भारी बारिश और बाढ़ के बाद अस्त-व्यस्त जन जीवन; फोटो: आईस्टॉक 
आपदा

दक्षिण एशिया में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन का कहर, 60 लाख बच्चों के प्रभावित होने की आशंका

Lalit Maurya

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यानी यूनिसेफ ने भारी बारिश और बाढ़ की वजह से दक्षिण एशिया में लाखों बच्चों के प्रभावित होने की आशंका जताई है। गौरतलब है कि भारत सहित दक्षिण एशिया में यह मानसून का सीजन है। एजेंसी के मुताबिक कई दक्षिण एशियाई देशों में भारी बारिश के बाद बाढ़ के साथ-साथ जमीन धंसने की कई घटनाएं सामने आई हैं। 

ऐसे में यूनिसेफ ने चिंता जताई है कि इन घटनाओं में करीब 60 लाख बच्चों के प्रभावित होने की आशंका है। बता दें कि इस साल मानसून में हुई बारिश और उसके बाद आई बाढ़ ने भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और अफगानिस्तान में भारी कोहराम मचाया है।

यूनीसेफ ने इस बारे में जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि, “हम इन देशों में 60 लाख से अधिक बच्चों और परिवारों की सुरक्षा को लेकर बहुत चिन्तित हैं। इन लोगों के या तो घर छूट गए हैं या वो अपने घरों को छोड़ जाने के लिए मजबूर हैं। यह लोग जीवन के लिए भी जद्दोजेहद कर रहे हैं।”

आज सुबह केरल के वायनाड जिले में हुए भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है, मीडिया में छपी खबरों से पता चला है कि वहां अब तक 36 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 70 लोगों के घायल होने की पुष्टि हो चुकी है। अंदेशा है कि सैकड़ों लोग मलबे में फंसे हो सकते हैं।

इसी तरह भारी बारिश के चलते जून के बाद से असम में बाढ़ की गंभीर घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं ने कम से कम पांच लाख से अधिक बच्चों और उनके परिवारों की जिंदगी में उथल-पुथल मचा दी है। बीते सप्ताह ही, आठ हजार से अधिक बच्चे राहत शिविरों में रहने को मजबूर थे।

इसी तरह अफगानिस्तान के पूर्वी क्षेत्र में हाल में आई बाढ़ में कम से 58 लोगों की मौत हो गई और 1,900 से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं। देश के पूर्वी प्रान्तों बागलान और बदखशां में बार-बार आई बाढ़ के घटनाओं ने लाखों बच्चों के जीवन पर असर डाला है। इससे पहले जून में गोर प्रान्त में भी बाढ़ आई थी।

यूनिसेफ ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए कहा है कि बांग्लादेश में मई के बाद से आई भारी बारिश और भीषण बाढ़ की घटनाओं ने 61 लाख से अधिक बच्चों के जीवन को प्रभावित किया है।

इसी तरह मीडिया में छपी खबरों से पता चला है कि नेपाल में आई बाढ़ और जमीन धंसने की घटनाओं में हाल ही में कम से कम 109 लोग मारे गए हैं, जिनमें 35 बच्चे भी शामिल हैं। इन आपदाओं में 1,580 परिवार प्रभावित हुए हैं।

यदि पाकिस्तान की बात करें तो यूनिसेफ के मुताबिक वहां अप्रैल से लेकर भारी बारिश और बाढ़ की घटनाओं ने अब तक 124 जिंदगियां निगल ली हैं, इनमें 74 बच्चे भी शामिल हैं। मानसून अब पूरे देश पर हावी हो चुका है, जिससे कहीं ज्यादा बच्चों का जीवन प्रभावित हो रहा है।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी का कहना है कि बाढ़ के साथ बच्चों के लिए अन्य गंभीर समस्याएं भी पैदा होती हैं। बाढ़ की वजह से सुरक्षित पेय जल आपूर्ति बाधित हो सकती है। नतीजन डायरिया और दूसरी बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। यदि इनका उपचार न किया जाए तो बच्चों में पानी की कमी या कुपोषण जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

इसी तरह बार-बार आने वाली बाढ़ से प्रभावित बच्चों का वजन और विकास दूसरे बच्चों की तुलना में कम रहने की आशंका कहीं ज्यादा होती है। इन बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के साथ-साथ इन आपदाओं से सड़कें और बुनियादी ढांचे नष्ट हो जाते हैं, जिससे इन बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ता है। नतीजन बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, शोषण और तस्करी का खतरा भी बढ़ जाता है। इतना ही नहीं बाढ़ की वजह से स्वच्छता सुविधाओं पर भी असर पड़ता है।

जलवायु परिवर्तन के साथ कहीं ज्यादा गहरा रहा है संकट

यूनिसेफ ने चरम मौसमी घटनों में होती वृद्धि पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि यह घटनाएं जलवायु में आते बदलावों के चलते कहीं ज्यादा विकराल रूप ले रही हैं, बार-बार घटने वाली यह घटनाएं बच्चों के जीवन पर गहरा असर डाल रही हैं।

यूनिसेफ के मुताबिक भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान दक्षिण एशिया के चार ऐसे देश हैं जहां बच्चे जलवायु से जुड़ी आपदाओं की वजह से गंभीर खतरे में हैं। बच्चों पर मंडराते जलवायु जोखिमों को ध्यान में रखते हुए यूनिसेफ ने जो सूचकांक जारी किया है, उसमें दर्शाया गया है कि इन देशों में बच्चे जलवायु आपदाओं के अत्यंत उच्च जोखिम का सामना कर रहे हैं।

उदाहरण के लिए इस इंडेक्स में भारतीय बच्चों को 7.4 अंकों के साथ अत्यंत जोखिम में रखा गया है। इसी तरह पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में बच्चों पर भी जलवायु से जुड़ी आपदाओं का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। यह ऐसे देश हैं जहां बच्चे, जलवायु आपदाओं के गंभीर प्रभावों का सामना करने को मजबूर हैं।