आपदा

हरियाणा में बाढ़ से जीवित हुई कई नदियां, किसानों ने कहा- प्रबंधन होता तो नुकसान नहीं होता

घग्घर नदी में बाढ़ से हरियाणा के कई इलाकों में पानी भर गया है। पूरे हरियाणा में 1.60 लाख हेक्टेयर में लगी फसल प्रभावित हुई है

हरियाणा के अम्बाला जिले के सेगता गांव के किसान बलजीत सिंह ने अपना दायां हाथ उठाकर करीब 500 मीटर दूर सफेदों के झूंड की और इशारा कर बताया कि टांगरी नदी का बांध वहां से टूट गया है और गांव में उसी के पानी से बाढ़ आई हुई है। 

जिस सड़क पर खड़े हो बलजीत सिंह टांगरी नदी दिखा रहे थे, वह भी पानी से कट चुकी थी और टांगरी नदी की तरफ से लगातार बह रहे पानी के कारण खेत और नदी में अंतर कर पाना मुश्किल था। खेतों से सड़क करीब चार फीट ऊंचाई पर थी, और पानी के तेज बहाव ने उसे कई जगह से काट दिया था। 

बलजीत सिंह ने बताया, “यह सारा पानी आगे कई गांव से होता हुआ घग्घर में जाकर गिरेगा। टांगरी नदी भी जाकर घग्घर में गिरेगी। हालांकि टांगरी कई जगह से टूटी हुई है।”

बलजीत टांगरी नदी का यह रूप 10-12 साल के अंतराल के बाद देख रहे हैं। वह कहते हैं, “सरकार इन छोटी-छोटी नदियों को भुलाए बैठी है और इनको गंदे नालों में तब्दील कर दिया है, जबकि अगर इनके तटबंध और साफ सफाई का ध्यान रखे तो कोई दिक्कत नहीं आए।”

टांगरी नदी से अम्बाला के करीब 50 गांव प्रभावित हैं, लेकिन यह नदी जिस बड़ी नदी घग्घर में जाकर मिलती है, उसकी मार हरियाणा के 6, पंजाब के 4 और राजस्थान के 2 जिलों तक पड़ी है।

घग्गर नदी और उसकी कई सहायक नदियां हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ की शिवालिक तलहटी से निकलती हैं। इन सहायक नदियों में कौशल्या नदी, टांगरी, मारकंडा, बेघना और सुखना नदी मुख्य हैं जो घग्घर में समाहित हो जाती हैं।

पंजाब विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर विश्वबंधु बताते हैं, “शिवालिक की तलहटी, जिसमें अधिकांश हिस्सा मुख्य नदी और इन सहायक नदियों का जलग्रहण क्षेत्र था, उसमें बढ़ती आवासीय बसावट, औद्योगिक इकाइयों और सीवेज से खतरे का सामना कर रही हैं। इनकी धाराओं और तटीय इलाकों को इतनी बुरी तरह से कब्जा लिया गया है कि नक्शे पर दिखने वाली नदी को मैदान पर ढूंढना मुश्किल हो जाएगा।

उनके मुताबिक जलग्रहण क्षेत्र के क्षरण ने इन बारहमासी नदियों को मौसमी नदियों में तब्दील कर दिया है। पंचकुला में बने कौशल्या डैम के आसपास भारी बसावट है। घग्घर के तटीय क्षेत्र को बहुत छोटा बना दिया गया है और आगे मैदान में कहीं-कहीं घग्घर की धारा तक के निशान मिटा दिए गए हैं।

इस मॉनसून में शिवालिक की पहाड़ियों में हुई तेज बारिश के कारण घग्घर और उसकी सहायक नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में अचानक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) आ गई। इससे पंचकुला, डेराबस्सी, अम्बाला, शाहबाद जैसे कई शहरों में गलियों में नहरों की तरह पानी बह रहा है। कॉलोनियां नदियों के तटों और जलग्रहण क्षेत्रों में ही बसी हुई हैं।

