आपदा

ग्राउंड रिपोर्ट, भाग-एक : क्यों दरक रहे हैं हिमाचल प्रदेश के पहाड़

मानसून सीजन 2021 में हिमाचल प्रदेश को काफी नुकसान हुआ है, लेकिन क्या इसकी वजह केवल मानसून ही है या कुछ और वजह है, डाउन टू अर्थ की ग्राउंड रिपोर्ट -

Raju Sajwan, Rohit Prashar

“11 अगस्त को दोपहर लगभग ढाई बजे मैं घर पर था कि अचानक बाहर बहुत तेज आवाज आई। मैं बाहर निकला तो हमारे घर के लगभग 500 मीटर नीचे से गुजर रहे नेशनल हाइवे से आवाजें आ रही थी और चारों ओर धूल ही धूल फैली थी। किसी अनहोनी की आशंका के डर से मैं नीचे हाइवे की ओर भागा। कुछ ही देर में मैं वहां पहुंच गया तो देखते ही सिहर गया। इससे पहले मैंने अपने जीवन में ऐसा दृश्य नहीं देखा।“ 55 वर्षीय सुन्नी राम वह शख्स हैं, जो 11 अगस्त 2021 को हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के गांव निगुलसरी के पास भूस्खलन स्थल पर सबसे पहले पहुंचे थे, क्योंकि उनका घर घटनास्थल के ऊपर कुछ ही दूरी पर है।

घटना के लगभग तीन सप्ताह बाद मौके पर पहुंचे डाउन टू अर्थ को सुन्नी राम ने बताया कि ऐसा नहीं है कि उन्हें अंदेशा नहीं था कि यहां कोई दुर्घटना हो सकती है, क्योंकि यहां अकसर पत्थर गिरते रहते हैं, लेकिन इस बात का अंदेशा नहीं था कि इतनी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। इस दुर्घटना में 28 लोगों की मौत हो गई थी। भूस्खलन की वजह से गिरे बड़े-बड़े पत्थरों की वजह से सवारियों से भरी बस और कई वाहन चपेट में आ गए थे।

किन्नौर जिले के थांच गांव के निवासी सुन्नी राम कहते हैं कि पिछले कुछ सालों से उनके इलाके में भूस्खलन और पहाड़ से पत्थर गिरने की घटनाएं अकसर हो रही हैं। 11 के बाद 13 अगस्त 2021 को भी इसी जगह पत्थर गिरे, उससे ठीक पहले एक बस वहां से गुजरी थी। 2019 में लगभग इसी जगह भूस्खलन हुआ था, जिसमें आदमी तो बच गए, लेकिन लगभग तीन दर्जन भेड़ बकरियां मर गई थी। वह साफ तौर पर कहते हैं कि उनके गांवों के नीचे से गुजर रही नाथपा झाकड़ी पावर प्रोजेक्ट (1500 मेगावाट) की टनल के कारण ये हादसे हो रहे हैं। इस टनल के निर्माण के वक्त भारी-भारी विस्फोट किए गए। उस समय तो इसका असर नहीं दिखा लेकिन कुछ साल बाद असर दिखना शुरू हुआ। उनके खेतों और बगीचों में दरारें पड़ने लगी और उनके गांवों को पानी की आपूर्ति करने वाले झरने व स्त्रोत सूख गए। अब तो उनके गांव के लगभग हर घर की दीवार पर दरारें आ गई हैं।

पास के ही गांव निगुलसरी के निवासी जिन्होंने सरकारी कर्मचारी होने के कारण नहीं बताया का कहना है कि टनल डालने के लिए विस्फोट किए जाने के कारण पहाड़ काफी कमजोर हो गया है और अब धीरे-धीरे पहाड़ दरकने लगा है, जिसकी वजह से भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। वह कहते हैं कि उनके गांव के लगभग हर घर में दीवारों पर दरारें पड़ चुकी हैं। 2014 में तो बड़े पत्थर अचानक गिरने लगे, जिसकी वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन घर ढह गए। आजकल भी यहां छोटे-छोटे पत्थर गिर रहे हैं। निगुलसरी गांव में लगभग 250 गांव है।  

ग्राम पंचायत के उपप्रधान गोविंद मोयान  कहते हैं कि भूस्खलन की घटना की जांच करने के लिए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने मुआयना किया और बाद में रिपोर्ट दी कि यह घटना प्राकृतिक आपदा है। जबकि ग्रामीण जानते हैं कि यह केवल प्राकृतिक कारणों से नहीं हुआ, बल्कि इसके लिए हाइड्रो प्रोजेक्ट की टनल जिम्मेवार है। वह कहते हैं कि जिस जगह 11 अगस्त 2021 को हादसा हुआ, उससे बहुत कम दूरी पर  टनल डाली गई है। उनकी पंचायत में पांच गांव हैं। निगुलसरी, थाच के अलावा तरंडा, छौड़ा और ननस्पो। ये सभी गांव हाइड्रो प्रोजेक्ट की वजह से किसी न किसी तरह प्रभावित हैं। मोयान बताते हैं कि घटना के बाद मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने जब घटनास्थल का दौरा किया था, तब इन गांवों की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिला था और ज्ञापन में कहा था कि टनल की वजह से उनके गांवों को खतरा है, इसलिए उनके गांवों की सुरक्षा का इंतजाम किया जाए।