युवा पर्वत श्रृंखला (हिमालय) के निकट खनन कार्य जोखिम भरा है और अस्थिरता का खतरा बहुत अधिक है। फोटो: विकास चौधरी 
खनन

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर जिले में खनन पर रोक लगाई

सरकार ने भूमि पर दरारें दिखने के बावजूद खनन की मंजूरी दे दी थी लेकिन उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सभी खनन कार्यों पर रोक लगा दी

Susan Chacko

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 6 जनवरी, 2025 को बागेश्वर जिले में सभी खनन कार्यों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। यह आदेश उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गुहानाथन नरेंद्र और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी ने पारित किया।

9 दिसंबर, 2024 को न्यायालय ने खनन की जांच के लिए न्यायालय आयुक्त नियुक्त किए थे। छह जनवरी को न्यायालय आयुक्तों ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय ने रिपोर्ट को चिंताजनक और चौंकाने वाला बताया।

आदेश में कहा गया है, "रिपोर्ट और तस्वीरों में स्पष्ट रूप से दिखता है कि खननकर्ता अराजक कार्रवाई कर रहे हैं, जो स्थानीय प्रशासन के आंखें मूंद लेने का प्रमाण है।"

न्यायालय आयुक्तों की रिपोर्ट और तस्वीरें प्रथम दृष्टया यह प्रदर्शित करती हैं कि खनन गतिविधियों के कारण पहले से ही घरों को नुकसान पहुंचा है, लेकिन अब इसके परिणामस्वरूप भूस्खलन और निश्चित रूप से जानमाल की हानि होने की आशंका है। "विडंबना यह है कि प्रशिक्षित अधिकारियों ने पहाड़ी की तलहटी में खनन कार्यों की अनुमति दी है, जबकि राजस्व गांवों में बस्तियां पहाड़ी की चोटी पर पाई जाती हैं"।

फोटो: विकास चौधरी

आदेश में कहा गया है कि तस्वीरों में विशाल दरारें भी दिखाई दे रही हैं जो आसन्न भूस्खलन का संकेत देती हैं जिससे निश्चित रूप से जानमाल की भारी हानि होगी। इसलिए अगले आदेशों तक बागेश्वर जिले में सभी खनन कार्य तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेंगे।

उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि आदेश को उत्तराखंड के भूविज्ञान और खनन विभाग के निदेशक को भेजा जाना चाहिए और वे इसे खननकर्ताओं को सूचित करेंगे और आदेश का कार्यान्वयन सुनिश्चित करेंगे।

भूविज्ञान और खनन विभाग के निदेशक को आदेश के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार बनाया गया है। एमिकस क्यूरी को रिकॉर्ड पर लाने और सभी पट्टा धारकों को पक्षकार बनाने और संबंधित विभाग के अधिकारियों को जनहित याचिका के प्रतिवादी के रूप में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।