दो दिन पहले दक्षिणी पूर्वी बंगाल की खाड़ी में बना अंफान चक्रवात पिछले 6 घंटों में बंगाल की खाड़ी के मध्य हिस्से से हटकर उत्तर की तरफ बढ़ गया है। ये फिलहाल ओडिशा के पारादीप से दक्षिण की तरफ 730 किलोमीटर दूर, पश्चिम बंगाल के समुद्र तटवर्ती क्षेत्र दीघा से दक्षिण-दक्षिण पश्चिम की तरफ 890 किलोमीटर दूर है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, ये कुछ देर तक उत्तर की तरफ बढ़ेगा और फिर उत्तरी-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी के उत्तर-उत्तरपूर्व की तरफ जा सकता है। इसके बाद ये चक्रवात पश्चिम बंगाल के दीघा और बांग्लादेश के हतिया के बीच से होकर गुजरेगा। फिलहाल अंफान की रफ्तार 7 किलोमीटर प्रतिघंटा है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, चक्रवात 20 मई की दोपहर या शाम को दीघा और हतिया के बीच सुंदरवन के करीब गिरेगा, जिसकी रफ्तार 165 से 185 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चक्रवात के मद्देनजर एक उच्चस्तरीय बैठक कर तैयारियों का जायज़ा लिया। बैठक में तैयारियों के संबंध में एनडीआरएफ ने बताया कि एनडीआरएफ की 25 टीमें ग्राउंड पर मुश्तैद हैं जबकि 24 टीमों को स्टैंड बाई पर रखा गया है।
मौसमविज्ञान विभाग ने ओडिशा के तटवर्ती इलाकों मसलन जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, जाजपुर, भद्रक, बालासोर और मयुरभंज में 18 मई को भारी बारिश की आशंका व्यक्त की है जबकि 19 और 20 मई को छिटपुट इलाकों में भारी बारिश हो सकती है, क्योंकि तब तक तूफान पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच पहुंच जाएगा।
मौसमविज्ञान विभाग की तरफ से जारी बुलेटिन के मुताबिक, इस तूफान के चलते 19 मई को पश्चिम बंगाल के गंगातटवर्ती जिलों पूर्व मिदनापुर और दक्षिण तथा उत्तर 24 परगना में मामूली से सामान्य बारिश होगी जबकि 20 मई को पूर्व व पश्चिम मिदनापुर, उत्तर व दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, हुगली, कोलकाता और समीपवर्ती इलाकों में भारी बारिश का अनुमान है। मछुआरों को आगाह किया गया है कि वे 18 से 20 मई के बीच मछलियां पकड़ने के लिए समुद्र में गहरे न जाएं।
एनडीआरएफ की टीमें ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों में तैनात की गई हैं। एनडीआरएफ का अनुमान है कि इस तूफान के चलते 11 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की नौबत आ सकती है और टीम इसके लिए तैयार है।
सागरद्वीप में ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों की तरफ से माइक के जरिए घोषणा कर इस तूफान को लेकर सचेत किया गया है। सागरद्वीप के रामकृष्णपुर के रहने वाले भोलानाथ सेठ ने डाउन टू अर्थ को बताया, “हमारे गांव में फ्लड हाउस के अलावा प्राथमिक स्कूल भी हैं। तूफान के वक्त यहां के लोग इन हाउसों और प्राथमिक स्कूलों में ही शरण लेते हैं। गांव में माइकिंग कर हमें तूफान के बारे में बताया गया है।”
उन्होंने कहा, “यहां बहुत सारे लोगों के कच्चे मकान हैं। इन पर ज्यादा खतरा है, इसलिए जिनके मकान कच्चे हैं, उन्हें 19 मई को राहत शिविरों में ले जाया जाएगा।” भोलानाथ सेठ समेत अन्य किसानों को फसल के नुकसान का डर तो सता ही रहा है, बांध कमजोर होने के कारण उन्हें डर है कि इस बार भी तूफान के कारण बांध टूट जाएगा और नमकीन पानी उनके खेतों में घुस जाएगा, जिससे खेती बुरी तरह प्रभावित होगी।
जानकार बताते हैं कि इस मौसम में अमूमन इस तरह के तूफान नहीं बनते हैं। असल में प्री मॉनसून की ये अवधि तूफान बनने के अनुकूल नहीं होती है, लेकिन दो सालों से प्री-मॉनसून अवधि में तूफान बन रहा है। पिछले साल इसी वक्त फानी तूफान आया था, जिससे ओडिशा तहस-नहस हो गया था। हालांकि, ओडिशा सरकार ने तूफान आने से पहले ही बचाव की तैयारी कर ली थी, जिस कारण आर्थिक नुकसान हुआ, लेकिन जानें नहीं गईं।
मौसम विज्ञानियों की मानें, तो अंफान के सफर का अब तक का संकेत बता रहा है कि इसका झुकाव पश्चिम बंगाल की तरफ ज्यादा है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, इसका असर साल 2009 में आए आइला तूफान जैसा हो सकता है। आइला तूफान भी सागरद्वीप में ही गिरा था जिससे जान-माल की भारी क्षति हुई थी।