आपदा

अंफान तूफान: पश्चिम बंगाल में 72 लोगों की मौत

सुपर साइक्लोन अंफान के चलते पश्चिम बंगाल में 72 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 15 लोगों की मौत सिर्फ़ कोलकाता में हुई है।

Umesh Kumar Ray

20 मई की दोपहर 2.35 बजे सुपर साइक्लोन अंफान के सामने का हिस्सा जब पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्र को छुआ था, तो इसके करीब आधे घंटे बाद सागरद्वीप में बचाव कार्य में लगी एक संस्था के कर्मचारी ने इस रिपोर्टर को वाट्सएप पर आखिरी मैसेज भेजा जिसमें बांग्ला में लिखा था – शोब शेश (सब खत्म)।

इस आखिरी मैसेज के बाद उनका फोन लगातार बंद आ रहा है। इस रिपोर्टर ने सुंदरवन के आधा दर्जन द्वीपों पर रहने वाले स्थानीय लोगों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन सभी का नंबर बंद है। 

16 मई को बंगाल की खाड़ी में बने अंफान चक्रवात ने पश्चिम बंगाल के उत्तर व दक्षिण 24 परगना, पूर्व मिदनापुर तथा कोलकाता में भारी तबाही  मचाई है। उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले समुद्र से सटे हुए हैं। इन दोनों जिलों का बड़ा हिस्सा सुंदरवन में आता है। अब तक जो रिपोर्ट सामने आ रही है उसके मुताबिक, सुंदरवन में एक भी बांध साबूत नहीं बचा है और न ही कच्चे मकान।

सुपर साइक्लोन अंफान के चलते पश्चिम बंगाल में 72 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 15 लोगों की मौत सिर्फ़ कोलकाता में हुई है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि सभी मौतें पेड़ गिरने और पानी में करेंट प्रवाहित होने से हुए है। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवार को 2.5-2.5 लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान किया है।

दूर से देखने पर मुश्किल से किसी द्वीप की शिनाख्त हो पा रही है। द्वीपों में समुद्र का पानी भीतर तक चला गया है, जिस कारण अब वहां के खेतों में कई सीजन तक खेती-बारी नहीं हो पाएगी। मौसम विज्ञान विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, बुधवार की शाम से देर रात तक सागरद्वीप में 185 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं और घंटों तेज बारिश होती रही।

बंगाल सरकार ने चक्रवात के मद्देनजर लगभग साढ़े 3 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया था, जिससे इस चक्रवात से कम मौतें हुईं। सुंदरवन विकासमंत्री मंटू राम पाखीरा से इस रिपोर्टर को तूफान आने पर फोन किया था, तो उन्होंने कहा था, “यहां हवा बहुत तेज और लगातार इसकी रफ्तार बढ़ती जा रही है। सुंदरवन को भारी नुकसान हो सकता है।” इस बातचीत के बाद से उनका फोन भी लगातार बंद आ रहा है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बुधवार की रात प्रेस कॉन्फ्रेंस में बार-बार एक ही बात दोहराती रहीं कि सबकुछ बर्बाद हो गया है। उन्होंने सुंदरवन के सागरद्वीप, काकद्वीप, संदेशखाली आदि द्वीपों का जिक्र करते हुए कहा कि सभी द्वीप ध्वस्त हो गए है। अब तक मिल रही सूचना के मुताबिक पश्चिम बंगाल में दो दर्जन लोगों की मौत हुई है। राज्य सरकार ने कहा कि असल नुकसान का अनुमान लगाने में एक हफ्ते से ज्यादा वक्त लग सकता है। 

कोरोनावायरस का संक्रमण और लॉकडाउन के बीच प्राकृतिक आपदा से हुई तबाही ने बंगाल के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। एक तरफ फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कराना होगा और दूसरी तरफ लोगों का ठिकाना तबाह हो गया है, जिस कारण लोगों को सिर छिपाने की छत मयस्सर नहीं है।

