उत्तराखंड में बादलों ने एक बार फिर तबाही मचाई है। टिहरी जिले में बदरीनाथ मोटर मार्ग पर देवप्रयाग में 11 मई, 2021 शाम 5 बजे के आसपास तेज बारिश के बीच अचानक शांता गदेरे में जबदस्त मलबा आने से कई भवन और दुकानें बह गई हैं। इसके साथ ही टिहरी जिले की भरपूर पट्टी के बौंठ गांव और दोगी पट्टी के क्यारासैंण गांव में भी भारी बारिश के कारण मलबा आने से नुकसान होने की सूचना मिली है।
एसएचओ एमएस रावत ने एक न्यूज एजेंसी को दिए गए आधिकारिक बयान में इसे बादल फटने की घटना करार दिया है। बादल फटना यानी क्लाउड बर्स्ट बेहद कम समय अंतराल में अचानक हुई भारी वर्षा को ही कहते हैं। उत्तराखंड के गढ़वाल इलाके में हाल-फिलहाल हुई ऐसी कई घटनाओं को इस श्रेणी में नहीं रखा गया क्योंकि मौसम वैज्ञानिक संसाधनों के अभाव में इसका सटीक आकलन नहीं कर सके।
देवप्रयाग में मौजूद निकटवर्ती गांव तुणगी के ग्राम प्रधान अरविन्द सिंह जियाल के अनुसार घटना शाम करीब 5 बजे हुई। क्षेत्र में दोपहर बाद से ही लगातार बारिश हो रही थी। शाम को बारिश काफी तेज हो गई। अचानक देवप्रयाग के ऊपर पनाली गांव के पास से शांता नदी में भारी मात्रा में मलबा देवप्रयाग की तरफ आता नजर आया। देवप्रयाग में शांता बाजार से ठीक ऊपर बने कुछ भवनों के कारण मलबा डंप होने लगा। कुछ देर के बाद धुएं के गुबार के साथ मलबा आगे बढ़ गये। नगर पालिका का बहुउद्देश्यीय भवन और आईटीआई भवन इस मलबे की चपेट में आने से ढह गये। इन दोनों भवनों को नामोनिशान भी नहीं बचा हुआ है। दोनों भवनों को अपनी चपेट में लेते हुए मलबा शांता बाजार की ओर बढ़ गया और करीब 10 दुकानों को बहाकर ले गया। इसके साथ ही यहां बना एक पैदल पुल भी बह गया।
देवप्रयाग के निवासी एक्टिविस्ट लूशुन टोडरिया ने बताया कि कोविड कफ्र्यू के कारण देवप्रयाग में बड़े नुकसान से बचा लिया है। वे कहते हैं कि आमतौर पर शांता बाजार में काफी भीड़-भाड़ और चहल पहल रहती है। कफ्र्यू के कारण सभी दुकानें बंद थी। इसलिए इस घटना में किसी तरह की कोई जनहानि नहीं हुई है। हालांकि करीब 10 दुकानें बह गई हैं। इसमें एक ज्वैलरी की दुकान भी शामिल है। इन दुकानों से काफी नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है। इस बीच जिला प्रशासन ने संबंधित विभागों को 24 घंटे के अंदर देवप्रयाग में हुए नुकसान का आकलन करने का आदेश दे दिया है।
दूसरी तरफ टिहरी जिलें के दो अन्य गांवों में भी भारी बारिश के कारण मलबा आने से नुकसान होने की संभावना है। इनमें भरपूर पट्टी का बौंठ और दोगी पट्टी का क्यारासैंण गांव शामिल हैं। दूर-दराज के गांव होने से फिलहाल यहां से पूरी सूचनाएं नहीं मिल पा रही हैं। इन दोनों गांवों में कई घरों और गौशालाओं में मलबा घुस जाने की सूचनाएं मिल रही हैं।
इस बीच मौसम विभाग ने उत्तराखंड के कई जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने 12 मई को उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश होने, देहरादून, टिहरी, नैनीताल, अल्मोड़ा और चम्पावत जिलों में ओले गिरने और मैदानी क्षेत्रों में तेज हवाएं चलने का औरेंज अलर्ट जारी किया है। 13 मई को पौड़ी, उत्तरकाशी, चमोली, बागेश्वर, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश होने का आॅरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इस दौरान राज्य में कई स्थानों पर ओले गिरने और आकाशीय बिजली गिरने का यलों अलर्ट भी जारी किया गया है।
पिछले कुछ दिनों से राज्य में लगातार हो रही अतिवृष्टि की इन घटनाओं को क्लामेट चेंज संबंधी गतिविधियों से जोड़कर देखा जा रहा है। उत्तराखंड वानिकी और औद्यानिकी विश्वविद्यालय के हेड डाॅ. एसपी सती कहते हैं कि एक के बाद एक इस तरह की घटनाएं होना अप्रत्याशित है और कहीं न कहीं यह क्लामेट चेंज की प्रक्रिया का असर हैं। वे कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं को लेकर विस्तृत अध्ययन की जरूरत है। वे कहते हैं कि ये घटनाएं बादल फटने जैसी घटनाएं हैं, लेकिन बारिश को मापने की काई व्यवस्था न होने के कारण पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि यह बादल फटने जैसी स्थितियां हैं या नहीं।
उल्लेखनीय है कि राज्य में इससे पहले अल्मोड़ा जिले के चैखुटिया के भटकोट गांव में 5 मई को, 4 मई को चमोली के घाट कस्बे में और 3 मई को रुद्रप्रयाग जिले के खांखरा और उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड़ में अतिवृष्टि से भारी नुकसान हुआ था।