आपदा

कैसे एक शक्तिशाली चक्रवाती तूफान में बदल गया 'बिपरजॉय', क्या है इसके पीछे की वजह

समुद्री सतह के तापमान, समुद्र में मौजूद गर्मी, ऊपरी हवा में आए विचलन और कमजोर विंड शीयर ने अब तक दो बार बिपरजॉय को तेज करने में मदद की है

Rohini Krishnamurthy, Lalit Maurya

विभिन्न कारकों के संयोजन ने 11 जून, 2023 को चक्रवात तूफान 'बिपरजॉय' को एक गंभीर श्रेणी के तूफान से अत्यंत गंभीर श्रेणी के चक्रवाती तूफान का रूप लेने में मदद की है। गौरतलब है कि अत्यंत गंभीर श्रेणी के चक्रवात तब बनते हैं जब उनकी हवा की गति 168 से 221 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच जाती है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, 12 जून की सुबह 11.30 बजे तक हवा की गति 165 से 175 के बीच थी जो बढ़कर 190 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई थी।

इससे पहले 10 जून को दोपहर 2.30 बजे, आईएमडी ने चेतावनी दी थी कि चक्रवात बिपरजॉय एक अत्यंत गंभीर श्रेणी के चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा। ऐसा हुआ भी यह भविष्यवाणी पूरी तरह सही निकली और 11 जून 2023 को सुबह 5.30 बजे यह चक्रवात एक अत्यंत गंभीर चक्रवात के रूप में बनना शुरू हो गया। जो 12 जून 2023 को 11.30 बजे तक इस श्रेणी में ही बना रहा। हालांकि यह भविष्यवाणी कुछ घंटे पहले ही की गई थी।

इस बारे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के एक जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने डाउन टू अर्थ (डीटीई) को बताया कि, "मॉडल ने इस तीव्रता की आशंका नहीं जताई थी। हालांकि, हमारा अध्ययन चक्रवातों के बेहद गंभीर श्रेणी के चक्रवातों में बदलने की प्रवृत्ति को स्पष्ट तौर पर दिखाता है।"

क्या है इसके पीछे का विज्ञान

उनके अध्ययन में अरब सागर में आने वाले चक्रवातों की संख्या में 52 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं बेहद गंभीर श्रेणी के चक्रवातों में 150 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। इस वृद्धि के लिए समुद्र के बढ़ते तापमान और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बढ़ती नमी को जिम्मेवार माना गया है। बता दें कि चक्रवात 'बिपरजॉय' अपने जीवनकाल में दो बार तेज हुआ।

इस बारे में दक्षिण कोरिया की जेजू नेशनल यूनिवर्सिटी के पोस्टडॉक्टरेट शोधकर्ता विनीत कुमार का कहना है कि, "यह 1982 के बाद से अरब सागर में मानसून से पहले के समय में आया चौथा सबसे लंबे समय तक टिकने वाला चक्रवात है।"

कुछ उतार-चढ़ाव के चलते मॉडल इसकी तीव्रता का पहले से अनुमान नहीं लगा पाए, जो चक्रवात को मजबूत या कमजोर करने में मदद करते हैं। इनमें ऊपरी क्षेत्र की हवा में आया विचलन, ऊंचाई के साथ हवा की दिशा और गति में आया बदलाव (विंड शीयर) और शुष्क हवा जैसे कारण जिम्मेवार हैं।

बता दें कि विंड शीयर का मतलब ऊंचाई के साथ हवा की मात्रा, गति और दिशा में आए बदलाव से है। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के मुताबिक, बड़ी मात्रा में विंड शीयर आमतौर पर चक्रवातों की तीव्रता के लिए बुरी खबर है। इस बारे में रॉक्सी मैथ्यू कोल ने समझाया कि, " उत्तरी अरब सागर की ओर शीयर कमजोर है जो चक्रवात की तीव्रता में वृद्धि के लिए अनुकूल है।“

इसके अलावा, ऊपरी क्षेत्र में मौजूद हवा में विचलन तब होता है जब हवा एक क्षेत्र से दूर बहती है। ऐसे में इस हवा ने भी चक्रवात को ताकत हासिल करने में मदद की है। वहीं समुद्र की सतह का तापमान और समुद्र में मौजूद गर्मी पहले से ही चक्रवात के पक्ष में थी।

नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंस और रीडिंग विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान विभाग से जुड़े वैज्ञानिक अक्षय देवरस ने इस बारे में समझाया कि, "इस विचलन को वेंटिलेटर के रूप में सोचें, जो चक्रवात को हवा छोड़ने में मदद करता है। यह चक्रवात को बाहर निकलने देता है और इसकी तीव्रता को बढ़ाता है। ऐसे में अगर इसे रोका जाता है तो यह कमजोर हो जाएगा।" गौरतलब है कि देवरस ने पहले डीटीई को बताया था कि पाकिस्तान की ओर से शुष्क हवा की घुसपैठ हुई है, जो चक्रवात में बाधा बन सकती है।

15 जून को जखाऊ पोर्ट (गुजरात) के पास से गुजरेगा तूफान

वहीं 11 जून 2023 को, समुद्र की सतह के तापमान, कमजोर विंड शीयर, और ऊपरी हवा के विचलन ने नकारात्मक कारक मतलब की शुष्क हवा पर काबू पा लिया था, जिसकी वजह से 'बिपरजॉय' को ताकत मिली है।

इस चक्रवात के बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान बनने की भविष्यवाणी की गई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक जैसे ही चक्रवात तट के पास पहुंचेगा उसके 15 जून 2023 को दोपहर तक जखाऊ पोर्ट (गुजरात) के पास मांडवी (गुजरात) और कराची (पाकिस्तान) के बीच पार करते ही बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान में कमजोर पड़ने की आशंका है। उस समय हवा की अधिकतम गति 125 से 135 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच रह सकती है, जो 150 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है।

डायवर्जेंस के रुकने की उम्मीद है और विंड शीयर बढ़ सकती है। इस बारे में देवरस का कहना है कि, "तट के पास पहुंचते ही शुष्क हवा प्रबल हो जाएगी।" उनका कहना है कि ये कारक चक्रवात को कमजोर करने में मदद कर सकते हैं।

उनका कहना है कि यह उतार-चढ़ाव, मॉडल की भविष्यवाणियों की सटीकता को प्रभावित कर रहे हैं। मॉडल्स हमें इसकी तीव्रता के बारे में कॉन्फिडेंस के साथ नहीं बता पा रहे हैं। देवरस के मुताबिक, "हम जानते हैं कि यह कमजोर होगा लेकिन कितना यह स्पष्ट नहीं है।"

बता दें कि अरब सागर में बने इस चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ ने भारत के तटीय इलाकों पर अब असर दिखाना शुरू कर दिया है। इसके कारण मुंबई समेत कई शहरों में बारिश हुई है जबकि 55 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलना शुरू हो गई हैं। वहीं गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ तटों पर भी तेज हवाएं चल रही हैं, जबकि जाम नगर और मुंबई में हाई टाइड आ रहे हैं।