आपदा

मॉनसून 2022: हिमाचल में सात बार फट चुका है बादल, शीत रेगिस्तान भी चपेट में

Rohit Prashar

मानसून सीजन में हिमाचल की हसीन वादियों में बारिश कहर बरपा रही है। प्रदेश में मानसून की दस्तक को अभी एक माह का समय हुआ है और इस दौरान प्रदेश में 7 बार बादल फटने और अचानक बाढ़ आने की 31 घटनाएं घटित हो चुकी हैं और प्रदेश में अभी तक प्राकृतिक आपदाओं में 133 लोगों की जानें जा चुकी हैं।

इस बार शीत मरूस्थल (कोल्ड डेजर्ट) में भी बारिश और बादल फटने की घटनाएं घट रही हैं। हिमाचल प्रदेश में स्पीति क्षेत्र शीत मरूस्थल है और यहां बहुत कम बारिश होती है।

लेकिन इस साल मानसून सीजन के दौरान 10 दिनों के भीतर इस क्षेत्र में दो बड़ी आपदाएं आ चुकी हैं। जहां 19 जुलाई को सुमदो बॉर्डर के पास बादल फटने की वजह से भारी नुकसान हुआ था वहीं 28 जुलाई को एक बार फिर बॉर्डर से सटे गियू गांव में अचानक बाढ़ आने की घटना घटित हुई है।

हुरलिंग पंचायत के विजय कुमार ने डाउन टू अर्थ को बताया कि हमारे क्षेत्र में बहुत कम बारिश होती है, लेकिन वीरवार को 15 मिनट की बारिश ने कहर बरपा दिया।

उन्होंने बताया कि बारिश की वजह से ऊपरी क्षेत्र में कहीं पानी रुक गया था और बाद में इसके अचानक बाढ़ आने की वजह संपर्क मार्ग बह गया। इससे स्थानीय लोगों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह की घटनाओं से अब क्षेत्र के लोगों में भय का माहौल बन रहा है।

वहीं इसी जिले के दूसरे हिस्से लाहौल में भी बादल फटने और बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। पिछले एक सप्ताह में लाहौल क्षेत्र में कई जगह बाढ़ आने की वजह से सड़क मार्गाें को भारी नुकसान पहुंचा है।

लाहौल के करपट में 28 जुलाई 2022 को बादल फटने की वजह से करपट में पुल बहने की घटना भी सामने आई है। वहीं मनाली लेह, पांगी किलाड़ और काजा को जोड़ने वाली सड़क भी कई बार अवरूद्ध रही। जिसकी वजह से आने-जाने वालों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

28 जुलाई को ही कुल्लू जिला के चनाईगढ़ क्षेत्र में बादल फटने की घटना सामने आई, जिसमें 6 लोग घायल हो गए और 12 भवनों को नुकसान पहुंचा है। इस वर्ष मानसून सीजन के दौरान राज्य में 450 करोड रुपए के नुकसान का आकलन किया जा चुका है।