आपदा

अंफान चक्रवात: समुद्र से 25 किमी दूर तक बाहर आ सकता है पानी

ऐसा होता है तो सुंदरवन के कई द्वीपों में नमकीन पानी घुस जाएगा, जिससे खेती-बाड़ी बुरी तरह चौपट हो सकती है

Akshit Sangomla, Umesh Kumar Ray
सुपर साइक्लोन बना अंफान चक्रवात तात्कालिक प्रभाव तो छोड़ेगा ही, लेकिन पश्चिम बंगाल के तटीय इलाके खासकर सुंदरवन में  इसका दीर्घकालिक प्रभाव ज्यादा गहरा होगा क्योंकि सुंदरवन के निकट इसका लैंडफाल होगा।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, इस चक्रवात के प्रभाव से समुद्री पानी जमीन की सतह पर 25 किलोमीटर भीतर तक जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो सुंदरवन के कई द्वीपों में नमकीन पानी घुस जाएगा, जिससे खेती-बाड़ी बुरी तरह चौपट हो सकती है। साथ ही नमकीन पानी तालाबों में प्रवेश करेगा, जिससे मछलियां मर जाएंगी। सुंदरवन में करीब करीब हर घर के सामने एक तालाब होता है, जिसमें लोग मछलियां पालते हैं। ये उन्हें आर्थिक मदद देती है। 
2009 में जब आइला चक्रवात आया था, तो हजारों एकड़ खेत में नमकीन पानी प्रवेश कर गया था। इन खेतों की उर्वरता अब भी नहीं लौट पाई है।
सुंदरवन के मौसनी द्वीप में रहने वाले 70 वर्षीय मिताई माइती ने बताया कि आइला के वक्रतुंड नमकीन पानी घुस जाने  से यहां की 2 हजार एकड़ जमीन बंजर हो गई है। 
सुंदरवन में बहुत कम प्रभाव वाला चक्रवात आया है, तो नमकीन पानी घुस जाता है, जबकि अंफान सुपर साइक्लोन है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के डीजी मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि सामान्य ज्वार आने पर सुंदरवन में पानी घुस जाता है। सुंदरवन में ये बड़ा मुद्दा है।
"पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटीय क्षेत्र खासकर सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र छिछली प्रकृति के हैं। ऐसे में इतनी प्रभावशाली चक्रवात से स्थिति विध्वंसक होगी", महापात्र ने कहा।
नमकीन पानी के यहां प्रवेश करने का खतरा इसलिए भी अधिक है क्योंकि यहां समुद्री जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। जादवपुर यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओसिनोग्राफिक स्टडीज की तरफ से 1986 से लेकर 2012 तक के रिमोट सेंसिंग व जीआईएस की मदद किये गये शोध के मुताबिक, साल 1985 से 2010 के बीच समुद्र जलस्तर में हर साल 2.6-4 मिलीमीटर का इजाफा हुआ है। अतः जोर का ज्वार भी यहां के तटीय खेतों को नुकसान पहुंचा देता है। जो सुपर साइक्लोन आ रहा है, 25 किलोमीटर भीतर तक समुद्री पानी को धकेल सकता है, तो इसके प्रभाव की कल्पना सहज ही की जा सकती है।