टांगरी नदी के बाद हम अम्बाला और कुरूक्षेत्र के बीच जीटीरोड पर मारकंडा नदी के किनारे बसे शहर शाहबाद गए। शहर के किनारे पर बह रही मारकंडा नदी करीब आधा किलोमीटर चौड़ी दिख रही थी। सामने देखने पर यह नहीं समझ आ रहा था कि नदी की धारा कहां है और खेत कहां है। मारकंडा नदी भी टांगरी नदी की तरह ही कई जगह से टूट गई है।

कृषि विशेषज्ञ रमनदीप मान ने बताया, “टांगरी और मारकंडा दोनों नदियों को तो मरा हुआ मान लिया गया था। लोगों ने इनकी धारा तक को मिटा दिया है। अम्बाला कैंट में कई रिहायशी कलोनियां टांगरी के बिल्कुल तट को घेरकर बनी हुई हैं।

टांगरी और मारकंडा जिस मुख्य नदी “घग्घर” में जाकर मिलती हैं, उसके हाल भी उन दोनों के जैसे ही है। रमनदीप बताते हैं कि पंचकुला, डेराबस्सी और आसपास की रिहायशी कलोनियां घग्घर के किनारे बसी हैं। जैसे ही घग्घर हरियाणा के देहाती इलाकों में घुसती है। वहां भी अतिक्रमण है। घग्घर नाला मात्र रह गई है। अब उसका विकराल रूप आपको डरा रहा है।

अम्बाला जिला खत्म होते-होते घग्घर में टांगरी, बेघना और मारकंडा नदी मिलती हैं। रमनदीप कहते हैं कि घग्घर ने अम्बाला जिले से निकलने के बाद पंजाब हरियाणा के खनौरी बॉर्डर के आसपास के गांव में बहुत ज्यादा नुकसान किया है। वहां हरियाणा और पंजाब दोनों सूबों के गांव में पानी घूम रहा है। संगरूर से हिसार होते हुए दिल्ली जाने वाला नेशनल हाईवे भी टूट चुका है। घग्घर का पानी इस हाइवे के ऊपर से गया है। यह हाइवे पंजाब के मालवा इलाके को दिल्ली से जोड़ता है।

घग्घर में खन्नौरी बॉर्डर पर 15 जुलाई को 754.2 फीट पानी चल रहा था, जोकि खतरे के निशान से 6 फुट ऊपर है। घग्घर नदी पर हरियाणा के गुहला चीका पर बने हेड के गेज डूबे हुए हैं, जिसके कारण आसपास के करीब 45 गांव जलमग्न हैं। घग्घर के पानी की वजह से हरियाणा के पंचकुला, अम्बाला, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा और पंजाब के मोहाली, पटियाला, संगरूर और मानसा जिले के इलाकों में बाढ़ आई है। घग्घर का डर राजस्थान के हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिले में पसरा हुआ है और प्रशासन ने वहां हाई अलर्ट जारी कर दिया है।

वही दूसरी तरफ हरियाणा-उत्तरप्रदेश बॉर्डर पर बहने वाली यमुना नदी के तटबंद टूटने के कारण हरियाणा के यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, सोनीपत, पलवल और फरीदाबाद जिले के इलाकों में बाढ़ आई है।

हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार मनोज ठाकुर कहते हैं कि घग्घर और इसकी सहायक नदियों को अतिक्रमण ने बहुत नुकसान पहुंचाया है. वही यमुना नदी को अवैज्ञानिक और अवैध माइनिंग कर नुकसान पहुंचाया गया है। पिछले 2 साल से नदियों के तटबंध बांधे नहीं गए हैं और नदियों की धारा के बीच माइनिंग और अतिक्रमण के कारण नदियों ने संतुलन खो दिया है।

हरियाणा में 1 जून से 15 जुलाई के बीच 214.9 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि सामान्य बारिश का आंकड़ा 123.3 मिमी है। अब तक राज्य के 1385 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं और 26 लोगों की मौत हो चुकी है। तीन लोग गायब बताए गए हैं। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 1,60,645 हेक्टेयर में लगी फसल बाढ़ से प्रभावित है।