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जानें, क्या है चक्रवातों के तीव्रता की प्रमुख वजह

इन दिनों चक्रवात की न सिर्फ तीव्रता बढ़ी है बल्कि इनकी संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है। जानिए, आखिर इन मारक बन रहे चक्रवातों के तीव्रता की प्रमुख वजह क्या है?

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चक्रवात हवाओं के घुमाव का एक जटिल तंत्र है। हवाओं का यह घुमाव यानी चक्रवात तब और तेजी से बढ़ जाता है जब इनमें नमी प्रवेश कर जाती है। आपको मालूम है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण समुद्र की सतह लगातार गर्म हो रही है। इसकी वजह से वाष्पीकरण की क्रिया भी बढ़ गई है। वाष्पीकरण होने से वातावरण  में नमी की मात्रा लगातार बढ़ रही है। यह नमी ही है जो हवा के घुमाव को जबरदस्त चक्रवात में तब्दील कर देती है। चक्रवात के बनने की बुनियादी बात यही है।  
अब सवाल यह उठता है कि यह नमी कैसे बढ़ रही है और नमी के जनक समुद्र आखिर क्यों इतना गर्म हो रहे हैं। पूरी दुनिया में समुद्री सतह के तापमान में औसतन हर एक दशक  में 0.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि 1970 के बाद से दर्ज हो रही है। समुद्र एक गहरी और गर्म खाई में तब्दील हो रहे हैं। गर्म हवाएं वाष्पीकरण की प्रक्रिया में ज्यादा पानी अपने साथ लेती हैं और यही चक्रवातों के लिए अतिरक्त ईंधन का काम करता है। यह बात मैक्सिको की खाड़ी में गर्म पानी के गहरे तालों से टकराने वाले हर्रिकेन कैटरीना के वक्त गौर की गई थी। 
 
समुद्र की गर्म होती सतह न सिर्फ समुद्र के पानी को विस्तार दे रही है बल्कि बर्फ पिघलने की समस्या भी शुरु हो गई है। 1900 से समुद्र के स्तर में 0.2 मीटर की वृद्धि हुई है। उच्च समुद्री स्तर का मतलब है कि चक्रवात ऊंचाई पर बनेंगे। इसकी वजह से तट और निचली सतह वाले क्षेत्रों में चक्रवात का जोखिम ज्यादा बढ़ जाएगा। 
 
चक्रवात सिर्फ गर्म होते समुद्रों से ही नहीं प्रभावित होते बल्कि हवा के दबाव और स्थानीय पवनें भी इन्हें प्रभावित करती हैं। हवा के निम्न दबाव क्षेत्र में चक्रवात बनते हैं। यह चक्रवात जमीन से हवा को उठाते हैं। इनका फैलाव होता है फिर यह ठंडी हो जाती हैं। जब यह प्रक्रिया दोहराती रहती है चक्रवात नमी को बटोरते हैं और बढ़ जाते हैं। चक्रवात के भीतर हवा के दबाव क्षेत्र में बदलाव होता रहता है। यह एक बल को पैदा करता है और इसकी वजह से तूफान के बाहर की घूमती और दिखाई देने वाली हवा की दीवार काफी ताकतवर हो जाती है। यह चक्रवात का सबसे खतरनाक हिस्सा होता है। 
 
चक्रवात के विभिन्न हिस्सों में हवा के दबावों को मापने के लिए सेटेलाइट छवि का इस्तेमाल किया जाता है। एयरक्राफ्ट के जरिए मौसमी गुब्बारे और रडार का उपयोग होता है जो पूर्वानुमान के दौरान काम आते हैं। अब स्थानीय पवनों की बात करें। स्थानीय पवनों की गतिशीलता और दिशा को लेकर हमेशा उहापोह की स्थिति रहती है। इसकी गति और दिशा का अनुमान लगाना हमेशा अप्रत्याशित और कठिन होता है। इसलिए जब स्थानीय पवनों के कारण चक्रवात का बनना हमेशा अप्रत्याशित ही होता है। चक्रवात के इर्द-गिर्द मौजूद इन स्थानीय पवनों के ठीक-ठाक माप को लेकर हम अभी तक सफल नहीं हुए हैं। 
 
वातावरण में मौजूद वायु कर्तन (विंड शेयर) भी चक्रवातों पर फर्क डालता है। उर्ध्वाधर वायु कर्तन यानी चक्रवात के इर्द-गिर्द मौजूद स्थानीय पवनें वातावरण में नीचे से ऊपर की तरफ बढ़ती हैं और यह चक्रवात के शीर्ष भाग को प्रभावित कर उसे कमजोर करने की कोशिश करती हैं। इससे चक्रवात अस्थिर और जल्द गायब हो जाता है। वहीं, क्षैतिज वायु कर्तन (विंड शेयर) समुद्र की सतह पर मौजूद होता है। जब यह चक्रवात के निचले भाग को प्रभावित करती हैं तो  चक्रवात अधिक नमी को बटोरता है जिससे उसकी तीव्रता और बढ़ जाती है। जब यह विंड शेयर चक्रवात के साथ जुड़ जाते हैं तो चक्रवात बेहद ताकतवर और तीव्र हो सकते हैं। इन विंड शेयर की प्रक्रिया को सिद्धांत के तौर पर हम बेहतर तरीके से समझते हैं लेकिन ऐसे जीवंत चक्रवात के आंकड़े और उनकी तीव्रता को मापना कठिन होता है। इसलिए ही हम चक्रवातों का सही अनुमान नहीं लगा पाते।
 
भारतीय मौसम विभाग हाल ही में बंगाल की खाड़ी से  शुरू होकर उड़ीसा के तटों से टकराने वाले चक्रवात फोनी  का अनुमान अंत तक सटीक तरीके से नहीं लगा सका। भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक केजी रमेश के मुताबिक पहली बार पांच डॉप्लर रडार तटों के विशिष्ट बिंदुओं पर लगाए गए ताकि चक्रवात के सभी पहलुओं की सटीक माप हासिल हो सके। इसमें समुद्र के  सतह का तापमान, वातावरणीय दबाव, तीव्रता और स्थानीय पवनों की दिशा जैसे पहलू शामिल थे। इसके अलावा सेटेलाइट के आंकड़ों और गर्म समुद्री हिस्सों की छवियों का भी आकलन किया गया था। सटीक अनुमान न लगाने के पीछे स्थानीय पवनों के व्यवहार का पता न लग पाना भी है। दुनिया भर में स्थानीय पवनों को सही तरीके से रिकॉर्ड करने के लिए कवायद जारी है।