बेशक बिहार में मॉनसून पहुंच चुका है, लेकिन अभी भी राज्य में सूखे जैसे हालत बन गए हैं। 28 जून 2023 तक के बारिश के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में सामान्य से 74 फीसदी कम बारिश हुई है। यह स्थिति तब है, जबकि पिछले 24 घंटों के दौरान कई जिलों में बहुत अधिक बारिश हुई है। हालात बिगड़ते देख केंद्र की ओर से एक उच्च स्तरीय बैठक पटना में की गई।
मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में एक जून से लेकर 28 जून तक 37.1 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि सामान्य स्थिति में राज्य में 140.4 मिमी बारिश होनी थी। यानी कि राज्य में 74 प्रतिशत कम बारिश हुई है। हालांकि राज्य में मॉनसून का प्रवेश 13 जून को हो गया था।
राज्य के 38 जिलों में से कोई भी ऐसा जिला नहीं है, जहां अब तक सामान्य बारिश हुई हो। सभी जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। सबसे बुरे हालात मुजफ्फरपुर, वैशाली और सारण जिले के हैं। मुजफ्फरपुर में 99 प्रतिशत कम बारिश हुई है, जबकि शेष दोनों जिलों में अब तक सामान्य से 98 प्रतिशत कम बारिश हुई है।
इसके अलावा औरंगाबाद में सामान्य से 91 प्रतिशत, बेगूसराय में 90 प्रतिशत, समस्तीपुर में 95 प्रतिशत, सिवान में 93 प्रतिशत कम बारिश हुई है। हालांकि 27 जून सुबह आठ बजे से लेकर 28 जून सुबह आठ बजे के बीच राज्य में 9.6 मिमी बारिश हुई। इन 24 घंटों में अररिया, बांका, भागलपुर, खागरिया, मुंगेर और सुपौल में सामान्य से बहुत अधिक (60 प्रतिशत से अधिक) बारिश हुई।
बावजूद इसके राज्य में हालत बिगड़ रहे हैं। यही वजह है कि सरकार सूखे से निपटने की तैयारियों में जुट गई है। 28 जून 2023 को बिहार में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में इन तैयारियों की समीक्षा की गई। यहां यह खास बात है कि पिछले साल 2022 में भी बिहार, झारखंड में सूखा पड़ने के बावजूद केंद्र सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए थे। पढ़ें: पूरी रिपोर्ट
आज की बैठक में दिल्ली से पटना पहुंचे केंद्रीय अधिकारियों ने बिहार के अधिकारियों से कहा कि सूखे से निपटने के लिए केंद्र की ओर से जारी दिशा निर्देशों का पालन करें।
सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय की संयुक्त सचिव (फसल एवं तिलहन) शुभा ठाकुर और बिहार सरकार के सचिव (कृषि) संजय अग्रवाल की सह-अध्यक्षता में यह बैठक हुई।
बैठक में बिहार में सूखे से निपटने की तैयारी के अलावा खरीफ की बुआई और कृषि के लिए विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा की गई।
इसके अलावा राज्य के सभी संबंधित योजना नोडल अधिकारियों की उपस्थिति में सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं और केंद्रीय योजनाओं की भी विस्तार से समीक्षा की गई।
बैठक में शामिल बिहार के अधिकारियों ने कहा कि बिहार में सूखे से निपटने की तैयारी के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त निर्देशों के मुताबिक योजनाएं बनाई जा रही है और आवश्यकता पड़ने पर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
हालांकि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के स्थानीय प्रतिनिधि की ओर से बताया गया कि बिहार में मॉनसून आ गया है और अगले कुछ दिनों में व्यापक वर्षा का अनुमान है। यह भी उल्लेख किया गया कि यद्यपि वर्तमान वर्षा की स्थिति इस समय संतोषजनक नहीं है, किन्तु इस तथ्य को देखते हुए कि अगले दो सप्ताह में और अधिक वर्षा होने की संभावना है जिससे स्थिति संतोषजनक हो सकती है।
बिहार के कृषि सचिव ने बताया कि आवश्यकता पड़ने पर बिहार डीजल और बीज के लिए सब्सिडी की घोषणा की जाएगी। बिहार में बीज आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आकस्मिक फसल योजना चल रही है। बिहार राज्य बीज निगम द्वारा 15 किस्मों की फसलों के लिए 41 हजार क्विंटल बीजों की अग्रिम निविदा पहले ही की जा चुकी है।
कृषि विज्ञान केंद्र व राज्य विस्तार विंग के माध्यम से जलवायु अनुरूप कृषि के प्रावधान को बढ़ावा दिया जा रहा है। बिहार के बिजली विभाग ने सिंचाई की सुविधा के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 18-20 घंटे निर्बाध बिजली भी सुनिश्चित की है। इसके अलावा जिला कृषि अधिकारियों द्वारा एक विस्तृत सूखा निवारण योजना तैयार की गई है।
बिहार के कृषि सचिव ने यह भी बताया कि बिहार की राज्य स्तरीय मंजूरी समिति (एसएलएससी) की बैठक 30 जून को होनी है। राज्य सरकार ने आश्वासन दिया कि विशेष रूप से दक्षिण बिहार में फसल विविधीकरण के क्षेत्र पर ध्यान देंगे और मक्का तथा मिलेट जैसी फसलों को बढ़ावा देंगे।
संयुक्त सचिव शुभा ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय योजनाओं के सभी घटकों, जैसे कृषि उपकरण, बीज उत्पादन, इनपुट वितरण आदि के लिए राज्य द्वारा जियो रेफरेंसिंग अनिवार्य रूप से की जाए।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकार को विभागों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) जैसे संस्थानों और कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ बैठकें करनी चाहिए। साथ ही, स्वयं सहायता समूह के सदस्यों की भागीदारी बढ़ानी चाहिए।
गौरतलब है कि इस साल देश में अल-नीनो का भी असर होने वाला है। ऐसे मे चुनावी वर्ष में हालात बिगड़ने की आशंका केंद्र सरकार की चिंता का सबब बनी हुई है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने फरवरी 2023 में ही अल-नीनो से होने वाले नुकसान की आशंका जाहिर कर दी थी।