भारतीय मौसमविज्ञान विभाग के अनुसार, दोपहर 2.35 बजे सुपर साइक्लोन का सामने का हिस्सा तट को छुआ था, जिसके बाद आंधी-तूफान तेज हो गया और भयावह बारिश होने लगी। बारिश और आंधी का तांडव देर रात तक चलता रहा। कोलकाता को दो वेदर स्टेशनों पर 100 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा रफ्तार से हवाएं चलीं, जिससे सैकड़ों पेड़ उखड़ गए और कई बिल्डिंगों में दरारें आ गईं। कम से 7 इमारतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं।

कोलकाता के अलीपुर वेदर स्टेशन में शाम 6.47 बजे हवा की रफ्तार 114 किलोमीटर प्रति घंटा दर्ज की गई, वहीं दमदम के वेदर स्टेशन में हवा की रफ्तार शाम 7.20 बजे 133 किलोमीटर प्रति घंटे थी। तूफान से कोलकाता में 300 से ज्यादा पेड़ों के साथ ही बहुत सारे बिजली के खंभे भी धराशाई हो गए। पूरे शहर में लगभग 20 घंटों बिजली की आपूर्ति पूरी तरह ठप है। कोलकाता के लगभग हर हिस्से में पानी भरा हुआ है। मकानों के भीतर पानी घुस चुका है।

दमदम हवाईअड्डा पूरी तरह जलमग्न हो गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी तबाही उन्होंने अपनी जिंदगी में पहली बार देखी है। कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने कहा, “तूफान इतना भयावह होगा, इसकी कल्पना नहीं की थी। चक्रवात ने पूरे शहर को तहस-नहस कर दिया है।” 

चूंकि ये चक्रवात ओडिशा के करीब से होकर गुजरा है, तो यहां भी इससे काफी नुकसान हुआ है। ओडिशा सरकार के मुताबिक, चक्रवात के कारण 50 से 60 हजार हेक्टेयर धान और 30 से 40 हेक्टेयर अन्य फसल बर्बाद हो गई है। कइ जगहों पर पेड़ गिर पड़े और आंशिक तौर पर बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है।

अंफान चक्रवात 16 मई को बंगाल की खाड़ी में बना था, जो धीरे-धीरे सुपर साइक्लोन में तब्दील हो गया था। पूर्वानुमान के मुताबिक ही साइक्लोन का सामने का हिस्सा दोपहर 2.35 बजे पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्र को छुआ। शाम करीब 6.30 बजे साइक्लोन की आंख ने जमीन को छुआ। तब तक साइक्लोन जमीन पर पहुंच चुका था, जिस कारण उसे नमी नहीं मिली और धीरे-धीरे वह कमजोर पड़ने लगा।

अलीपुर मौसमविज्ञान केंद्र के डायरेक्टर जीसी दास ने बताया कि 21 मई की सुबह चक्रवात कमजोर होकर पश्चिम बंगाल से दूर निकल गया है। फिलहाल ये सागरद्वीप और दीघा से 400 किलोमीटर से ज्यादा दूर चला गया है। चक्रवात अब कमजोर होकर निम्म दबाव में बदल गया है, लेकिन अगल कुछ घंटों तक पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों में बारिश हो सकती है।

कलकत्ता विश्वविद्यालय के फैकल्टी मेंबर और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के गेस्ट लेक्चरर प्रो. आलोक कुमार ने इस चक्रवात को 1737 में आए तूफान के बाद सबसे भयावह चक्रवात बताया है। उन्होंने कहा कि इस चक्रवात ने उत्तर और दक्षिण 24 परगना में जो तबाही लाई है, उससे डर है कि यहां अकाल की स्थिति पैदा न हो जाए।

साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एनवायरमेंट साइंस डिपार्टमेंट में प्रोफेसर प्रो. प्रधान पार्थ सारथी ने कहा, “इस साइक्लोन का आकार बेहद बड़ा था, जिस कारण यह बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रही थी। यही वजह थी कि इसके लैंडफॉल में काफी समय लग गया। ये चक्रवात सुपर साइक्लोन बन गया था, लेकिन बीच में इसका प्रभाव थोड़ा क्षीण पड़ गया था, वरना ये और ज्यादा तबाही लाता।”