पश्चिम बंगाल और ओडिशा में जीवन बाधित करने के बाद चक्रवात बुलबुल 9-10 नवंबर की रात बांग्लादेश चला गया। अब इसके कमजोर होने की संभावना जताई गई है। बुलबुल की वजह से तीन लोगों की मौत के अलावा बड़ी तादात में नुकसान का अंदेशा जताया गया है।
बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के सुंदरबन डेल्टा क्षेत्र में ज्यादातर लोग अपने घर छोड़ कर ऊंची जगहों पर चले गए, जबकि कई लोगों ने स्कूलों और अन्य सामुदायिक भवनों में बने राहत शिविर में शरण ली है। हालांकि बिजली की आपूर्ति बंद होने के कारण लोगों को सुरक्षित स्थानों में ले जाने में मुश्किल का सामना करना पड़ा। भारी बारिश की वजह से कई इलाकों में बाढ़ आ गई है। कई जगहों पर पेड़ उखड़ गए, बारिश से मिट्टी के कई घर टूट गए, जबकि खड़ी फसल खराब हो गई।
इससे पहले शाम को 43 नावों में 381 मछुआरों ने ओडिशा के भद्रक जिले के धामरा और तलचुआ में शरण ली, जबकि राज्य के 10 तटीय और उत्तरी जिलों केंद्रपाड़ा, भद्रक, जगतसिंहपुर, बालासोर, जाजपुर, पुरी, कटक, मयूरभंज, खुर्दा, और क्योंझर में भारी बारिश हुई। ओडिशा के विशेष राहत आयुक्त कार्यालय से प्राप्त वर्षा के आंकड़ों के अनुसार, केंद्रपाड़ा जिले में राजनगर और राजकनिका ब्लॉकों में 180 मिमी और 136 मिमी बारिश दर्ज की गई। भद्रक में चंदबली ब्लॉक में 150.1 मिमी बारिश हुई, जबकि जगतसिंह पुर में तीर्थोल ब्लॉक में 100 मिमी दर्ज की गई।
विशेष राहत आयुक्त प्रदीप कुमार जेना ने कहा कि चार जिलों के कुल 3,682 व्यक्तियों को संवेदनशील स्थानों से बाहर निकाला गया और 46 चक्रवात आश्रयों में रखा गया। उन्हें सूखा और पका हुआ भोजन और पीने का पानी दिया गया।
इसके अलावा, बारिश और हवा ने जिलों में धान और गैर-धान की फसलों को नुकसान पहुंचाया है। प्राथमिक अनुमान के अनुसार, लगभग 6 हेक्टेयर भूमि में 35 प्रतिशत से 40 प्रतिशत फसल का नुकसान हुआ है। बारिश के कारण कई पेड़ उखड़ गए और संचार व्यवस्था बाधित हो गई। इसके अलावा कई जगहों पर बिजली के खंभे से हुए नुकसान के बारे में भी जानकारी मिली है।
ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स और नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स और फायर ब्रिगेड की टीमें गिरे हुए पेड़ों को साफ करने में लगी हैं।