक्षिणी राज्यों में विस्थापन की घटनाएं सामने आई थी।
वहीं 2021 में आए तीन शक्तिशाली तूफानों ने देश में सबसे ज्यादा कहर ढाया था। इनमें पहला चक्रवाती तूफान 'तौकते' था, जिसने 17 मई को गुजरात में दस्तक दी थी। इसकी वजह से देश में करीब 258,000 लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। इसका असर देश के पांच राज्यों में दर्ज किया गया।
इसके एक सप्ताह से भी कम समय में बंगाल की खाड़ी में एक नए चक्रवात 'यास' ने बनने की शुरुआत की थी। इस तूफ़ान ने देश में 22,25,600 लोगों को बेघर कर दिया था। वहीं 26 सितंबर को आंध्र प्रदेश और ओडिशा में चक्रवात 'गुलाब' ने अपना कहर ढाया था, जिसकी वजह से करीब 50 हजार लोग विस्थापित हुए थे।
बदलती जलवायु के साथ बदल रहा है मौसम का मिजाज
देखा जाए तो देश में 2016 के बाद से चक्रवाती तूफानों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। जिसकी वजह से विस्थापितों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। इसके लिए कहीं हद तक जलवायु में आता बदलाव जिम्मेवार है। जैसे-जैसे समुद्र के तापमान में वृद्धि हो रहा है उसका असर इन चक्रवाती तूफानों पर भी पड़ रहा है। यही वजह है कि इन तूफानों की संख्या में वृद्धि हो रही है और यह पहले से कहीं ज्यादा शक्तिशाली हो गए हैं।
जलवायु में आता यह बदलाव मानसून के पैटर्न पर भी असर डाल रहा है। इसकी वजह से मौसम कहीं ज्यादा अस्थिर हो रहा है। ऐसा ही एक उदाहरण 2021 में भी सामने आया था जब दक्षिण-पश्चिम मानसून 25 अक्टूबर तक कायम था। इसका इतने लम्बे समय तक रहना अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
इसी तरह उत्तर-पूर्वी मानसून के चलते देश के दक्षिणी राज्यों में अक्टूबर और नवंबर में सामान्य से 60 फीसदी ज्यादा बारिश हुई थी। यही वजह है कि तमिलनाडु में बाढ़ के कारण नवंबर में 312,000 लोग विस्थापित हुए थे।
देखा जाए तो 2021 के दौरान देश में बाढ़ की कुल 68 घटनाओं में 23,59,506 लोग बेघर हो गए थे। जून 2021 में मानसून के दौरान पश्चिम बंगाल में आई बाढ़ में 7.5 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। इसी तरह मानसून के दौरान महाराष्ट्र में 436,000 लोगों को घर छोड़ना पड़ा था। कर्नाटक में भी इस दौरान 1.9 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे।
बिहार में भी मानसून के मौसम में जून 2021 में करीब 359,000 लोगों को अपने ही देश में शरणार्थी बनना पड़ा था। मध्य प्रदेश में भी मानसून में 33000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे। वहीं तमिलनाडु में नवंबर 2021 में आई बाढ़ ने 78,000 लोगों को बेघर कर दिया था।
यदि 2022 में देश में विस्थापन से जुड़े आंकड़ों को देखें तो 14 से 30 अप्रैल 2022 के बीच आए तूफान में करीब 16,370 लोग विस्थापित हुए हैं। गौरतललब है कि इस तूफान से असम के 32 जिलों पर असर पड़ा था। इस तूफान की वजह से 3,578 घरों को नुकसान पहुंचा है। इसी तरह 16 से 21 मार्च 2022 में बंगाल की खाड़ी में आए तूफान से अंडमान निकोबार पर व्यापक असर पड़ा था, जिसकी वजह से वहां 1,525 लोगों को उनके घरों से दूर सुरक्षित स्थानों पर भेजना पड़ा था।
वहीं यदि 2008 से 2021 से जुड़े आंकड़ों को देखने तो इतने वर्षों में 5.3 करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। जिनमें से 74 फीसदी यानी करीब 4 करोड़ लोगों के विस्थापन की वजह बाढ़ थी जबकि करीब 1.3 करोड़ लोग तूफानों की वजह से विस्थापित हुए हैं। देखा जाए तो पिछले 14 वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से 2012 में सबसे ज्यादा करीब 91 लाख लोग विस्थापित हुए थे।