डब्लूएमओ के अनुसार 2030 तक दुनिया में सभी को समय से बाढ़ और सूखे की चेतावनी मिल जाया करेगी। यह बात 11 से 22 अक्टूबर के बीच चलने वाले विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस में जारी ‘वाटर डिक्लेरेशन’ में कही गई है। इस डिक्लेरेशन के अनुसार जल और जलवायु सम्बन्धी नीतियों को शाश्वत विकास के एजेंडे के तहत विकसित किया गया है, साथ ही इसे लोगों को अधिकतम लाभ देने के लिए एकीकृत किया जाएगा।
इसे हासिल करने के लिए सूचनाओं को साझा और ज्ञान का आदान-प्रदान किया जाएगा। साथ ही क्षमता विकास के लिए साझेदारियों को बढ़ावा दिया जाएगा। यही नहीं नीति निर्माण और संस्थागत एवं नियामक ढांचे को भी बल दिया जाएगा। इस कांग्रेस ने इंटीग्रेटेड हाइड्रोलॉजिकल, क्रायोस्फीयर, मौसम विज्ञान और जलवायु संबंधी जानकारी को साझा करने और उस तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए जल और जलवायु सम्बन्धी गठबंधन का भी समर्थन किया है।
ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर केवल 40 फीसदी देशों में ही बाढ़ और सूखा की समय पूर्व चेतावनी प्रणाली उपलब्ध है, इस गठबंधन का गठन और महत्वपूर्ण हो जाता है। संगठन के अनुसार, डब्लूएमओ के लगभग 60 फीसदी सदस्य देशों में जल सम्बन्धी निगरानी क्षमताओं का अभाव है। वहीं वैश्विक स्तर पर करीब 300 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास उनके जल संबंधित आंकड़ों के लिए कोई गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली नहीं है।
इसका मतलब है कि दुनिया की लगभग आधी आबादी इसलिए खतरे में है क्योंकि उसे अपने जल संसाधनों जैसे नदियों, झीलों, भूजल आदि की स्थिति के बारे में सही जानकारी नहीं है। डब्लूएमओ के अनुसार जल और जलवायु गठबंधन को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाएगा। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप-26), 31 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच ग्लासगो, स्कॉटलैंड में आयोजित किया जाएगा।
देखा जाए तो दुनिया के करीब 107 देश अभी भी अपने जल संसाधनों के शाश्वत तरीके से प्रबंधन करने की राह पर नहीं हैं। ऐसे में इस गठबंधन का उद्देश्य जल सम्बंधित सतत विकास के लक्ष्यों, विशेष रूप से एसडीजी 6 (सभी के लिए पानी और स्वच्छता) की प्रगति में तेजी लाना है। साथ ही भविष्य के लिए जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए बेहतर जल प्रबंधन को बढ़ावा देना है।
यह गठबंधन, फ्लैश फ्लड गाइडेंस सिस्टम और वैश्विक कवरेज (एफएफजीएस/डब्ल्यूजीसी) को मजबूत करने के लिए तैयार नई स्थिरता रणनीति का अनुसरण करने के साथ ही उसमें अपना योगदान भी देगा। जिसे 15 अक्टूबर, 2021 को विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस में अनुमोदित किया गया है।
वैसे भी कांग्रेस में इसका समर्थन काफी मायने रखता है, क्योंकि डब्लूएमओ के अनुसार विश्व की आधी से अधिक आबादी 2030 तक जल सम्बन्धी तनाव का सामना करने को मजबूर होगी। साथ ही जल से जुड़ी आपदाओं विशेष रूप से चक्रवात, बाढ़ के प्रति कहीं अधिक संवेदनशील होगी।