आपदा

बिहार में कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर, बाढ़ का खतरा बढ़ा

जलस्तर बढ़ने से बिहार के कई इलाकों में नदियों से कटाव शुरू भी हो चुका है और बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है

Umesh Kumar Ray

बिहार में नदियों के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोतरी से बाढ़ के हालात बनने लगे हैं। कई इलाकों में नदियों से कटाव शुरू भी हो चुका है और लोग अपना घर-बार छोड़ सुरक्षित स्थानों की ओर रवाना होने लगे हैं।

किशनगंज के मौजाबाड़ी फ्लड मॉनीटरिंग स्टेशन में महानंदा नदी हाई फ्लड लेवल के ऊपर पहुंच गई है। वहीं, किशनगंज के चारगछिया, पूर्णिया के धेंगराघाट और कटिहार के झावा में ये नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जिससे प्रभावशाली बाढ़ के आसार बन गए हैं। सेंट्रल वाटर कमीशन ने जानकारी दी है कि तीनों फ्लड मॉनीटरिंग स्टेशन में महानंदा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जिससे बाढ़ की स्थिति बन सकती है।

बताया जा रहा है कि 27 जून की सुबह से ही तीनों स्टेशनों में जलस्तर लगातार ऊपर की तरफ उठ रहा है।

महानंदा नदी हिमालय से निकलती है और उत्तर बंगाल से होते हुए बांग्लादेश जाती है और वहां फिर बंगाल में प्रवेश करती है। इसके बाद बिहार के तीन जिलों किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार से होते दोबारा पश्चिम बंगाल में पहुंचती है और फिर बांग्लादेश जाती है।

किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार के अलावा अररिया, खगड़िया और सीतामढ़ी में भी नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। खगड़िया के बालतारा फ्लड मॉनीटरिंग स्टेशन में कोसी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। वहीं, बागमती नदी रुन्नीसैदपुर में खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई है। परमन नदी खगड़िया में खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है।

दो दिन पहले नेपाल में भारी बारिश का पूर्वानुमान लगाया गया है जिसके चलते नेपाल से बिहार आनेवाली नदियों के जलस्तर में और इजाफा हो सकता है। इसके साथ ही बिहार में रह-रह बारिश हो रही है। इससे भी बाढ़ का खतरा बढ़ने की आशंका है।

किशनगंज के डीएम आदित्य प्रकाश ने डाउन टू अर्थ को बताया, “महानंदा का जलस्तर बढ़ रहा है, लेकिन ये अभी तक रिहाइशी इलाकों में नहीं पहुंचा है। हमलोग फ्लड मॉनीटरिंग स्टेशनों से हर घंटे की रिपोर्ट ले रहे हैं। स्थिति पूरी नजर बनाए हुए हैं। हमने उन इलाकों की भी शिनाख्त कर ली है, जहां से आपात स्थिति में लोगों को निकालना है।”

बाढ़ को लेकर जो स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स (एसओपी) तय किया गया है, उन्हें पूरा कर लिया गया है। हमने 200 नावों को तैयार रखा है, जिनका इस्तेमाल लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में किया जाएगा। इसके अलावा एनडीआरएफ की 38 टीमें तैनात हैं”, डीएम ने कहा। 

सहरसा में कोसी का जलस्तर बढ़ने से सलखुआ प्रखंड के कई गांवों पर खतरा मंडरा रहा है। सहरसा के डीएम कौशल कुमार ने कहा, “सहरसा के जिन गांवों में कटाव हो रहा है, वे नदी के बीचोंबीच बसे हैं और वहां हर साल ऐसा होता है। बाढ़ का पानी अभी गांवों में नहीं पहुंचा है।” 

उधर, सुपौल में भी तटबंधों के भीतर बसे कई गांवों में नदी का पानी प्रवेश करने लगा है।  कोसी नवनिर्माण मंच से जुड़े महेंद्र यादव ने कहा, “कई घरों में पानी घुस चुका है और कटाव भी हो रहा है। कोसी नदी भी पूरी तरह भर चुका है। कई परिवार खुद सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए हैं।