पटियाला में बाढ़ का पानी खेतों में घुसता जा रहा है। फोटो:  
आपदा

पटियाला से ग्राउंड रिपोर्ट: प्रशासन नहीं, लोग कर रहे हैं एक दूसरे की मदद

पंजाब के लगभग सभी जिले बाढ़ की चपेट में हैं। पटियाला के 30 गांवों में बाढ़ की वजह से फसलें बर्बाद हो रही हैं

Manoj Thakur

  • पटियाला के बाढ़ प्रभावित गांवों में प्रशासन की अनुपस्थिति में लोग एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं

  • गुरुद्वारा से लंगर और चारा पहुंचाया जा रहा है

  • किसान अपने ट्रैक्टर से बाढ़ में फंसे लोगों तक सहायता पहुंचा रहे हैं

  • प्रशासन की मदद न मिलने पर ग्रामीणों ने खुद ही एकजुट होकर इस संकट का सामना करने का संकल्प लिया है

पंजाब के पटियाला जिले के गांव चमारू खेड़ा के 53 वर्षीय किसान हरबंस सिंह विर्क का पांच सदस्यीय परिवार तीन दिन से बाढ़ की चपेट में हैं। घर का रखा राशन खराब हो गया है। मवेशियों के लिए चारा नहीं बचा। उम्मीद है तो बस गुरूद्वारा से आने वाले लंगर से। वहां से ही मवेशियों के लिए चारा भी आ रहा है।

बाढ़ से आपदाग्रस्त पंजाब दुख की इस घड़ी में भाईचारे की ऐसी इबारत लिख रहा हैं, जिसे महसूस करने के लिए पीड़ितों के बीच में आना होगा। ग्रामीण अपना अपना दुख व तकलीफ भूल कर एक दूसरे की मदद कर रहे हैं।

किसान अपने अपने ट्रैक्टर ट्राली लेकर बाढ़ में फंसे हुए लोगों के लिए लंगर लेकर आ रहे हैं। मवेशियों के लिए चारा भी ट्रैक्टर ट्राली से लाया जा रहा है। लंगर सेवा में लगे उंटसर गांव के जोगिंदर सिंह 65 ने बताया कि हम खुद से ही डीजल डाल कर ट्रैक्टर चला रहे हैं।

4 सितंबर 2025 की की देर शाम डाउन टू अर्थ की टीम गांव चमारू पहुंचने के लिए जैसे ही मुख्य सड़क से संपर्क मार्ग पर आए तो पूरा इलाका बाढ़ की चपेट में दिखा। पानी खेतों के रास्ते सड़कों से होकर गुजर रहा है।

किसानों की धान की पकी फसल पानी से बिछ गई। आगे जाना मुश्किल था। बिजली के पोल टूट गए हैं। इस वजह से यहां लाइट की भी दिक्कत है। यहां कम से कम 20 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। पांच गांवों में तो पानी घरों में भी घुस गया है। वहां आने जाने के लिए ट्रैक्टर ही एकमात्र साधन बचता है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से दस किलोमीटर दूर गांव जडमंगोली स्थित शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के गुरूद्वारे से बाढ़ पीड़ितों के लिए लंगर जा रहा है। यहां स्वयंसेवक जोगेंद्र सिंह ने कहा, कुछ समय पहले तक हम गुरदासपुर में बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे थे। क्या पता था, हम खुद भी बाढ़ की चपेट में आकर अब खुद मदद के तलबगार हो जाएंगे।

ग्रामीण अपने ट्रैक्टर लेकर सुबह ही गुरूद्वारे में आ जाते हैं। ट्राली में चारा लाद कर बाढ़ प्रभावित गांवों में मवेशियों को उपलब्ध कराया जाता है।

पटियाला के गांव तेपला, राजगढ़, महमूदपुर, दारवा, संजरपुर, नन्हेरी, रायपुर, ,शमसपुर, उंटसर, जंड मनोली, हरपाला, कामी खुर्द, रामपुर, सौंता, चमारू, कपूरी, कमालपुर, लाचरू खुर्द, सरला कलां, महदुदा और सरला खुर्द में अलर्ट है। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के स्वयंसेवक सरणजीत सिंह ने बताया कि सरकार की ओर से कोई मदद नहीं आ रही है।

प्रशासन की ओर से एक भी किश्ती यहां नहीं पहुंची। थोड़ा बहुत राशन आया था। अब गुरूद्वारा प्रबंधन ने तय किया है कि अगली बार अपनी कश्ती भी खरीदेंगे। जिससे इस तरह के मुश्किल वक्त में कश्ती से लोगों की मदद की जा सके।

यहां बाढ़ प्रभावित इलाकों में सड़क पर ही कुछ बुजुर्ग अरदास कर सभी की सेहत व सलामती की दुआ मांग रहे हैं। पिपल मंगोली के मस्तान सिंह 55 ने कहा, "हमें एक दूसरे का सहारा है। हम एक दूसरे का दर्द महसूस करते हैं। फसल तबाह हो रही है। हमारी मेहतन पर पानी फिर गया। यह मुश्किल घड़ी है, लेकिन रो नहीं सकते। रोने से क्या होगा? हौसला बनाए रखना है। इसलिए हम सभी एक दूसरे के साथ खड़े हैं, ताकि एक दूसरे को देख कर हम इस मुश्किल वक्त से पार पा सके।"

सरणजीत सिंह ने बताया, "नेता यहां पहुंचते ही नहीं है। वह एक जगह आएंगे, फोटो कराएंगे और वापस चले जाते हैं। बाढ़ बचाने के नाम पर प्रशासन यहां ऐसा ही कर रहा है। हम दुआ कर रहे हैं कि हर किसी का हौसला बना रहे। कोई कमजोर न पड़े। क्योंकि मजबूती से ही बुरे वक्त को टाला जा सकता है।"

5000 हेक्टेयर फसल खराब

पटियाला के अली माजरा के किसान महेंद्र सिंह 56 जडमंगोली के किसान लाभ सिंह 65 व भवंतर सिंह ने बताया कि इलाके की कम से कम 5000 एकड़ जमीन में बाढ़ का पानी आ गया है। इस बार धान समय से पहले रोपाई की थी। फसल लगभग पक कर तैयार होने वाली थी, लेकिन अब सब खत्म हो गया है।

किसान लाभ सिंह ने बताया कि यहां ऐसे किसान है, जिन्होंने 80 हजार रुपए प्रति एकड़ पर खेत ठेके पर लेकर धान की रोपाई की थी। अभी तक औसतन 30 हजार रूपए तक धान की खेती पर खर्च आ गया है। ऐसे लेकिन बाढ़ ने सब कुछ खत्म कर दिया।

उन्होंने बताया कि बाढ़ का पानी उतर जाए तो खेत में जाकर देखेंगे कि बचा क्या है? अभी तो खेत की ओर देखने तक की हिम्मत नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि पहले ही कर्ज में डूब रहे किसानों के लिए अब इस स्थिति से उभरना आसान नहीं होगा।