आपदा

प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी और इनसे निपटने में अहम भूमिका निभा सकता है बिग डेटा

बिग डेटा की मदद से इस बात इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि प्राकृतिक आपदा से घर, व्यवसाय किस हद तक प्रभावित हुए हैं और किस तरह तेजी से उनकी बहाली की जा सकती है।

Dayanidhi

यह शोध प्राकृतिक आपदा के दौरान वहां रहने वाली आबादी की गतिविधि में आने वाले उतार-चढ़ाव का विश्लेषण करता है। जिसमें विश्लेषण के आधार पर आबादी के लचीलेपन (रिजिल्यन्स) को मापने के लिए एक तरीका ढूंढा गया है। शोधकर्ताओं ने वास्तविक समय में प्राकृतिक आपदाओं के बाद लोगों को फिर से बहाल करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की है। उन्होंने कहा कि उनके विश्लेषण से प्राप्त जानकारी से इस पर काम करने वाली एजेंसियों को आपदा से पीड़ित लोगों के बीच समान रूप से संसाधनों का आवंटन करने में मदद मिलेगी। यह शोध टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय की अगुवाई में किया गया है।

जाचरी डिपार्टमेंट ऑफ सिविल एंड एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अली मुस्तफावी ने कहा एक प्राकृतिक आपदा के बाद लोगों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव पड़ सकते हैं। इसलिए, हमें यह पहचानने की आवश्यकता है कि कौन सा क्षेत्र दूसरों की तुलना में तेजी से ठीक हो सकते हैं और कौन से क्षेत्र दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित होते हैं। ताकि हम उन क्षेत्रों में अधिक संसाधन आवंटित कर सकें जिनकी उन्हें अधिक आवश्यकता है।  

जिस मीट्रिक का उपयोग पारंपरिक रूप से यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि लोग प्रकृति के कारण होने वाली समस्याओं से कैसे निपटते हैं, उसे लचीलापन कहा जाता है। इसे एक समुदाय की आपदा से पहले वाली स्थिति में लौटने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसलिए निपटने के तरीके को मापने के लिए, संसाधनों तक पहुंच और वितरण जरूरी है। साथ ही वहां रहने वाले निवासियों के बीच संबंध और एक अनचाही आपदा के लिए सामुदायिक स्तर पर तैयारी महत्वपूर्ण होती है।

लचीलापन (रिजिल्यन्स) का अनुमान लगाने के लिए आंकड़े जरूरी है। आंकड़े सर्वेक्षणों के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं। कई अन्य सवालों के अलावा, इस बात पर विचार किया जाता है कि प्राकृतिक आपदा और बहाली के चरण से व्यवसाय या घर कैसे और किस हद तक प्रभावित हुए थे। मुस्तफावी ने कहा कि ये सर्वेक्षण आधारित तरीके, हालांकि बेहद उपयोगी हैं, लेकिन आपदा के कई महीनों बाद सर्वेक्षण के परिणाम उपलब्ध होने के साथ, इन्हें लागू करने में लंबा समय लगता है।

मुस्ताफवी ने कहा कि धन आवंटित करने वाली एजेंसियों के लिए, पुन: बहाली प्रक्रिया में पीछे रह रह गए समुदायों को बहाल करने के लिए वास्तव में तेज और अधिक वास्तविक समय के आंकड़ों की आवश्यक होती हैं। जो समाधान हमने सोचा था वह आंकड़ों के आधार पर था, जिसमें सर्वेक्षणों के अलावा, पहले से पता लगाए गए पैमाने के आधार पर सामुदायिक बहाली करने में बेहतर तरीके से उपयोग किया जा सकता है।   

मुस्तफावी और उनके सहयोगियों ने सामुदायिक स्तर के बिग डेटा की ओर रुख किया, विशेष रूप से उन कंपनियों द्वारा एकत्र की गई जानकारी है जो अज्ञात सेल फोन डेटा से एक दायरे के भीतर अलग-अलग जगहों की यात्राओं पर नजर रखती हैं।  

विशेष रूप से, शोधकर्ताओं ने हैरिस काउंटी, टेक्सास में तूफान हार्वे के समय के लोगों के अलग-अलग जगहों पर जाने अथवा घूमने से संबंधित, आंकड़े प्राप्त करने के लिए सेफग्राफ नामक एक कंपनी के साथ भागीदारी की। पहले कदम के रूप में, उन्होंने अस्पतालों, गैस स्टेशनों और दुकानों  जैसे प्रतिष्ठानों के स्थानों के अनुरूप आवश्यक या रुचि बिंदु निर्धारित किए, जो तूफान के कारण यातायात में बदलाव कर सकते हैं।

इसके बाद, शोधकर्ताओं ने बिग डेटा का उपयोग किया, तूफान से पहले और उसके दौरान के आवश्यक प्रत्येक रुचि बिंदु पर यात्राओं की संख्या का पता लगाया। हैरिस काउंटी में विभिन्न समुदायों के लिए, उन्होंने आपदा से पहले और सामान्य स्तर पर लौटने के लिए यात्राओं के लिए गए समय की गणना की, यानी, आवश्यक या रुचि वाले प्रत्येक बिंदु के कुल लचीलेपन, तूफान के दौरान कुल की गई यात्राओं की संख्या में बदलाव आए।  

विश्लेषण से पता चला कि जिन समुदायों में लचीलापन या निपटने की क्षमता कम थी, उन्होंने भी बाढ़ का अधिक अनुभव किया। हालांकि, उनके परिणामों ने यह भी दिखाया कि प्रभाव का स्तर आवश्यक रूप से फिर से बहाली से संबंधित नहीं था। यह शोध द रॉयल सोसाइटी इंटरफेस जर्नल में  प्रकाशित हुआ है। 

उदाहरण के लिए, यह मान लेना सहज है कि जिन व्यवसायों पर अधिक प्रभाव पड़ा, उनकी बहाली में समय लगेगा, जो वास्तव में ऐसा नहीं था। ऐसी जगहें थीं जहां लोग काफी कम गए थे अथवा यात्राओं में काफी गिरावट आई थी, लेकिन वे तेजी से ठीक हो रहे थे। लेकिन फिर अन्य जो कम प्रभावित हुए लेकिन ठीक होने में अधिक समय लगा, जिसने समुदाय की बहाली का मूल्यांकन करने में समय और सामान्य रूप से निपटने दोनों के महत्व की और इशार करती है।  

शोधकर्ताओं ने इस बात पर भी गौर किया कि एक और महत्वपूर्ण खोज यह थी कि बाढ़ वाले क्षेत्रों से सटे हुए इलाके भी प्रभावित हुए थे। मुस्तफावी ने कहा हालांकि हमने इस अध्ययन के लिए तूफान हार्वे पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन इसे दुनिया में कहीं भी, किसी भी अन्य प्राकृतिक आपदा के लिए भी लागू किया जा सकता है।