आपदा

हिमाचल प्रदेश में एक और भूस्खलन, चालू मानसून सीजन में 22 घटनाएं

हिमाचल प्रदेश में 16 साल बाद समान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है

Rohit Prashar

मानसून सीजन हिमाचल प्रदेश को गहरे जख्म दे रहा है। बुधवार 11 अगस्त को को एक बार फिर किन्नौर जिले के निगुलसरी में भूस्खलन की बड़ी घटना हुई है। भूस्खलन की इस घटना में अब तक 10 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 6 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है।

17 अगस्त तक चले रेसक्यू ऑपरेशन के बाद सभी मृतकों के शवों को बरामद करने का दावा किया गया। इस घटना में कुल 28 लोगों की जानें गई जबकि 13 लोग घायल हुए हैं।

हिमाचल में इस साल प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। अभी तक मानसून सीजन में ही प्रदेश में विभिन्न आपदाओं में 233 लोगों की जानें गई हैं। वहीं पिछले दो माह में प्रदेश में भूस्खलन की 22 बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। जिनमें दर्जनों लोगों की जानें गई हैं।

इससे पहले भी किन्नौर जिले के बटसेरी में पिछले माह पहाड़ी से पत्थर गिरने की वजह से बाहरी राज्यों हिमाचल घूमने आए 9 पर्यटकों की जान चली गई थी। इसके अलावा मालिंग नाले में भूस्खलन की वजह से नेशनल हाईवे 5 भी कई घंटों तक बंद रहा था।

वहीं लाहौल स्पीति जिले में मानसून सीजन में बारिश की कमी के बावजूद बहुत थोड़े समय में हुई भारी बारिश की वजह से आई बाढ़ से 10 लोगों की जान जाने के साथ वहां के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।

हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन के जुलाई माह में पिछले 16 सालों के मुकाबले में अधिक बारिश दर्ज की गई है। जुलाई 2021 में 289.2 मिलीमीटर बारिश हुई थी। जबकि इससे पहले 2005 में 309.3 एमएम बारिश हुई थी।

मौसम विभाग के डाटा के अनुसार इस साल कुल्लू जिला में 42 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है। वहीं किन्नौर जिला में -9 फीसदी, लाहौल में -59 और चंबा में -38 फीसदी कम बारिश हुई है। बावजूद इसके किन्नौर, चंबा और लाहौल-स्पीति जिले में बाढ़ और भूस्खलन की आपदाएं सबसे अधिक देखी गई हैं।

बढ़ रही हैं भूस्खलन की घटनाएं

पिछले कुछ दशकों में हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन में वृद्धि हुई है। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के जियोग्राफी विभाग के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक 1971-1979 के दौरान भूस्खलन की 164 घटनाएं हुईं, जबकि इसके बाद 1980-89 के दौरान 62, 1990-99 के दौरान 219 और 2000-2009 के दौरान भूस्खलन की 474 घटनाएं हुईं। इन दशकों के दौरान भूस्खलन की लगभग 76.50 फीसदी घटनाएं मानसून के दौरान हुई, जबकि 11.64 फीसदी घटनाएं मानसून से पहले, 07.40 फीसदी घटनाएं सर्दियों मे घटी।  

सबसे लंबा सक्रिय भूस्खलन क्षेत्र 

पिछले दिनों मालिंग में भूस्खलन की वजह से नेशनल हाईवे 5 भी कई घंटों तक बंद रहा था। यह वह क्षेत्र है, जो 1968 में एक्टिव हुआ था। उस समय यहां राष्ट्रीय राजमार्ग का लगभग एक किलोमीटर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ था।  

हिमाचल प्रदेश का भूस्खलन संभावित इलाके, एरिया वर्ग किलोमीटर में 

जिला सबसे ज्यादा खतरनाक खतरनाक कम खतरनाक असामान्य कुल क्षेत्रफल
बिलासपुर 216 842 83 1 1142
चंबा 2120 3829 351 70 6370
हमीरपुर 0 851 204 45 1100
कांगड़ा 123 3698 1233 557 5611
किन्नौर 868 4956 498 0 6322
कुल्लू 1820 3512 65 3 5401
लाहौल स्पीति 127 11637 1825 2 13591
मंडी 968 1978 826 98 3870
शिमला 893 3345 767 14 5019
सिरमौर 95 1805 614 228 2742
सोलन  556 1118 157 79 1910
ऊना 2 678 517 311 1508

 *स्त्रोत: हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण