उड़ीसा में तूफानी चक्रवात फोनी के चलते अब तक पांच लोगों के मृत्यु की खबर है। चक्रवात और सैलाब की जद में आए ग्रामीणों के सामने पेयजल का गहरा संकट खड़ा हो गया है। लाउडस्पीकर के जरिए लोगों को लगातार आगाह किया जा रहा है। वहीं, पुरी जिले में एशिया की सबसे बड़ी चिल्का झील के पास चक्रवाती तूफान फोनी ने काफी तबाही मचाई है। चिल्का झील के आस-पास करीब दो लाख की आबादी मौजूद है। पूरी आबादी 175 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही तूफानी हवाओं के चक्रवात को झेल रही है। कई तटबंध क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इसके चलते गांव जलमग्न हैं। कुछ भय से गांव को छोड़ रहे हैं तो कुछ पूरी तरह बेबस हो चुके हैं। मौसम विभाग ने अपनी पूर्वानुमान में कहा है कि चक्रवात फानी उत्तर-उत्तरपूर्व की तरफ बढ़ता रहेगा। वहीं, अगले नौ घंटे में यह बेहद तीव्र चक्रवात कमजोर हो जाएगा।
केंद्रपाड़ा जिले में राजनगर ब्लॉक स्थित गुप्ती पंचायत की एक 74 वर्षीय वृद्धा की मौत हो गई। वह देवेंद्रनारायणपुर में बने शेल्टर के लिए जा रही थी। मृतका की पहचान हो गई है। वृद्धा का नाम उषा बैद्य है। मृतका के पति का नाम अश्विनी बैद्य है। वहीं, पुरी जिले में तीन लोगों की मौत एक पेड़ के नीचे दबकर हो गई। नयागढ़ जिले में 30 वर्षीय महिला की मौत हुई है। मृतका का नाम सुषमा परीदा है। दासपल्ला में एक दीवार के गिरने के दौरान महिला दब गई। तटीय इलाकों में तेज हवाओं के कारण न सिर्फ पेड़ गिर रहे हैं बल्कि बिजली के खंभे भी टूटे हैं। समुद्र किनारे रहने वाले उड़ीसा के 11 लाख ग्रामीणों ने शेल्टर में शरण ली है।
फोनी के चलते भारी वर्षा हुई है। वहीं, चक्रवात के कारण चिल्का झील में उच्च ज्वार भी उठ रहा है। इससे अत्यधिक पानी आस-पास के गांवों में प्रवेश कर रहा है। चिल्का ब्लॉक के वाइस चेयरमैन उत्पल कुमार पारिकरे ने बताया कि मानसिंहपुर, जारीपदा, कालाकालेश्वर, सोराना, चंदेश्वर, बिरीबाडी, हाताबारेडी, हरिपुर, सनानैरी, बाउलाबंधा, कुमानडालपटाना, अंकुला, सिंघेश्वर, अथराबेतिया, बाडाकुला, डुंगामाला, निमिखेता ग्राम पंचायत चक्रवात के सबसे ज्यादा जद में हैं।
समुद्र का पानी सीधा गांवों में प्रवेश कर रहा है। 500 के करीब मिट्टी की दीवार वाले घर ढ़ह गए हैं। कई मछुआरों ने अपनी नावों और अन्य सामान को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है। हालांकि, उच्च ज्वार और तूफान के चलते कई नावों को भी नुकसान पहुंचा है। चिल्का झील के आस-पास बीते दो दिनों से लगातार हो रही बारिश के चलते ग्रामीण न सिर्फ बर्बादी झेल रहे हैं बल्कि उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। भारी वर्षा के चलते निचली सतह वाले क्षेत्र पूरी तरह पानी के आगोश में समा रहे हैं। तमाम लोगों के घरों में पानी घुस रहा है और वे घर छोड़ने को बेबस हो गए हैं।
समुद्र के पानी को गांव में आने से रोकने के लिए तैयार किए गए मिट्टी के तटबंधों के निर्माण का प्रयास भी व्यर्थ रहा। वे बड़ी जल्दी टूट गए और समुद्र का पानी सीधा गांवों में प्रवेश करने लगा। उत्पल कुमार पारिकरे ने बताया कि अभी क्या नुकसान हुआ है और कितना नुकसान हुआ है यह बहुत ज्यादा स्पष्ट नहीं है। हमें ऐसा लग रहा है कि प्रभावित होने वालों की संख्या हमारे अनुमान से और भी ज्यादा हो सकती है। पारिकरे ने बताया कि प्रभावित होने वाले और शेल्टर में रूके लोगों के लिए सुबह से ही मैं खाने के इंतजाम में लगा हुआ हूं।
चिल्का झील उत्तर-दक्षिण दिशा में 64 किलोमीटर लंबी है। वहीं, 13.5 किलोमीटर पूर्व-पश्चिम में चौड़ी है। सतपाड़ा के पास समुद्र का झील से मिलन होता है। यह जगह बेहद संकरी है। वर्षा के दिनों में यह इलाका जलमग्न होता है वहीं, सूखे के समय उथली जमीन दिखाई देने लगती है।