आपदा

ग्लोबल वार्मिंग को और तेजी से बढ़ा सकती हैं तूफानी गतिविधियां

सिरस बादलों में वृद्धि एक कंबल की तरह काम करती है जो गर्मी को रोकती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ जाती है, इसके विपरीत, सिरस बादलों में कमी से वातावरण से गर्मी निकल जाती है

Dayanidhi

शोध में, शोधकर्ताओं ने तूफान और विचित्र सिरस बादलों के प्रसार के बीच एक अनोखे संबंध का खुलासा किया है, जो अप्रत्यक्ष रूप से ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा रहा है।

यह शोध भारत में त्रिपुरा विश्वविद्यालय के अनिर्बान गुहा और जॉयदेब साहा के सहयोग से तेल अवीव विश्वविद्यालय में भूभौतिकी विभाग के प्रोफेसर कॉलिन प्राइस की अगुवाई में किया गया है। यह शोध जलवायु विज्ञान के पहले के मायावी पहलू को उजागर करता है। शोध के निष्कर्ष जियोफिजिकल रिसर्च लेटर में प्रकाशित हुए हैं।

सिरस बादल छोटे, अलग, बाल जैसे बादल होते हैं जो ऊंचाई पर पाए जाते हैं। ये नाजुक बादल रेशमी चमक वाले या बालों के गुच्छों की तरह दिखते हैं। दिन के समय, वे आकाश में किसी भी अन्य बादल की तुलना में अधिक सफेद होते हैं।

शोध के हवाले से प्रोफेसर प्राइस ने कहा, सिरस बादल, लगातार घूमने वाले वे बादल है जिन्हें हम आकाश में देखते हैं, ये पृथ्वी की जलवायु पर बड़ा प्रभाव डालते हैं। इन बादलों में वृद्धि एक कंबल की तरह काम करती है जो गर्मी को रोकती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ जाती है। इसके विपरीत, सिरस बादलों में कमी से वातावरण से गर्मी निकल जाती है।

हालांकि, सिरस बादल अपनी मायावी प्रकृति के कारण आंकड़ों के संग्रह में बाधा डालने के कारण जलवायु शोधकर्ताओं के लिए एक चुनौतीपूर्ण विषय बने हुए हैं।

प्रोफेसर प्राइस ने बताया, इतने अस्पष्ट होने के कारण, वे लोगों की आंखों और यहां तक कि उपग्रहों के लिए भी अदृश्य हो सकते हैं, साथ ही वे ऊपरी वायुमंडल में बनते हैं, जो कि जमीन पर काम करने वाले निगरानी स्टेशनों से बहुत दूर हैं।

 इस चुनौती पर काबू पाने के लिए, शोधकर्ताओं ने आंकड़ों के एक अहम स्रोत की ओर रुख किया जो कि तूफान और आकाशीय बिजली की गतिविधियां हैं।

गरज के साथ बिजली उत्पन्न होती है, जो पता लगाने योग्य प्रकाश और रेडियो तरंगें उत्सर्जित करती है जिनकी निगरानी हजारों किलोमीटर दूर से की जा सकती है। गरज के साथ बारिश और सिरस बादलों के आंकड़ों को एक साथ जोड़कर, शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण सांख्यिकीय संबंध की खोज की।

यह अध्ययन पिछले छह सालों में दुनिया भर में आए तूफानों को लेकर नासा के आईएसएस-एलआईएस उपग्रह द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित हैं, जो बिजली उत्सर्जन का पता लगाता है। एकत्र किए गए आंकड़ों की तुलना सिरस बादलों की जानकारी, यद्यपि सीमित और पूरक मॉडल के साथ की गई थी।

फिर भी, परिणामों से तूफान की गतिविधि और सिरस बादलों के निर्माण के बीच एक स्पष्ट संबंध का पता चला। तूफानों की संख्या के साथ सिरस बादलों की मात्रा में वृद्धि हुई, यह दर्शाता है कि तूफान वायुमंडल में सिरस बादलों के एक विश्वसनीय संकेतक के रूप में काम कर सकते हैं।

प्रोफेसर प्राइस ने बताया कि, तूफान सिरस बादलों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, दुनिया भर में सिरस बादलों की मात्रा में 70 प्रतिशत से अधिक बदलावों के लिए आकाशीय बिजली की गतिविधि जिम्मेदार है।

उन्होंने बताया, तूफान एक विशाल 'वैक्यूम क्लीनर' के रूप में कार्य करता है, जो ग्रह की सतह से नमी उठाता है, विशेष रूप से महासागरों और जंगलों से, उच्च वायुमंडलीय स्तर तक। लगभग 10 किलोमीटर की ऊंचाई पर, यह नमी बर्फ में क्रिस्टलीकृत हो जाती है, जिससे सिरस बादल बनते हैं।

प्रोफेसर प्राइस ने कहा कि जलवायु मॉडल आने वाले वर्षों में तूफान की गतिविधि में वृद्धि होने का पूर्वानुमान लगाते हैं, जो अगर साकार हो जाता है, तो सिरस बादलों का निर्माण तेज हो सकता है, जिससे दुनिया भर में बढ़ते तापमान में और तेजी आ सकती है।

प्रोफेसर प्राइस ने कहा, अगर ये पूर्वानुमान सच होते हैं, तो तूफान की आवृत्ति में वृद्धि के कारण अधिक मात्रा में सिरस बादलों के बनने के आसार हैं। ये बादल, 'वायुमंडलीय कंबल' के रूप में कार्य करते हुए, ग्लोबल वार्मिंग को और बढ़ा देंगे।