भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना डीप डिप्रेशन पिछले छह घंटों के दौरान दो किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर की ओर बढ़ गया है। यह त्रिंकोमाली से लगभग 110 किमी पूर्व-उत्तर पूर्व, नागपट्टिनम से 310 किमी दक्षिण-पूर्व, पुडुचेरी से 410 किमी दक्षिण-पूर्व और चेन्नई से 480 किमी दक्षिण-दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
विभाग ने कहा है कि अगले 12 घंटों के दौरान इसके श्रीलंका तट को छूते हुए उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की बहुत ज्यादा आसार हैं।
28 नवंबर की शाम से 29 नवंबर की सुबह तक बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम में तूफानी हवाओं की रफ्तार के 65 से 75 किमी प्रति घंटे से बढ़कर 85 किमी प्रति घंटे के साथ डीप डिप्रेशन के चक्रवाती तूफान में बदलने की आशंका जताई गई है।
वहीं इसके 30 नवंबर की सुबह के आसपास कराईकल और महाबलीपुरम के बीच उत्तर तमिलनाडु-पुदुचेरी तटों को डीप डिप्रेशन के रूप में पार करने का अनुमान है, इस दौरान तूफानी हवाओं की रफ्तार के 50 से 60 किमी प्रति घंटे से बढ़कर 70 किमी प्रति घंटे में तब्दील होने के आसार हैं।
तूफानी हवाओं के साथ भारी बारिश के आसार
तूफानी गतिविधि के चलते आज, यानी 28 नवंबर को तटीय तमिलनाडु और पुडुचेरी, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम और रायलसीमा में कुछ हिस्सों में तूफानी हवाओं के साथ हल्की से मध्यम बारिश तथा बिजली गिरने के आसार हैं।
वहीं, चेन्नई में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने कांचीपुरम, चेंगलपट्टू, विल्लुपुरम और कुड्डालोर सहित कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश होने का पूर्वानुमान जारी किया है। चेन्नई, तिरुवल्लूर और अन्य इलाकों में भी भारी बारिश होने की आशंका जताई गई है।
वहीं 28 से 30 नवंबर के दौरान तटीय तमिलनाडु और पुडुचेरी के अलग-अलग हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश होने के आसार हैं एक और दो दिसंबर को तटीय तमिलनाडु और पुडुचेरी के अलग-अलग हिस्सों में गरज के साथ जमकर बरसेंगे बादल।
28 से 30 नवंबर के दौरान तटीय आंध्र प्रदेश और यनम के अलग-अलग हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की आशंका जताई गई है।
30 नवंबर को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, 28 से 30 नवंबर के दौरान रायलसीमा और 30 नवंबर से दो दिसंबर के दौरान केरल और माहे के अलग-अलग हिस्सों में बादलों के जमकर बरसने के आसार हैं।
तूफानी गतिविधि को देखते हुए मछुआरों को समुद्र से दूर रहने का सुझाव
तूफानी गतिविधि के कारण आज, दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और श्रीलंका के तटों पर 60 से 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली भयंकर तूफानी हवाओं में इजाफा होकर 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार में तब्दील होने की आशंका जताई गई है। वहीं, पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी और तमिलनाडु, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश के तटों पर 55 से 65 किमी प्रति घंटे की गति से चलने वाली भयंकर तूफानी हवाओं के और तेज होकर 75 किमी प्रति घंटे की गति तक पहुंचने के आसार हैं।
भयंकर तूफानी हवाओं को देखते हुए मौसम विभाग ने मछुआरों को इन इलाकों में मछली पकड़ने या किसी तरह के व्यापार से संबंधित काम के लिए न जाने की चेतावनी जारी की है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने मछली पकड़ने वाली नौकाओं को बंदरगाह पर लौटने के लिए सलाह जारी की है। नाविकों के लिए सुरक्षा उपायों पर जोर देते हुए एक्स पर पोस्ट किया, बंगाल की खाड़ी में गहरे दबाव के चक्रवात में बदलने और तमिलनाडु की ओर बढ़ने की आशंका जताई गई है।
तूफान के चलते नुकसान की आशंका और लोगों को सतर्क रहने का सुझाव
मौसम विभाग ने कहा है कि तमिलनाडु के तटीय इलाकों, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश में तूफान का भारी असर दिख सकता है। विभाग ने कहा है कि सड़कों पर बाढ़, निचले इलाकों में जलभराव और मुख्य रूप से शहरी इलाकों में अंडरपास में भारी बारिश की वजह से पानी भरने के कारण ये बंद हो सकते हैं।
भारी बारिश के कारण दृश्यता में कमी आने का भी अंदेशा जताया गया है। सड़कों पर जलभराव के कारण प्रमुख शहरों में यातायात बाधित हो सकता है, जिससे यात्रा का समय बढ़ सकता है। कच्ची सड़कों को मामूली नुकसान पहुंच सकता है। जलभराव के कारण कुछ क्षेत्रों में बागवानी और खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई गई है।
तूफान से फसलों को बचाने के लिए किसानों को सुझाव
तूफान के चलते तमिलनाडु-पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों के किसानों को मौसम विभाग ने सलाह जारी की है, विभाग ने कहा है कि चावल, कपास, गन्ना, हल्दी और सब्जियों के खेतों, नारियल और केले के बागों से अतिरिक्त पानी निकालने के लिए पर्याप्त जल निकासी की व्यवस्था करें। गन्ने की फसल को सहारा देने की व्यवस्था करें। केले के पौधों को गिरने से बचाने के लिए उन्हें बाहर से सपोर्ट देने की बात कही गई है।
साथ ही मौसम विभाग ने कहा है कि पकी हुई फसलों को सुरक्षित जगहों पर रखने, बागवानी फसलों को बाहर से सहायता देने और सब्जियों को भी बाहर से सहारा देने की सलाह दी गई है।