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इस साल में अब तक का सबसे शक्तिशाली चक्रवात है 'मोका', विशेषज्ञों ने की पुष्टि

जानकारी मिली है कि चक्रवाती तूफान 'मोका', रफ्तार और तीव्रता के मामले में 'फानी' के बराबर है

Himanshu Nitnaware, Lalit Maurya

चक्रवाती तूफान 'मोका' जिसे भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 'अत्यधिक गंभीर' चक्रवाती तूफान और दुनिया भर में मौसम पर नजर रखने वाली वेबसाइट जूम अर्थ द्वारा 'सुपर साइक्लोन' के रूप में वर्गीकृत किया है। उसके बारे में एक जलवायु विशेषज्ञ ने 14 मई, 2023 को डाउन टू अर्थ को जानकारी दी है कि  'मोका' इस साल में धरती पर अब तक का सबसे शक्तिशाली चक्रवाती तूफान है।

इस बारे में दक्षिण कोरिया की जेजू नेशनल यूनिवर्सिटी में टायफून रिसर्च सेंटर से जुड़े शोधकर्ता विनीत कुमार सिंह ने डीटीई को बताया कि इस साल में अब तक उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलार्ध में कुल 16 चक्रवात आ चुके हैं। लेकिन 'मोका' उन सभी में सबसे ज्यादा शक्तिशाली है।

उनके मुताबिक देखा जाए तो यह तूफान 1982 के बाद से अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों में सभी मौसमों में आए तूफानों और उत्तर हिंद महासागर में अब तक दर्ज किया गया सबसे मजबूत चक्रवात बन गया है।

'मोका' के दौरान यदि हवा की रफ्तार को देखें तो वो 150 समुद्री मील या 277 किलोमीटर प्रति घंटे रिकॉर्ड की गई, जो उसे चक्रवाती तूफान फानी के साथ प्री-मॉनसून सीजन के दौरान उत्तर हिंद महासागर में आया सबसे शक्तिशाली चक्रवात बनाती है। सिंह ने बताया कि 'मोका' की रफ्तार और तीव्रता फानी के बराबर थी।

इस बारे में अमेरिका के ज्वाइंट टायफून वार्निंग सेंटर (जीटीडब्ल्यूसी) के अनुसार ओडिशा में 1999 में आए सुपर साइक्लोन की रफ्तार 140 समुद्री मील थी, जबकि चक्रवात फैलिन और हुदहुद के दौरान हवा की रफ्तार क्रमशः 259 और 212 किलोमीटर प्रति घंटा थी। वहीं 2020 में आए तूफान अम्फान के दौरान हवा की गति 268 किलोमीटर प्रति घंटा दर्ज की गई जबकि सिंह के मुताबिक 2021 में आए तूफान ताऊते में 222 किलोमीटर प्रति घंटा और 2007 में आए गोनू के दौरान हवा की रफ्तार 268 किलोमीटर प्रति घंटा दर्ज की गई।

आईएमडी ने जानकारी दी है कि चक्रवात 'मोका' 14 मई 2023 की दोपहर के दौरान म्यांमार में तटीय शहर सितवे के पास टकराया था। तब हवा की रफ्तार 180 से 190 किलोमीटर प्रति घंटा रही जो 210 तक दर्ज की गई। मौसम विभाग के मुताबिक यह चक्रवात बांग्लादेश में कॉक्स बाजार से करीब 170 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पूर्व और म्यांमार में सितवे से 40 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में टकराया है। आईएमडी का कहना है कि इस अत्यधिक भीषण चक्रवाती तूफान की वजह से उत्तरी म्यांमार और बांग्लादेश के दक्षिणपूर्वी तटों के पास तेज हवाओं के साथ बारिश की वजह बना था।

इस बारे में मैरीलैंड विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे के एक जलवायु वैज्ञानिक रघु मुर्तुगुड्डे का कहना है कि यह चक्रवात 'स्टॉलिंग' से नहीं गुजरा। गौरतलब है कि स्टॉलिंग, एक ऐसी घटना है जहां एक चक्रवात एक जल स्रोत पर बना रहता है, और जमीन पर पहुंचने से पहले लंबे समय तक नमी प्राप्त करता है।

उनके अनुसार "इस चक्रवात के बारे में कोई आंकड़े नहीं दिखा रहे कि इसने लंबे समय तक सुपर साइक्लोन जितनी शक्तिशाली हवाएं चलाई थीं।"

वहीं सिंह ने हिंद महासागर में दूसरे चक्रवात के बनने की बात कही हैं। यह श्रेणी 2 के चक्रवात के रूप में तीव्र हो सकता है, जिसमें हवा की रफ्तार करीब 148 किलोमीटर प्रति घंटा रहती है। उनका कहना है कि, "यदि यह इतना शक्तिशाली हो जाता है, तो यह हवाओं के प्रवाह के नियमित पैटर्न को प्रभावित कर सकता है, इसकी वजह से अंततः दक्षिण-पश्चिम मानसून प्रभावित हो सकता है।"

आईएमडी के मुताबिक पूर्वोत्तर के राज्यों त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर और असम के दक्षिणी हिस्से में 18 मई तक भारी से बहुत भारी बारिश होने की आशंका है। यह भी जानकारी मिली है कि उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से दो से चार डिग्री सेल्सियस अधिक रह सकता है।