आपदा

उत्तराखंड: मई माह में छठी बार हुई बादल फटने की घटना, तीन की मौत

उत्तराखंड में 20 मई को दो अलग-अलग जगह अतिवृष्टि के कारण भूस्खलन की घटनाएं हुई

Trilochan Bhatt

समुद्री तूफान के कारण बने पश्चिमी विक्षोभ के असर से उत्तराखंड में लगातार 24 घंटे तक बारिश होती रही। इस दौरान कई जगहों पर भूस्खलन की घटनाएं हुए और नदियां उफान पर आ गई। सबसे बड़ी घटना देहरादून जिले में चकराता ब्लाॅक के क्वांसी में हुई। जिला आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, बादल फटने के कारण हुई अतिवृष्टि से यहां बिजनाड छानी नामक तोक में एक घर और एक गौशाला टूट गई और 3 लोगों की मौत हो गई। हालांकि यहां रेन-गेज न होने के कारण बादल फटने की घटना  की पुष्टि नहीं की जा सकी है। उधर, बद्रीनाथ हाईवे पर लामबगड़ में करीब 300 मीटर सड़क बह गई है।

उल्लेखनीय है कि मई माह में उत्तराखंड में इस तरह की यह छठी बड़ी घटना है। उत्तराखंड में मई का महीने में अतिवृष्टि से होने वाले नुकसान की 6 बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। इससे पहले 3 मई को रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिले में भारी बारिश के कारण मलबा आने से घरों और खेती को भारी नुकसान हुआ था। 4 मई को चमोली जिले के घाट में, 5 मई अल्मोड़ा जिल के चौखुटिया में और 11 मई को टिहरी जिले के देवप्रयाग में इस तरह की घटनाएं हुई थी। देवप्रयाग में दो सरकारी भवनों के साथ ही दर्जनभर दुकानें भी बह गई थी। हालांकि आज से पहले किसी भी घटना में किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई थी।

उत्तराखंड में बारिश का सिलसिला 19 मई 2021 की सुबह से शुरू हो गया था। दिनभर रिमझिम बारिश के बाद देर रात से अचानक बारिश तेज हो गई। 20 मई 2021 दोपहर तक लगातार बारिश होती रही। इस दौरान कुछ जगहों में 12 घंटे के दौरान 100 मिमी से ज्यादा बारिश दर्ज की गई। इस दौरान में राज्य में भूस्खलन की कई घटनाएं दर्ज की गई।

देहरादून जिले के चकराता तहसील में क्वांसी गांव में एक भारी बारिश के दौरान मलबा आने से एक मकान और एक गौशाला पूरी तरह से टूट गये। इस घटना में 3 लोगों की मौत और 4 लोगों के घायल होने की सूचना मिली है। इसके अलावा 20 पशुओं के मारे जाने की खबर भी मिली है।

यह घटना सुबह 10 बजे के करीब हुई। जिला आपदा परिचालन केंद्र में सूचना मिलते ही पुलिस, एसडीआरएफ, राजस्व पुलिस और अन्य संबंधित विभागों ने काम शुरू कर दिया। देहरादून की जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी दीपशिखा रावत के अनुसार घटना में हुए कुल नुकसान का जायजा लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब तक मिली खबर के अनुसार एक मकान पर मलबा गिरने से एक युवक और दो बच्चियों की मौत हुई है और चार लोग घायल हुए हैं। राहत और बचाव दल ने ग्रामीणों की मदद से तीनों शव निकाल लिए हैं। घायलों को अस्पताल ले जाया गया है। एक घर के अलावा इस घटना में एक गौशाला भी क्षतिग्रस्त हुई है। घटना के करीब 20 पशुओं की मौत हो जाने की संभावना है।

उधर चमोली जिले में बद्रीनाथ राजमार्ग पर लामबगड़ में करीब 200 मीटर सड़क बह गई है। इस घटना में एक ट्रक भी बह गया, हालांकि ट्रक के ड्राइवर और कंडक्टर छलांग लगाकर सुरक्षित निकलने में सफल रहे। लामबगड़ में एनएच 58 का यह हिस्सा एक बड़ा स्लाइडिंग जोन रहा है। चारधाम सड़क परियोजना के पर्यावरणीय पक्ष पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया था कि इस स्लाडिंग जोन का ट्रीटमेंट कर दिया गया है और अब यहां भूस्खलन की कोई संभावना है। सुप्रीम कोर्ट में दी गई यह दलील मानसून से पहले हुई बारिश में ही बह गई है और लामबगड़ स्लाइडिंग जोन के एक बार चर्चाओं में आने की संभावना है।

अतिवृष्टि या बादल फटना
चकराता में हुई घटना के विवरण देते हुए जिला आपदा प्रबंधन कार्यालय की ओर से इसे बादल फटने की घटना कहा गया है। लेकिन, मौसम विज्ञानियों का कहना है कि तकनीकी रूप से इसे बादल फटने की घटना नहीं कहा जा सकता। अतिवृष्टि की किसी भी घटना को तकनीकी रूप से बादल फटने की घटना तभी कहा जा सकता है, जबकि 1 घंटे में 100 मिमी बारिश हुई है। उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 20 मई सुबह 8.30 बजे तक 24 घंटे के दौरान देहरादून में 48 मिमी, पंतनगर में 44 मिमी, मुक्तेश्वर में 85 मिमी और नई टिहरी में 57 मिमी बारिश हुई थी।