आपदा

बुलबुल चक्रवात के पहुंचने से ओडिशा में भारी बारिश शुरू

मौसम विभाग का कहना है कि 10 नवंबर को सुबह बुलबुल चक्रवात के टकराने से पहले ही ओडिशा में तेज बारिश शुरू हो गई है

Ashis Senapati

ओडिशा के तटीय जिलों केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, पुरी, बालासोर, भद्रक और गंजम में 8 नवंबर, 2019 को भारी बारिश हुई। इसे बुलबुल चक्रवात के आने से पहले का कारण माना जा रहा है।

मौसम विभाग, भुवनेश्वर केंद्र के निदेशक एचआर बिस्वास ने कहा कि 10 नवंबर, 2019 की सुबह पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप और बांग्लादेश के खेपूपारा के बीच बुलबुल पहुंच रहा है। इस वजह से, ओडिशा के तटीय जिलों में 8 नवंबर को भारी बारिश हो रही है।  

राज्य सरकार के विशेष राहत आयुक्त प्रदीप जेना ने मौसम विभाग द्वारा जारी चेतावनी के बाद 8 नवंबर को पारादीप बंदरगाह पर एक चक्रवात वार्निंग फ्लैग नंबर एक फहरा दिया उन्होंने कहा कि ओडिशा आपदा रैपिड एक्शन फोर्स (ओडीआरएएफ) की दो टीमें और एक राष्ट्रीय आपदा रैपिड एक्शन फोर्स (एनडीआरएफ) की टीम को छह जिलों को तैनात कर दिया गया है।  

वहीं कुजंग स्थित फिशरी (मेरीन) के अतिरिक्त निदेशक मानस साहू ने कहा कि चक्रवात को लेकर दी गई चेतावनी के बाद पश्चिम बंगाल की मछली पकड़ने वाली लगभग पचास नौकाओं ने 8 नवंबर को धमार बंदरगाह पर शरण ली है।

उन्होंने बताया कि लगभग 559 ट्रॉलर और मछली पकड़ने की लगभग 300 नौकाएं पहले ही समुद्र से लौट आई हैं और पारादीप में मछली पकड़ने के बंदरगाह हैं। हम मछुआरों को समुद्र में जाने के खिलाफ लाउडस्पीकर के माध्यम से चेतावनी दे रहे हैं।

साहू ने बताया कि हमने हाल ही में मछुआरों के बीच जागरूकता शिविरों का आयोजन किया था, दोनों केंद्रों और जगतसिंहपुर जिलों में मछली पकड़ने वाले गांवों में मछुआरों को मनाने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि चेतावनी के बावजूद मछुआरों ने ध्यान नहीं दिया तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि मछुआरों का कहना है कि इस तरह के चक्रवात से उनकी कमाई पर बुरा असर पड़ता है, क्योंकि उनकी कमाई का समुद्र ही एकमात्र जरिया है।

वहीं, केंद्रपाड़ा के जिला कलेक्टर समरथ वर्मा ने कहा कि अधिकारी स्थानीय सरपंचों और अन्य पंचायत सदस्यों के साथ मिलकर राजनगर और महाकालपाड़ा ब्लॉक के समुद्र तटीय गांवों में लोगों को चक्रवात के लिए तैयार करने में मदद कर रहे हैं।

इस बीच, केंद्रपाड़ा और जगतसिंहपुर में कई किसानों ने चक्रवात के दौरान नष्ट होने की आशंकाओं के कारण पूरी तरह से परिपक्व होने से पहले ही अपनी धान की फ़सल की कटाई शुरू कर दी है।

भरतपुर के किसान बाबाजी राणा ने कहा कि धान की फसलों को कई क्षेत्रों में कटाई के लिए परिपक्व होने में लगभग 10 से 20 दिन लगेंगे। अगर तेज हवाओं के साथ बारिश होती है, तो धान की फसलें पूरी तरह से खराब हो जाएंगी।

ईश्वरपुर गाँव के नारायण साहू ने कहा, “बेमौसम बारिश और हवा हमारी धान की फसलों को नुकसान पहुंचाएगी। मैंने 6 नवंबर को अपनी दो एकड़ ज़मीन से धान की कटाई के लिए छह मजदूरों को काम पर लगाया है। बल्कि मजदूरों की कमी के कारण अपनी पत्नी, बेटियों और बहुओं को भी धान की कटाई के लिए लगाया।