आपदा

हिमाचल: मानसून सीजन में आपदाओं में 470 लोगों की जानें गई, 1140 करोड़ का नुकसान

हिमाचल प्रदेश में पिछले 17 वर्षाें में दूसरी बार सबसे लंबा रहा मानसून सीजन, आठ जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई

Rohit Prashar

हिमाचल प्रदेश को कई गहरे घाव देकर आठ अक्टूबर को मानसून की विदाई हो गई। हालांकि मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में इस बार मेघ सामान्य से 10 फीसदी कम बरसे हैं।

लेकिन प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं से हिमाचल को बहुत नुकसान पहुंचा। इस साल 1 जून से 8 अक्टूबर तक चले मानसून सीजन में 470 लोगों की जानें चली गई और 627 घायल और 12 लोग लापता हैं।

साथ ही, भारी बारिश, बाढ़, बादल फटने, लैंडस्लाइड (भूस्खलन) और चट्टानें दरकने की वजह से प्रदेश के सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र की 1140 करोड़ रुपए की संपदा को नुकसान पहुंचा है।

राजस्व विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस बार मानसून सीजन में प्राकृतिक आपदाओं और दुघर्टनाओं में सबसे अधिक 57 लोगों की जान अकेले किन्नौर जिले में गई हैं।

यदि पिछले वर्ष की आपदाओं से तुलना की जाए तो पिछले साल हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं में 25 लोागों की जानें गई थी और 615 करोड़ रूपये की संपति को नुकसान पहुंचा था।

लेकिन इस बार मौसम के विकराल रूप के चलते प्राकृतिक आपदाओं में बहुत से लोगों की जानें तो गई, साथ ही पिछले साल की तुलना में संपति का भी दोगुना नुकसान हिमाचल प्रदेश को उठाना पड़ा है।

राजस्व विभाग के प्रधान सचिव ओंकार शर्मा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि इस बार प्राकृतिक आपदाएं अधिक देखी गई। जिसमें प्रदेश को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि मानसून सीजन में हुए जान-माल के नुकसान के लिए 18 करोड़ रुपए की राहत राशि बांटी गई है। इसके अलावा मानसून सीजन में नुकसान की रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार से राहत राशि मांगी जाएगी।

पिछले 17 वर्षाें में दूसरा लंबा मानसून सीजन

मौसम विभाग केंद्र, शिमला के अनुसार हिमाचल में पिछले 17 वर्षाें में दूसरी बार इतना लंबा मानसून सीजन देखा गया है। मानसून सीजन के लंबे चलने के बावजूद प्रदेश के 12 में से 8 जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है।

इस बार लाहौल-स्पीति जिले में सामान्य से 69 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई। यदि हिमाचल में पिछले चार वर्षाें के डाटा को देखा जाए तो 2018 में यहां सामान्य से 21 फीसदी अधिक बारिश दर्ज हुई थी, जिसमें 1479 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

वहीं 2019 में प्रदेश में सामान्य से 10 फीसदी कम बारिश हुई और इस दौरान 1200 करोड़ का नुकसान हुआ। वहीं पिछले वर्ष 2020 में प्रदेश में 27 फीसदी कम बारिश हुई थी।

इस बार के मानसून सीजन में प्रदेश में 7 बार भारी से भारी बारिश (एक्स्ट्रीम) की घटनाएं हुईं। जिनमें 23 स्थानों में अत्यधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। 

इसके अलावा यदि माहवार बारिश को देखा जाए तो मानसून के पहले महीने जून में सामान्य से 16 फीसदी कम, जुलाई में सामान्य से 5 फीसदी अधिक, अगस्त में 44 फीसदी कम और सितंबर में सामान्य से 34 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है।

हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ वर्षाें में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण में हो रहे बदलावों को प्राकृतिक आपदाओं की सूरत में देखा जा रहा है।

पिछले 17 सालों में मानसून के क्रम पर नजर रखी जाए तो इन वर्षाें में केवल दो बार 2012 में 15 फीसदी और 2018 में 12 फीसदी अधिक बारिश देखी गई है। जबकि शेष वर्षाें में मानसून सीजन में भारी कमी देखी जा रही है।

बारिश के क्रम में लगातार होती कमी से प्रदेश के कई स्थानों में पीने और खेतों के लिए सिंचाई के पानी की किल्लत देखी जा रही है।