आपदा

चक्रवात मिचौंग ने आंध्र प्रदेश में दस लाख एकड़ में खड़ी धान की फसल को पहुंचाया नुकसान

M Raghuram

पांच दिसंबर को आए चक्रवात मिचौंग के कारण धान का कटोरा कहे जाने वाले आंध्र प्रदेश के आठ जिलों में कम से कम दस लाख एकड़ यानी 404,685 हेक्टेयर में खड़ी धान की फसल को नुकसान पहुंचा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे किसानों को लगभग 4,000 करोड़ रुपए का घाटा होगा।

मिचौंग से प्रभावित आठ जिले - नेल्लोर, प्रकाशम, बापटला, कृष्णा, पश्चिम गोदावरी, कोनसीमा, काकीनाडा और पूर्वी गोदावरी हैं। खरीफ सीजन की फसल धान के रकबे में इन जिलों की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत है। आंध्र प्रदेश में खरीफ सीजन में जहां लगभग 12.85 मिलियन टन चावल का उत्पादन होता है, इसमें से छह मिलियन टन से अधिक धान का उत्पादन इन आठ जिलों में होता है।

आचार्य एनजी रंगा कृषि विश्वविद्यालय गुंटूर में पादप प्रजनन (धान) के प्रमुख वैज्ञानिक पीवी सत्यनारायण ने डाउन टू अर्थ को बताया कि चक्रवात की वजह से तीन दिनों तक तेज हवाओं के साथ भारी बारिश हुई है, जिससे नेल्लोर, प्रकाशम, गुंटूर, कृष्णा, पश्चिम गोदावरी, पूर्वी गोदावरी, विशाखापत्तनम, विजयनगरम और श्रीकाकुलम जिलों में मुख्य रूप से धान की कृषि फसलें प्रभावित हुई हैं। इन जिलों में 50 प्रतिशत से अधिक धान की कटाई अभी तक नहीं हुई है, जबकि बड़ी तादात में धान खलिहान में ही है।

सत्यनारायण के अनुसार, विभिन्न चरणों में लगभग 8 से 10 लाख (1 मिलियन) एकड़ धान की फसल प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि 2-2.5 मिलियन टन धान की क्षति होने की आशंका है। कीमत के हिसाब से यह 4,000 करोड़ रुपए के पार जा सकता है। खड़ी फसलों के अलावा कुछ क्षेत्रों में नर्सरी चरण में खेतों में लग रही रबी की फसल भी प्रभावित हुई है।

सत्यनारायण ने कहा, “हमारे यहां 100 दिनों तक बारिश नहीं हुई और हमारी फसलें तेज धूप में उगाई गईं, लेकिन अचानक भारी मात्रा में हुई इस तीव्र बारिश ने फसल पर विनाशकारी प्रभाव डाला है। तट के आसपास 850 किलोमीटर के इलाके में यह बेमौसम बारिश हुई। पारंपरिक धान उत्पादक क्षेत्र होने के नाते आंध्र प्रदेश में प्रति हेक्टेयर 5.5 टन धान उगता है। सौभाग्य से, हमारे किसानों ने बारिश से पहले 50 प्रतिशत फसल काट ली थी और उसे सुरक्षित रख लिया था, लेकिन गोदावरी और कृष्णा डेल्टा में 50 प्रतिशत खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं।"

हालांकि, आंध्र प्रदेश कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अभी नुकसान का आकलन करना बाकी है क्योंकि क्षेत्र में बारिश अभी भी जारी है। अभी वे कटी हुई फसल को भीगने से बचाने में लगे हैं।

कृष्णा और नेल्लोर जिलों में धान किसान संघ के सदस्य काफी दुखी हैं। अखिल भारतीय किसान सभा के कार्यकर्ता कृष्णा रेड्डी और रावुला राम रेड्डी ने कहा कि चूंकि हमें इस तरह की बारिश की उम्मीद नहीं थी, इसलिए हमने फसल को बेहतर पकने के लिए खेत में ही रहने दिया। हममें से कुछ लोगों ने चावल की प्रीमियम किस्में भी उगाई हैं जिनका उपयोग अत्यधिक विकसित भारतीय चावल व्यंजनों में किया जाता है।

कृष्णा और नेल्लोर दोनों जिलों और गोदावरी डेल्टा में कई स्थानों पर किसान इस प्रीमियम किस्म के चावल के थोक खरीदारों के साथ बातचीत कर रहे थे। अब, उनके पास बेचने के लिए कोई उपज नहीं है और वे दिवालिया होने की कगार पर हैं।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने सभी अधिकारियों और विभागों को सतर्क रहने और तत्काल राहत और बचाव प्रयासों के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया।

उन्होंने सरकार के आपदा प्रबंधन सेल में वर्चुअल समीक्षा करते हुए संबंधित जिला अधिकारियों के साथ चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यक्रमों की समीक्षा की। जगन ने अधिकारियों को बिजली आपूर्ति तुरंत बहाल करने और लोगों और पशुओं के नुकसान के मामले में 48 घंटे के भीतर मुआवजा देने का निर्देश दिया।

उन्होंने 22 करोड़ रुपये की तत्काल राहत की घोषणा करते हुए कहा कि फसल क्षति का आकलन कराया जाएगा। भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों को आठ जिलों में भेजा गया है और उनसे पशुधन, मानव जीवन और संपत्ति की क्षति सहित लोगों के विभिन्न प्रकार के नुकसान पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है।

आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा अनाकापल्ली जिले में 52 पुनर्वास केंद्र भी स्थापित किया गया है, जहां 60 हजार से अधिक लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई है।

सरकार ने राहत सामग्री के लिए 100,000 टन अनाज भी खरीदा है। 400,000 टन अनाज को भीगने और बेकार होने से बचाने की कार्रवाई की निगरानी के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है।

सरकार ने एलुरु जिले में स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए छुट्टियों की भी घोषणा की है, जहां चक्रवात का हमला सबसे गंभीर है।

जिन लोगों को राहत शिविरों में रखा जाएगा, उन्हें शिविर में रहने के दौरान प्रति व्यक्ति 1,000 से 2,500 रुपये प्रदान किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने क्षतिग्रस्त और गिरे हुए घरों के लिए क्रमशः 8,000 रुपये से 10,000 रुपये की राहत राशि की भी घोषणा की है।