पंजाब सरकार ने बाढ़ प्रभावित किसानों को प्रति एकड़ 20 हजार रुपए मुआवजा देने की घोषणा
'जिसका खेत उसकी रेत' नीति के तहत रेत निकालने और बेचने की अनुमति
कहा गया कि इस नीति से किसानों को राहत मिलेगी और वे अपने खेतों को फिर से खेती के योग्य बना सकेंगे
ब्यास की चौड़ाई कटकर कम हुई, नदियों के बीच गाद भरा
किसानों को बैंकों को नहीं देना होगा अगले छह महीने की किश्त और ब्याज
पंजाब सरकार ने भीषण बाढ़ के बाद हर प्रभावित किसानों को प्रति एकड़ 20 हजार रुपए की सहायता राशि देने और जिसकी खेत उसकी रेत जैसी राहत घोषणाए की हैं। यानी दरिया किनारे वाले किसानों को मिट्टी निकालने व बेचने के लिए किसी तरह के इजाजत की जरूरत नहीं है।
पंजाब इस समय चार दशकों की सबसे भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। सतलुज, ब्यास और रावी नदियों के उफान के साथ हुई भारी बारिश ने राज्य के करीब चार लाख लोगों और दो हजार गांवों को प्रभावित किया है। बाढ़ की मार झेल रहे किसानों और आम जनता को राहत देने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कैबिनेट बैठक के बाद 8 अगस्त, 2025 को बड़े ऐलान किए हैं।
मान ने मोहाली के एक निजी अस्पताल से लाइव प्रसारण के जरिए यह घोषणा की। वह पांच सितंबर से वहां थकान और हृदयगति धीमी होने के कारण भर्ती हैं। अस्पताल से ही उन्होंने चंडीगढ़ में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में हिस्सा लिया और राहत पैकेज की जानकारी दी।
मान ने कहा, "बाढ़ के बूाद कि जो मिट्टी है वह दरिया यानी नदियों के बीच में भर गई है। किसी समय ब्यास बहुत चौड़ी नदी थी। ब्यास नदी कि चौड़ाई कम हो गई है और पानी बहुत ऊपर आ गई है क्योंकि उसमें गाद भर गई है।"
उन्होंने आगे कहा, इसलिए कैबिनेट ने ‘जिसदा खेत उसदी रेत’ नीति को मंजूरी दी है, जिसके तहत जमीन मालिक अब अपने खेतों में जमा रेत को निकालकर बेच सकेंगे। इसके लिए उन्हें किसी भी तरह का परमिट या एनओसी लेने की जरूरत नहीं होगी। यह अनुमति 15 नवंबर तक दी गई है। मान ने कहा कि इस नीति से किसानों को न सिर्फ राहत मिलेगी बल्कि वे अपने खेतों को दोबारा खेती के लायक बना सकेंगे।
दरअसल किसानों की सबसे बड़ी चिंता आने वाली रबी फसल है, क्योंकि खेतों में बड़ी मात्रा में गाद और रेत जमा हो गई है। किसानों के सामने फसल बोने का संकट खड़ा हो गया है। मान ने कहा है कि जिन परिवारों में मौत हो गई है उन्हें 4 लाख रुपए की सहायता राशि दी जाएगी।
ऐसे किसान जिन्होंने बैंकों से कर्जा लिया है, उन्हें अगले छह महीने तक कोई किश्त नहीं देनी होगी। न ही उन्हें बैंकों को ब्याज देना होगा।
वहीं, ऐसे किसान जिनके पशुओं का नुकसान हुआ है उन्हें भी मदद दी जाएगी। हालांकि, यह सर्वे के बाद होगा। इसके बारे में क्या मदद होगी, यह नहीं बताया गया।
बाढ़ से हुए नुकसान का पारदर्शी और निष्पक्ष आकलन करने के लिए विशेष गिरदावरी की घोषणा की गई, जिसे आधार बनाकर पूर्ण मुआवजा सुनिश्चित किया जाएगा।
जिन गांवों में सड़क संपर्क बाधित हो गए हैं, वहां आवश्यक वस्तुओं (खाद्य सामग्री, दवाएं आदि) की आपूर्ति के लिए ड्रोन का उपयोग शुरू किया गया है।