आपदा

3 जून को मुंबई पहुंचेगा चक्रवात निसर्ग: मौसम विभाग

Akshit Sangomla, Lalit Maurya

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार 3 जून, 2020 को चक्रवात 'निसर्ग' मुंबई के पास तट से टकराएगा| जिसके कारण मानसून की शुरुवात से पहले ही महाराष्ट्र में तेज हवाओं के साथ बारिश और तूफान के आने का अंदेशा लगाया जा रहा है| आईएमडी ने बताया है कि 1 जून को दक्षिण पश्चिम मानसून केरल पहुंचेगा।

1 जून सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर यह चक्रवात पणजी (गोवा) से लगभग 340 किमी दक्षिण-पश्चिम में और मुंबई से 630 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में निम्न दबाव के क्षेत्र के रूप में बनेगा| जोकि 2 जून तक एक चक्रवात का रूप ले लेगा| फिर यह उत्तर से शुरू होगा और उत्तर पूर्व से होता हुआ महाराष्ट्र के तट पर पुनः प्रवेश करेगा| आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, 'निसर्ग' 1890 के बाद से पहला चक्रवात होगा जो जून में महाराष्ट्र तट से टकराएगा।

पिछले साल जून में चक्रवात 'वायु' के महाराष्ट्र के पास टकराने के आसार थे पर वो गुजरात की ओर मुड़ गया था|  ज्यादातर जो चक्रवात जून में बनते हैं वो आमतौर पर गुजरात और पाकिस्तान के तटों की ओर मुड़ जाते हैं या फिर पश्चिम में ओमान और यमन की और चले जाते हैं| 

मध्यम रेंज मौसम का पूर्वानुमान करने वाले यूरोपियन सेंटर ने बताया है कि टकराने के बाद यह चक्रवात कुछ धीमा पड़ जाएगा| इसके बावजूद यह महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में अंदर की और बढ़ जाएगा| जिससे वहां भारी बारिश होने का अंदेशा है|

संयुक्त राज्य अमेरिका के मैरीलैंड विश्वविद्यालय में जलवायु वैज्ञानिक रघु मुर्तुगुडे ने बताया कि जब मानसून की शुरुआत होती है, तो दक्षिण पश्चिम हवाएं तेज हो जाती हैं| और वो सतह से कई किलोमीटर ऊपर उठ जाती हैं| जैसे-जैसे चक्रवात तट के साथ उत्तर की ओर बढ़ता है, तो इसमें वामावर्त (काउंटर क्लॉकवाइज) हवाएं दक्षिण पश्चिम हवाओं को दक्षिण की ओर धकेल देती हैं| यह प्रक्रिया चलती रहती है जिससे चक्रवात बढ़ता जाता है| यह इसमें मौजूद हवाओं की ऊर्जा पर निर्भर करता है कि यह कितनी दूर तक जाएगा| जोकि समुद्र के साथ-साथ जमीन पर भी काफी दूरी तक सक्रिय रह सकता है|

उष्णकटिबंधीय चक्रवात आम तौर पर समुद्री जल के 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म होने के कारण बनते और बढ़ते हैं| गर्मी के कारण समुद्र के ऊपर से गर्म और नम हवा बहती है, जिससे हवा के कम दबाव वाला क्षेत्र बन जाता है| आसपास के क्षेत्र से ठंडी हवा कम दबाव वाले क्षेत्र में आती जाती है| ऐसा होने से ये ठंडी हवा भी गर्म हो जाती है| यह प्रक्रिया चलती रहती है जिससे हवा घूमते हुए एक चक्रवाती तूफान का रुप ले लेती है| चक्रवात अम्फान के समय समुद्र की सतह का तापमान 32 से 33 डिग्री सेल्सियस हो गया था| जोकि अब तक का सबसे ज्यादा रिकॉर्ड किया गया तापमान है| जिसके चलते यह चक्रवात बंगाल की खाड़ी में आये सबसे मजबूत तूफानों में से एक बन गया था|

कई वैज्ञानिक अम्फान के शक्तिशाली तूफान बनने के पीछे एयरोसोल्स में आई गिरावट को वजह मान रहे थे| गौरतलब है कि लॉकडाउन के चलते दक्षिण ऐसा में एयरोसोल्स के स्तर में गिरावट आ गई थी| वातावरण में मौजूद एयरोसोल्स की वजह से असमय बारिश हो जाती है जिससे चक्रवात शक्तिशाली नहीं हो पाते| निसारगा के मामले में भी इसी तरह कम एयरोसोल्स वाली स्थितियां मौजूद हैं। जिस तरह अम्फान ने अपनी 130 किलोमीटर प्रति घंटा की तेज रफ़्तार से कोलकाता वालों को चौंका दिया था, उसी तरह के कुछ मुंबई में भी निसारगा के कारण होने की आशंका है|

यह उत्तरी हिन्द महासागर में इस साल बनने वाला दूसरा चक्रवात है| अम्फान ने इससे पहले पश्चिम बंगाल के सुंदरबन इलाके में 20 मई को भारी तबाही मचाई थी| जिसका सबसे ज्यादा असर दक्षिण बंगाल और कोलकाता पर पड़ा था| पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटिरोलॉजी के जलवायु वैज्ञानिक, रॉक्सी मैथ्यू कोल के अनुसार "हाल ही में जो दोनों चक्रवात - अम्फान और अब निसारगा, इन दोनों के पीछे समुद्र के बढ़ रहे तापमान का बड़ा हाथ है| जिसकी वजह से इनकी तीव्रता बढ़ गई है|" कोल के अनुसार दोनों चक्रवातों के बनने से पहले समुद्र की सतह का तापमान 30° सेल्सियस से ऊपर था| कभी-कभी तो वो 32 से 33 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया था| इस बढ़ते तापमान के चलते इन चक्रवातों को शक्ति मिल रही है जिससे वो बार-बार बन रहे हैं| उनके अनुसार कई मौसम सम्बन्धी मॉडल इस उच्च तापमान के कारण इनकी तीव्रता को पकड़ने में विफल रहते हैं, यही कारण है कि हमें इसकी सटीक भविष्यवाणी करने में मुसीबतें आ रही हैं|

उनके अनुसार देश में चक्रवात के कारण वातावरण में स्थिति सामान्य होने में कुछ वक्त लगेगा| जिससे हो सकता है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की गति में कमी आ सकती है। पिछले साल उत्तरी हिन्द महासागर में आये 8 में से पांच चक्रवात अकेले अरब सागर में दर्ज किये गए थे|  जोकि 1902 के बाद से आये सबसे ज्यादा चक्रवात हैं| यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि 2019 में अरब सागर सामान्य से कहीं अधिक गर्म था| इसके साथ ही पिछले साल महासागर में सबसे ज्यादा गर्मी रिकॉर्ड की गई थी| यह वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि का एक प्रत्यक्ष परिणाम है क्योंकि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से जो गर्मी पैदा हो रही है उसका 90 फीसदी हिस्सा दुनिया के महासागरों में चला जाता है। जिससे वो तेजी से गर्म हो रहे हैं| परिणामस्वरूप चक्रवातों की संख्या और शक्ति बढ़ रही है और वो पहले से कहीं ज्यादा विनाशकारी हो रहे हैं|