आपदा

हिमाचल में भारी बारिश की आशंका, अलर्ट जारी

हिमाचल में लगातार बारिश और भूस्खलन से राज्य सरकार को अब तक 138 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है

Varsha Singh

लगातार भारी बारिश से हिमाचल प्रदेश में जनजीवन अस्तव्यस्त है। अगले कुछ दिन भी यहां के लोगों के लिए भारी पड़ेंगे। बारिश और भूस्खलन के चलते जगह-जगह रास्ते बंद हैं। जिससे आवाजाही प्रभावित हो रही है। इमारतों में पानी घुस गया है। जिस बारिश का किसान बेसब्री से इंतज़ार करते हैं, इस समय वो आफत बनकर बरस रही है। लगातार बारिश और भूस्खलन से राज्य सरकार को अब तक 138 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। 31 जुलाई की शाम तक राज्य की 309 सड़कें बंद थीं। जिन्हें खोलने का कार्य लगातार जारी है। 22 लोगों की मौत हुई है, जिसमें सोलन में इमारत गिरने से मारे गए लोग भी शामिल हैं।

राजधानी शिमला सहित राज्य के ज्यादातर हिस्सों में बुधवार को दिन भर तेज बारिश हुई। जिसके चलते नदी-नाले उफान पर हैं। घरों और बाज़ारों में पानी घुस गया है। मलबे में वाहन दब गए हैं। बारिश के चलते हो रहे भूस्खलन से न सिर्फ आवाजाही प्रभावित हो रही है, बल्कि जानलेवा भी हो गई है।

3 और 4 अगस्त को भारी बारिश का अलर्ट

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक डॉ मनमोहन सिंह के मुताबिक आज मौसम अपेक्षाकृत बेहतर है। लेकिन अगले दस दिनों तक लगातार बारिश रह सकती है। हालांकि ये बारिश धीमी से मध्यम के बीच होगी। इसलिए मुश्किल बहुत ज्यादा नहीं है। लेकिन 3 और 4 अगस्त को राज्य में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। इन दिनों में ज्यादातर स्थानों पर भारी बारिश का अनुमान जताया गया है।

डॉ मनमोहन सिंह के मुताबिक इस वर्ष अब तक सामान्य से करीब 30 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। जून के महीने में सामान्य से करीब 40 प्रतिशत से कम बरसात हुई। इसकी एक वजह मानसून में देरी भी थी। अमूमन 23 जून तक पहुंचने वाले मानसून ने हिमाचल में 7-8 जुलाई को प्रवेश किया है। जुलाई में भी इस वर्ष 22 प्रतिशत कम बारिश हुई है। जबकि पिछले वर्ष जुलाई में 12 प्रतिशत कम बरसात हुई थी। डॉ मनमोहन के मुताबिक बारिश के पिछले 30-40 सालों का डाटा देखें, तो जून और सितंबर में बारिश बढ़ रही है, जबकि जुलाई और अगस्त में सामान्य से कम बारिश हो रही है।

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मुताबिक पिछले सात दिनों में राज्य में सबसे अधिक बारिश हमीरपुर में 224.5 मिलीमीटर रिकॉर्ड की गई। जो कि सामान्य से 150 मिमी. अधिक है। इसी तरह कांगड़ा में 170.1 मिमी, मंडी में 150.11 मिमी, बिलासपुर में 129.7 मिमी, सिरमौर में 124.1 मिमी, ऊना में 112.1 मिमी और शिमला में 94.5 मिमी बारिश दर्ज की गई है।

ये सात दिन हिमाचल में बारिश के साथ भूकंप के लिहाज से भी संवेदनशील साबित हुए। 29 जुलाई को लाहौल-स्पीती और उसके आसपास के इलाकों में 4.3 त्रीवता का भूकंप महसूस किया गया। हिमाचल प्रदेश स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथारिटी के मुताबिक एक हफ्ते के अंदर तीन बार भूकंप के झटके महसूस किये गये। इस साल राज्य में जनवरी से अब तक 4.3 या इससे कम तीव्रता के 14 झटके महसूस किए जा चुके हैं। भूकंप के लिहाज से हिमाचल प्रदेश अति संवेदनशील और संवेदनशील ज़ोन में आता है। इसलिए सरकार ने भूकंप के लिहाज से भी लोगों को सतर्क रहने को कहा है।