नदियों के संगम के आसपास संरक्षित खेती की जमीन बाढ़ को कम करने में मदद कर सकती है।  फोटो साभार: आईस्टॉक
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बाढ़ से निपटने में अहम भूमिका निभा सकती है खेती की जमीन, वैज्ञानिकों ने बताई वजह

शोध के मुताबिक, सांख्यिकीय विश्लेषण से पता चलता है कि बहुत अधिक पानी को जमा करने की क्षमता वाले क्षेत्रों में खेती की जमीन वाले इलाकों में बाढ़ कम आई

Dayanidhi

नदियों के संगम के आसपास संरक्षित खेती की जमीन बाढ़ को कम करने में मदद कर सकती है। टोक्यो स्थित मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी की अगुवाई में किए गए एक शोध में यह दावा किया गया है।

इस शोध में कहा गया है कि सांख्यिकीय विश्लेषण के बाद पता चला कि जिन इलाकों में पानी को जमा करने की क्षमता बहुत अधिक होती है, वहां खेती करने पर बाढ़ की संभावना कम हो जाती है। यह शोध जहां किया गया, वह कृषि भूमि नदी के एक संगम के पास स्थित थी।

शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि उनके शोध के निष्कर्ष से यह पता चलेगा कि भूमि का उपयोग करने का प्रभावी तरीका क्या हो सकता है?

यहां यह उल्लेखनीय है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से जिस तरह बेमौसमी घटनाएं बढ़ी हैं, उससे बाढ़ का खतरा एक बड़ा चिंता का कारण बन गया है और बाढ़ की घटनाओं को कम से कम करने और बाढ़ के असर को रोकने का प्रयास लगातार जारी है।

इसके चलते शोधकर्ताओं ने एक वैकल्पिक नजरिया तैयार किया है, जिसे इको-डीआरआर कहा जा रहा है, जो आपदाओं और उसके असर पर अंकुश लगाने का काम करता है। इसके लिए वह मौजूदा पर्यावरणीय संसाधनों, विशेष रूप से कृषि भूमि का उपयोग करने का प्रयास करता है।

नदियों के संगम के पास कृषि भूमि पानी को सोखने में मदद कर सकती है और चरम मौसम की घटनाओं के दौरान बाढ़ की प्रगति को धीमा कर सकती है।

फसलों के उत्पादन के लिए कृषि लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन बड़ी मात्रा में पानी को सोखकर और अस्थायी रूप से रोककर बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने में इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन इसकी प्रभावकारिता व्यापक रूप से कृषि भूमि के स्थान और इसे कैसे बनाए रखा जाता है, इस पर निर्भर करती है।

शोधकर्ताओं ने कहा है कि जापान आपदा को कम करने के लिए इको-डीआरआर के प्रभाव का अध्ययन करने के प्रयासों में सबसे आगे हैं। जापान एक विशेष रूप से पहाड़ी देश है, जहां खेती की जमीन के बड़े हिस्से को बनाए रखना मुश्किल है, ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर लोगों के पलायन के कारण पूर्व में कृषि भूमि को छोड़ दिया गया या शहरीकरण किया गया। इस प्रकार बाढ़ के खतरों में कृषि उपयोग की विशिष्ट भूमिका को समझना तेजी से अहम होता जा रहा है।

शोधकर्ता ने अपने सबसे हालिया काम के हवाले से बताया कि उन्होंने बाढ़ के स्थानीय खतरों की तुलना में विभिन्न नगर पालिकाओं में कृषि भूमि के स्थान का व्यापक सांख्यिकीय विश्लेषण किया।

शोधकर्ता ने शोध में कहा कि 2010 से 2018 तक की अवधि में जापान भर में 1,917 नगर पालिकाओं में बाढ़ से हुए नुकसान के सर्वेक्षणों का विश्लेषण किया और देखा कि भारी जल भंडारण क्षमता वाले क्षेत्रों में कितनी खेती की जमीन है। उन्होंने पाया कि इन परिस्थितियों के अनुकूल भूमि वाली नगर पालिकाओं में बाढ़ का खतरा कम देखा गया।

विस्तृत भौगोलिक आंकड़ों को मिलाकर, नदियों के संगम पर स्थित खेती की जमीन के क्षेत्र और बाढ़ के कम खतरों के बीच एक और भी मजबूत संबंध पाया गया, जो भारी पानी को जमा करने की क्षमता वाले क्षेत्रों में कृषि भूमि में पाए गए सहसंबंध से भी अधिक मजबूत था।

नदियों के बीच संगम स्थल पूरे जापान में मौजूद हैं और ये वनस्पतियों और जीवों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल हैं जो बाढ़ से लाभान्वित हो सकते हैं। खाद्य सुरक्षा, आपदा को कम करने और जैव विविधता को एक साथ लाना, तेजी से चुनौतीपूर्ण जलवायु पर्यावरण के सामने एक दुर्लभ परिदृश्य प्रस्तुत करता है। यह शोध एनवायरनमेंटल एंड सस्टेनेबिलिटी इंडिकेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है